कबीर माया बेसवा, दोनूं की एक जात।
आवत को आदर करै, जात न बूझैं बात॥
ओ जंगल के राजा मेरी मैया को लेके आजा।
मैने आस की ज्योति जगाई, मेरे नयनों में माँ है समायी॥
मेरे सपने सच तू बना जा, मेरी मैया को लेके आजा आजा।
ओ जंगल के राजा ...............
हर पल माँ के संग विराजो धन्य तुम्हारी भक्ति है।
शक्ति का तुम बोझ उठाये गजब तुम्हारी शक्ति है॥
तेरे सुंदर नयन कटीले ओ रंग के पीले पीले।
मेरी माँ को मुझसे मिला जा मिला जा॥
ओ जंगल के राजा ...........
पवनरूपी माँ के प्यारे ,चाल पवन की आ जाओ।
देवों की आँखों के तारे आओ धर्म कमा जाओ॥
आ गहनों से तुम्हें सजाऊँ पांवों में घुंघरू पहनाऊँ।
मैं बजाऊं ढोल और बाजा–बाजा॥
ओ जंगल के राजा .......
पाके सम्मुख भोली माँ को दिल की बातें कर लूं मैं।
प्यास बुझा लूं जन्मों की और खाली झोली भर लूं मैं॥
माँ के चरणों की धूल लगा लूं मैं सोया नसीब जगा लूं।
मेरे दू:खों को तू मिटा जा मिटा जा॥
ओ जंगल के राजा .......
माँ कहेगी बेटा मुझको मैं माँ कहके बुलाऊंगा।
ममता रूपी वरदानी से वर मुक्ति का पाऊंगा॥
सारी दुनिया से जो न्यारी छवि सुंदर अटल प्यारी।
उस माँ का दर्श दिखा जा दिखा जा॥
ओ जंगल के राजा ...........