बनास नदी का उद्गम राजस्थान राज्य के राजसमंद जिले की खमनौर की पहाड़ियों से होता है। अर्थात् बनास नदी राजस्थान के राजसमंद जिले की खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। बनास एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बन + आस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रूप में जानी जाने वाली यह नदी राजसमंद जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास 'वीरों का मठ' से निकलती है। यह नाथद्वारा, कंकरोली, राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम (त्रिवेणी) के नजदीक (सवाई माधोपुर) चंबल में गिर जाती है। इसकी लंबाई लगभग 480 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है। बेडच नदी 190 किलोमीटर लंबी है तथा गोगु्न्दा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है। कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह 145 किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है।
नदी का उद्गम खमनोर की पहाड़ी कुंभलगढ़ से होता है। बनास नदी राजस्थान में पूर्ण बहाव की दृष्टि से सबसे लंबी नदी है, बनास नदी का जल ग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक है। झाडोल सिंचाई परियोजना राजस्थान की बनास नदी पर स्थित है। बनास नदी को वर्णाशा नदी, वशिष्टि नदी एवं वन की आशा आदि नामों से जाना जाता है। बनास नदी पर तीन त्रिवेणी संगम स्थित है। बनास नदी चम्बल नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
बनास नदी की सहायक नदियां -
बनास नदी द्वारा बनने वाले त्रिवेणी संगम - बनास नदी पर राजस्थान राज्य में चार त्रिवेणी संगम बनते है।
बनास नदी पर बने बांध -