सिन्धु नदी (Sindhu Nadi River) का उद्गम स्थल, तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब नामक जलधारा माना जाता है। सिन्धु नदी (Indus River)एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है। यह पाकिस्तान, भारत (जम्मू और कश्मीर) और चीन (पश्चिमी तिब्बत) के माध्यम से बहती है। इस नदी की लंबाई प्रायः 2880 किलोमीटर है। यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है।
नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूम कर यह दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है और फिर जाकर अरब सागर में मिलती है। इस नदी का ज्यादातर अंश पाकिस्तान में प्रवाहित होता है। यह पाकिस्तान की सबसे लंबी नदी और राष्ट्रीय नदी है।
सिंधु की पांच उपनदियां हैं। इनके नाम हैं: वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा एंव शतद्रु. इनमें शतद्रु सबसे बड़ी उपनदी है। सतलुज/शतद्रु नदी पर बना भाखड़ा-नंगल बांध के द्वारा सिंचाई एंव विद्दुत परियोजना को बहुत सहायता मिली है। इसकी वजह से पंजाब (भारत) एंव हिमाचल प्रदेश में खेती ने वहां का चेहरा ही बदल दिया है। वितस्ता (झेलम) नदी के किनारे जम्मू व कश्मीर की राजधानी श्रीनगर स्थित है।
सिंध नदी उत्तरी भारत की तीन बड़ी नदियों में से एक हैं। इसका उद्गम बृहद् हिमालय में कैलाश से 62.5 मील उत्तर में सेंगेखबब के स्रोतों में है। अपने उद्गम से निकलकर तिब्बती पठार की चौड़ी घाटी में से होकर, कश्मीर की सीमा को पारकर, दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के रेगिस्तान और सिंचित भूभाग में बहती हुई, कराँची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है। इसकी पूरी लंबाई लगभग 2,000 मील है। बलतिस्तान में खाइताशो ग्राम के समीप यह जास्कार श्रेणी को पार करती हुई 10,000 फुट से अधिक गहरे महाखड्ड में, जो संसार के बड़े खड्डों में से एक हैं, बहती है। जहाँ यह गिलगिट नदी से मिलती है, वहाँ पर यह वक्र बनाती हुई दक्षिण पश्चिम की ओर झुक जाती है।
अटक में यह मैदान में पहुँचकर काबुल नदी से मिलती है। सिंध नदी पहले अपने वर्तमान मुहाने से 70 मील पूर्व में स्थित कच्छ के रन में विलीन हो जाती थी, पर रन के भर जाने से नदी का मुहाना अब पश्चिम की ओर खिसक गया है। झेलम, चिनाव, रावी, व्यास एवं सतलुज सिंध नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। इनके अतिरिक्त गिलगिट, काबुल, स्वात, कुर्रम, टोची, गोमल, संगर आदि अन्य सहायक नदियाँ हैं। मार्च में हिम के पिघलने के कारण इसमें अचानक भयंकर बाढ़ आ जाती है। बरसात में मानसून के कारण जल का स्तर ऊँचा रहता है। पर सितंबर में जल स्तर नीचा हो जाता है और जाड़े भर नीचा ही रहता है।
सतलुज एवं सिंध के संगम के पास सिंध का जल बड़े पैमाने पर सिंचाई के लिए प्रयुक्त होता है। सन् 1932 में सक्खर में सिंध नदी पर लॉयड बाँध बना है जिसके द्वारा 50 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है। जहाँ भी सिंध नदी का जल सिंचाई के लिए उपलब्ध है, वहाँ गेहूँ की खेती का स्थान प्रमुख है और इसके अतिरिक्त कपास एवं अन्य अनाजों की भी खेती होती है तथा ढोरों के लिए चरागाह हैं। हैदराबाद (सिंध) के आगे नदी 3,00 वर्ग मील का डेल्टा बनाती है। गाद और नदी के मार्ग परिवर्तन करने के कारण नदी में नौसंचालन खतरनाक है।