ऐसी कृपा आपकी पाएँ।
जीवन भर प्रकाश फैलाएँ।
कोयल जैसी तान सुनाएँ,
निर्मल फूलों-सा मुस्काएँ।
नभ जैसा उन्मुक्त ह्रदय दो,
सेवा में न तनिक शर्मायें।
गुरुचरणों में शीश झुकाएँ,
ऐसी कृपा आपकी पाएँ।
सत्य बोलने की क्षमता दो,
दया-दान दो, निर्मलता दो।
ऐसा बल-विवेक हमको दो,
जिसमें अंश नहीं तमका हो।
सारा जीवन त्याग-भरा हो,
दाग नहीं जिसमें उतरा हो।
पर हित की ज्वाला में तपकर,
कंचन खरा-खरा निखरा हो।
नये भोर का बिगुल बजाएँ,
ऐसी कृपा आपकी पाएँ।