नोबेल प्राप्त करने वाले भारतीयों के नाम

Indian Nobel Prize Winners In Hindi विश्वभर में भारतीयों ने भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है। कई भारतीयों को उनके उत्कर्ष कार्यों के लिए नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। आगे जानते है कि अब तक किन भारतीयों को नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

Indian Nobel Prize Winners About India
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नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) विश्व का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है एंव यह पुरस्कार विश्व के उन महान लोगों को दिया जाता है। जिन्होने भौतिकी (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry), चिकित्सा विज्ञान (Physiology or Medicine), साहित्य (Literature) और शांति (Peace) के क्षेत्र में उत्कर्ष, अद्वितीय योगदान दिया हो। इसकी शुरुआत वर्ष 1901 से हुई और इसे एल्फ़्रेड नोबेल (Alfred Nobel) के नाम पर रखा गया। एल्फ़्रेड नोबेल (Alfred Nobel) स्वीडन के निवासी थे। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक मेडल, एक डिप्लोमा, एक मोनेटरी एवार्ड प्रदान की जाती है। यह नोबेल प्राइज साल में एक बार दिया जाता है, जिसका आयोजन दिसंबर महीने में होता है। यह इंटरनेशनल अवार्ड स्वीडन और नार्वे कमेटी द्वारा दिया जाता है।

१. रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) :-

रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पाने वाले एशिया एंव भारत के पहले व्यक्ति थे। उनका जन्म 7 मई 1861 को हुआ था। वह एक कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। रचयिता गुरु रबींद्र नाथ टैगोर को 1913 में साहित्य के क्षेत्र में उनकी काव्य पुस्तक "गीतांजलि" के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। रवींद्रनाथ टैगोर ने महज आठ वर्ष की उम्र से ही कवितायें लिखनी शुरु कर दी थी। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत और बंग्लादेश, दो देशों के लिये राष्ट्रगान लिखा। "गीतांजलि" और "साधना" उनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं। 1901 में उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो बाद में विश्वभारती विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

२. डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन (Dr. Chandrasekhara Venkata Raman) :-

भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले वाले पहले भारतीय डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन थे। उन्हें 1930 में यह सम्मान मिला, रमन का जन्म तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली के पास तिरुवाइक्कावल में हुआ था। उन्होंने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की, बाद में वह कोलकाता विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर बने। डॉ. रमन ने अपने अनुसंधान में इस बात का पता लगाया कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है तब उसकी वेवलैंथ (तरंग की लम्बाई) में बदलाव आता है। इसी को रमन इफ़ेक्ट (Raman Effect) के नाम से जाना गया।

3. हरगोबिंद खुराना (Hargobind Khorana) :-

हरगोबिंद खुराना को 1968 मे चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक डॉ. खुराना का जन्म पंजाब में रायपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। 1960 में वह विस्कॉसिन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बने। उन्होंने अपनी खोज से आनुवांशिक कोड (डीएनए) की व्याख्या की और प्रोटीन संश्लेषण में इसकी भूमिका का पता लगाया।

४. मदर टेरेसा (Mother Teresa) :-

मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मदर टेरेसा का जन्म अल्बानिया में हुआ था। 1928 में वह आयरलैंड की संस्था सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल हुईं और मिशनरी बनकर 1929 में कोलकाता आ गईं। उन्होने 45 सालों तक गरीब, असहाय और मरीजों की सेवा की, जिसके चलते उन्हें विश्व शांति का नोबेल मिला।

५. डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (Dr Subrahmanyan Chandrasekhardr) :-

1983 में भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई, वह नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रमन के भतीजे थे, बाद में चंद्रशेखर अमेरिका चले गए और वही की नागरिकता प्राप्त कर ली। जहां उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।

६. अमर्त्य सेन (Amartya Sen) :-

अमर्त्य सेन पहले भारतीय व एशियाई थे जिन्हें 1998 अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला। शांतिनिकेतन में जन्मे इस विद्वान अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक किताबें लिखी हैं। उन्होंने गरीबी और भुखमरी जैसे विषयों पर काफी गंभीरता से लिखा है। उन्होंने 1974 में बांग्लादेश में पड़े अकाल पर भी लिखा है।

७. विद्याधर सूरजप्रसाद नैपाल (V.S. Naipaul) :-

ट्रिनिडाड के चगवान में जन्मे भारतीय मूल के लेखक वी. एस. नैपाल को 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। इनके पूर्वज गोरखपुर के भूमिहार ब्राह्मण थे। उनकी शिक्षा ट्रिनिडाड और इंगलैंड में हुई। वे दीर्घकाल से ब्रिटेन के निवासी हैं। इनका सबसे महान उपन्यास "ए हौस फार मिस्टर बिस्वास" है।

८. वेंकटरमण रामकृष्णन (Venkatraman Ramakrishnan) :-

भारतीय मूल के अमेरिकी विज्ञानी वेंकटरमण रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में साल 2009 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस ए. स्टेट्ज और इस्राएल की अदा ई. योनथ के साथ संयुक्त रूप से दिया गया। इन वैज्ञानिकों को राइबोसोम की संरचना और कार्यप्रणाली पर अध्ययन के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया। इन्होने थ्रीडी तकनीक के ज़रिए समझाया कि किस तरह रिबोसोम्ज़ अलग-अलग रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। रामकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के चिदंबरम जिले में 1952 में हुआ था।

९. कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) :-

कैलाश सत्यार्थी को बाल अधिकारों की रक्षा एंव बाल श्रम के विरूद्ध लड़ाई के लिए वर्ष 2014 में नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है। मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को पैदा हुए कैलाश सत्यार्थी "बचपन बचाओ आंदोलन" चलाते हैं। उन्होने विश्व भर में हजारों बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य किया। उन्हें पाकिस्तान की मलाला युसुफ़जई के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरुस्कार से सम्मानित किया गया, पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी ने 26 वर्ष की उम्र में ही करियर छोड़कर बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया था।

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