कैप्टन अमरिंदर सिंह का जीवन परिचय

कैप्टन अमरिंदर सिंह का जीवन परिचय, Captain Amarinder Singh Biography in Hindi, कैप्टन अमरिंदर सिंह का जन्म 11 मार्च 1942 को पंजाब के पटियाला शहर में हुआ। इनके पिता यादविंद्र सिंह पटियाला जी ने स्टेट पुलिस में इंस्पेक्टर जनरल की हैसियत से काम किया और दुसरे विश्व युद्ध के समय इटली और वर्मा भी गये। इनकी माता का नाम का नाम महारानी मोहिंदर कौर था। इसकी पढाई वेल्हम बॉयज स्कूल और लॉरेन्स स्कूल सनावर से हुई। इनकी पत्नी का नाम प्रेनीत कौर है, जो लोकसभा सांसद रह चुकी हैं, और साल 2009-2014 के समय में भारत सरकार मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स में काम भी कर चुकी हैं।

Captain Amarinder Singh Biography
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इनकी बहन हेमिंदर कौर की शादी भूतपूर्व फॉरेन मिनिस्टर के. नटवर सिंह से हुई। ये कुछ समय तक शिरोमणि अकाली दल से भी जुड़े हुए थे। अकाली दल के सुप्रीमो और भूतपूर्व आईपीएस ऑफिसर सिमरनजीत मन की पत्नी और कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी दोनों बहने हैं। इनका एक बेटा रनिंदर सिंह और एक बेटी जय इन्दर सिंह है, जिसकी शादी दिल्ली के व्यापारी गुरपाल सिंह से हुई है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह वर्तमान में अमृतसर से सांसद हैं। वे पटियाला के राजपरिवार से हैं तथा हाल ही में पंजाब के मुख्यमन्त्री की शपथ ली है। उनका विवाह परनीत कौर से हुआ। परनीत कौर भी राजनीति में सक्रिय हैं तथा मनमोहन सिंह की सरकार में वे भारत की विदेश राज्य मंत्री रह चुकी हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पटियाला सीट से चुनाव लड़ा किंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस से सबसे मजबूत क्षेत्रीय क्षत्रपों में से एक अमरिंदर सिंह ने शिअद को करारी शिकस्त देकर और आप के दिल्ली से आगे पैर जमाने के सपने को चकनाचूर करते हुए पंजाब में एक बार फिर अपनी पार्टी को जीत दिला दी। व्यापक रुप से लोकप्रिय एवं सम्मानित नेता अमरिंदर ने 117 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 77 सीटों पर शानदार जीत दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया और दूसरी बार मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला। 10 साल बाद पंजाब में महाराजा की जीत ने कांग्रेस के पुनरत्थान की उम्मीदों को जगा दिया है।

अमरिंदर उन बहुत कम नेताओं में शामिल हैं जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान लड़े थे। अकाली दल सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल ने वर्ष 2007 एवं वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री बनने की उनकी पूर्व की कोशिशों को नाकाम कर दिया था लेकिन इस बार अमरिंदर को सफलता मिली। किसी समय अकाली दल के नेता रहे ‘पटियाला के वंशज' वर्ष 1965 के युद्ध में लड़े थे। उन्होंने इससे कुछ ही महीनों पहले सेना ने इस्तीफा दे दिया था लेकिन वे बाद में फिर से सेना में शामिल हुए और उन्होंने युद्ध लड़ा। उन्होंने बाद में युद्ध की समाप्ति पर सेना से फिर से इस्तीफा दे दिया था।

पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर पटियाला के दिवंगत महाराजा यादविंदर सिंह के पुत्र हैं। उनकी पत्नी परनीत कौर पटियाला से सांसद रह चुकी हैं। लॉरेंस स्कूल सनावर और देहरादून स्थित दून स्कूल में प्रारंभिक पढाई करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला में जुलाई 1959 में दाखिला लिया और दिसंबर 1963 में वहां से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

उन्हें 1963 में भारतीय सेना में शामिल किया गया और दूसरी बटालियन सिख रेजीमेंट में तैनात किया गया। इसी रेजीमेंट में उनके पिता एवं दादा ने सेवाएं दी थी। अमरिंदर ने फील्ड एरिया- भारत तिब्बत सीमा पर दो साल तक सेवाएं दी और उन्हें पश्चिमी कमान के जीओसी इन सी लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह का ऐड डि कैम्प नियुक्त किया गया था।

सेना में उनका कैरियर छोटा रहा। उन्होंने उनके पिता को इटली का राजदूत नियुक्त किए जाने के बाद 1965 की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था क्योंकि घर पर उनकी आवश्यकता थी लेकिन वह पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ने के तत्काल बाद सेना में शामिल हो गए और उन्होंने युद्ध अभियानों में हिस्सा लिया। उन्होंने युद्ध समाप्त होने के बाद 1966 की शुरुआत में फिर से इस्तीफा दे दिया।

उनका राजनीतिक करियर जनवरी 1980 में शुरु हुआ जब उन्हें सांसद नियुक्त किया गया लेकिन उन्होंने वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार' के दौरान स्वर्ण मंदिर में सेना के घुसने के विरोध में कांग्रेस और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। अमरिंदर अगस्त 1985 में अकाली दल में शामिल हुए। इसके बाद उन्हें 1995 के चुनावों में अकाली दल (लोंगोवाल) की टिकट से पंजाब विधानसभा में चुना गया। वह सुरजीत सिंह बरनाला की सरकार में कृषि मंत्री रहे।

अमरिंदर ने पांच मई 1986 में स्वर्ण मंदिर में अर्द्धसैन्य बलों के प्रवेश के खिलाफ कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने पंथिक अकाली दल का गठन किया जिसका बाद में 1997 में कांग्रेस में विलय हो गया। अमरिंदर ने 1998 में पटियाला से कांग्रेस के टिकट पर संसदीय चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख के रुप में 1999 से 2002 के बीच सेवाएं दीं। इसके बाद वह 2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने 2007 तक इस पद पर सेवाएं दी।

भूमि हस्तांतरण मामले में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर एक राज्य विधानसभा समिति ने सितंबर 2008 में उन्हें बर्खास्त कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने 2010 में उन्हें राहत देते हुए उनके निष्कासन को असंवैधानिक करार दिया। वह 2013 तक फिर से कांग्रेस के राज्य प्रमुख रहे। वर्ष 2013 तक कांग्रेस कार्यकारी समिति में स्थायी रुप से आमंत्रित किए जाने वाले अमरिंदर ने अमृतसर से 2014 लोकसभा चुनाव जीता और भाजपा नेता अरुण जेटली को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी।

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