अमित शाह का जीवन परिचय

Amit Shaah Biography In Hindi, अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को गुजराती ब्यापारी के मुंबई स्थित घर मे हुआ था। अमित शाह का पैत्रिक गाव पाटण जिले के चँन्दूर मे है। अमित शाह की पत्नी का नाम सोनल शाह औऱ एकमात्र पुत्र का नाम जय शाह है। मेहसाणा मे प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद, बायोकमेस्ट्री की पढाई के लिये अहमदाबाद आ गये। परिवार का व्यापार प्लास्टिक के पाईप का था। 1983 मे अमित शाह अखिल भारतीय विद्मार्थी परिषद से जूडे। 1987 मे भारतीय जनता युवा मोर्चा से जूडे।

Amit Shaah Biography
Advertisement

अमित शाह को अपने राजनैतिक कौशल को दिखाने और साबित करने का मौका तब मिला, जब लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के गांन्धी नगर लोकसभा से चूनाव लडने का फैसला लिया। लालकृष्ण आडवाणी के चुनाव प्रचार व प्रबंधन की जिम्मेदारी अमित शाह को मिला।

1996 मे अटल बिहारी बाजपेयी जब गुजरात से लोकसभा का चुनाव लडने आये तो प्रचार व प्रबंधन का जिम्मेदारी अमित शाह को मिली। अमित शाह 1999 मे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन बने। वर्ष 2009 मे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। वर्ष 2003 से 2010 तक मोदी मंत्रीमंडल मे गुजरात के गृहमंत्री रहे। वर्ष 1997 से 2012 तक गुजरात के सरखेजा विधान सभा से विधायक रहे। वर्ष 2012 मे नरनपुरा ( गुजरात) से विधायक चूने गये। अमित शाह 9 जूलाई 2014 को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चूना गया। अमित शाह (Amit Shaah) पेशे से स्ट्राक ब्रोकर है।

1990 के दौरान गुजरात की राजनितिक उथल – पुथल ने स्थापित जनों के भाग्यों को पलट डाला और भाजपा राज्य में कांग्रेस के सामने मुख्य एवं एकमात्र विपक्षी पार्टी बन के उभरी। उस दौरान अमित शाह (Amit Shaah) ने श्री नरेन्द्र मोदी के मार्ग दर्शन में (तत्कालीन गुजरात भाजपा संगठन सचिव) समग्र गुजरात में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों के दस्तावेजीकरण के अति महत्व के कठिन कार्य को प्रारंभ कर उसे सफलतापूर्वक परिणाम तक पहुचाया।

पार्टी की शक्ति एवं चुनावी कौशल को संचित करने की दिशा में यह उनका पहला महत्वपूर्ण कदम था । इसके पश्चात् राज्य में भाजपा को जो चुनावी विजयें प्राप्त हुई उन्होंने दर्शाया कि पार्टी को राजनैतिक मजबूती देने में कार्यकर्ताओं का जोश तथा उनकी सहभागिता कितनी महत्पूर्ण होती है। गुजरात में भाजपा की प्रथम विजय अल्पकालीन सिद्ध हुई, 1995 में सत्ता में आने वाली पार्टी की सरकार 1997 में गिर गई। किन्तु उस अल्पावधि में ही अमित शाह (Amit Shaah) ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के रूप में निगम का कायापलट कर दिया और उसे स्टॉक एक्सचेंज में भी सूचीबद्ध करवाने का महत्वपूर्ण काम किया।

जमीनी स्तर के मुद्दों पर ध्यान देने और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ स्थायी संपर्क की योग्यताओं के बल पर उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमताओं को प्रखर किया। उनकी ये योग्यताएं तब लोगों के ध्यान में आई जब वह अहमदाबाद नगर के प्रभारी बने, उस समय उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन तथा एकता यात्रा के पक्ष में व्यापक स्तर पर जनसंपर्क किया। तदोपरान्त गुजरात में भाजपा के लिए भारी समर्थन का उभार हुआ।

इन जन आंदोलनों के बाद 1989 में लोकसभा चुनाव हुए जिनमें अमित शाह (Amit Shaah) को गांधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के जननेता श्री लाल कृष्ण आडवाणी के चुनाव प्रबंधन का उत्तरदायित्व सौंपा गया । उनका यह गठबंधन ऐसा था जो अगले दो दशक जारी रहने वाला था, अमित शाह (Amit Shaah) आडवाणी जी के लिए 2009 के लोकसभा चुनावों तक चुनावी रणनीति तैयार करते रहे। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो अमित शाह (Amit Shaah) उनके भी चुनावी प्रभारी बने। अमित शाह (Amit Shaah) ने अपनी क्षमताओं के बल पर स्वयं के लिए एक दक्ष चुनाव प्रबंधक की प्रतिष्ठा अर्जित की।

भाजपा सरकार गिरने के बाद उपचुनाव में पहली बार अमित शाह (Amit Shaah) का चुनावी रण में पदार्पण हुआ, उन्होंने सरखेज से विधानसभा का चुनाव लड़ा और 25,000 मतों के अंतर से सीट जीतने में सफल रहे| मतदाताओं के विश्वास तथा जनादेश को पुनः प्राप्त करने की उत्कट आवश्यकता का अनुभव करते हुए अमित शाह (Amit Shaah) ने स्वयं को प्रदेश में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए समर्पित कर दिया। साथ ही साथ वह विधायक के तौर पर अपना कर्तव्य भी निभाते रहे और 1998 में उन्होंने वही सीट पुनः 1.30 लाख मतों के अंतर से जीती।

अमित शाह (Amit Shaah) के राजनीतिक कॅरियर की एक प्रमुख उपलब्धि है- गुजरात के सहकारी आंदोलन पर कांग्रेस की पकड़ को तोड़ना जो कि उनके लिए चुनावी ताकत और असर का स्त्रोत था। 1998 तक सिर्फ एक सहकारी बैंक को छोड़ कर बाकी सभी सहकारी बैंकों पर कांग्रेस का नियंत्रण था। लेकिन अब यह सब बदलने वाला था, इसका श्रेय अमित शाह (Amit Shaah) की राजनीतिक कुशाग्रता और लोगों को साथ में लाने की क्षमता को जाता है।

उनके प्रयासों के फलस्वरूप भाजपा ने सहकारी बैंकों, दूध डेयरियों और कृषि मंडी समितियों के चुनाव जीतने शुरु किए। इन लगातार विजयों ने गुजरात में भाजपा की राजनीतिक शक्ति को स्थापित किया तथा ग्रामीण व अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी के प्रभाव कायम किया। यद्धपि उनकी सफलता केवल चुनावी मामलों तक ही सीमित नहीं थी। उनकी अध्यक्षता में एशिया का सबसे बड़ा सहकारी बैंक – अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक केवल एक वर्ष के भीतर लाभकारी बन गया। एक दशक में पहली बार बैंक ने लाभांश भी घोषित किया। उनके व्यापक अनुभव और सराहनीय सफलता को देखते हुए अमित शाह (Amit Shaah) को 2001 में भाजपा के सहकारिता प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय संयोजक बना दिया गया।

वर्ष 2002 में विधानसभा चुनावों से पूर्व अमित शाह (Amit Shaah) को ’गौरव यात्रा’ का सह-संयोजक बनाया गया। जिसके बाद श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी सत्ता में आई। इस बार भी अमित शाह (Amit Shaah) ने सरखेज से लगातार तीसरी बार चुनाव जीता। इस बार जीत का अंतर बढ़ कर 1,58,036 हो गया। अमित शाह (Amit Shaah) को गृह, परिवहन और निषेध जैसे अहम मंत्रालयों का दायित्व सौंपा गया तथा गुजरात के गृह मंत्री के रूप में उनके काम को बहुत सराहा गया। समय के साथ-साथ उनकी लोकप्रियता और लोगों से जुड़ाव बढ़ता गया। वर्ष 2007 में सरखेज विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर अमित शाह (Amit Shaah) को विजयश्री का हार पहनाया और इस बार वह 2,32,832 मतों के भारी अंतर से जीते। वह राज्य कैबिनेट पर लौटे तथा उन्हें गृह, परिवहन, निषेध, संसदीय मामले, कानून और आबकारी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार सौंपा गया।

राजनीति से हट कर दूसरे क्षेत्रों में भी अमित शाह (Amit Shaah) की नीतियों की बहुतों ने प्रशंसा की। अमित शाह (Amit Shaah) शतरंज के अच्छे खिलाड़ी हैं और 2006 में वह गुजरात स्टेट चैस ऐसोसिएशन के चेयरमैन बने। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अहमदाबाद के सरकारी स्कूलों में शतरंज को शामिल करवाया। एक अध्ययन के अनुसार, इस प्रयोग के परिणामस्वरूप विद्यार्थी ज्यादा सजग बने, उनकी एकाग्रत का स्तर बढ़ा और समस्या सुलझाने की उनकी योग्यताओं में भी सुधार हुआ। वर्ष 2007 में श्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह (Amit Shaah) गुजरात स्टेट क्रिकेट ऐसोसिएशन के क्रमशः चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन बने तथा कांग्रेस के 16 साल के प्रभुत्व को समाप्त किया। इस अवधि में अमित शाह (Amit Shaah) अहमदाबाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट के चेयरमैन भी रहे।

भाजपा ने अमित शाह (Amit Shaah) के समर्पण, परिश्रम और संगठनात्मक क्षमताओं को सम्मानित कर उन्हें 2014 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया। ज्यादा शक्तियों के साथ ज्यादा जिम्मेदारियां आती हैं। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह (Amit Shaah) ने पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने तथा पार्टी के सदस्यता आधार के विस्तार के लिए देश के हर राज्य का दौरा किया। उनके इस अभियान के परिणाम चकित करने वाले रहे। दस करोड़ से भी अधिक सदस्यों के साथ उन्होंने भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बना दिया। भाजपा को सशक्त करने के अपने संकल्प को उन्होंने यहीं विराम नहीं दिया बल्कि पार्टी की विचारधारा के प्रसार एवं जन संपर्क बढ़ाने के लिए उन्होंने बहुत से कार्यक्रम प्रारंभ किए। इनमें से एक कार्यक्रम था “महासंपर्क अभियान” जिसका लक्ष्य नए बने सदस्यों को पार्टी की मुख्यधारा में लाकर उन्हें पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय करना था।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व एवं अमित शाह (Amit Shaah) की सुविचारित चुनावी रणनीतियों का ही यह परिणाम था कि बतौर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shaah) के कार्यकाल के पहले वर्ष में भाजपा ने पांच में से चार विधानसभा चुनावों में विजय प्राप्त की। महाराष्ट्र, झारखंड व हरियाणा में पार्टी के मुख्यमंत्री बने तथा जम्मू और कश्मीर में उप मुख्यमन्त्री के पद के साथ भाजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा बनी। अपनी अति-व्यस्तता एवं बहुत सारे सार्वजनिक कार्यक्रमों के बावजूद अमित शाह (Amit Shaah) शास्त्रीय संगीत सुन कर और शतरंज खेल कर तरोताज़ा हो जाते हैं। समय मिलने पर वह क्रिकेट का भी आनन्द लेते हैं। रंगमंच में भी उनकी बहुत रुचि है तथा अपने विद्यार्थी जीवन में कई अवसरों पर वह मंच पर प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

नोट :- आपको ये पोस्ट कैसी लगी, कमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखे और शेयर करें, धन्यवाद।

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories