लता मंगेशकर का जीवन परिचय

लता मंगेशकर का जीवन परिचय, लता मंगेशकर की जीवनी, Lata Mangeshkar Biography In Hindi, लता मंगेशकर एक भारतीय प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर है। वह भारत की एक सबसे प्रसिद्ध, बेहतरीन और सम्मानित प्लेबैक सिंगर है। लता मंगेशकर का करियर 1942 में शुरू हुआ था और आज लगभग उन्हें 7 दशक पुरे हो चुके है। उन्होंने तक़रीबन 1000 से ज्यादा हिंदी फिल्मो के लिये गाने गाए है और तक़रीबन 36 देसी स्थानिक भाषाओ में गायन भी किया है और साथ ही उन्होंने विदेशी भाषाओ में भी गायन किया है। मुख्यतः Lata Mangeshkar ने मराठी और हिंदी भाषा में गीत गाए है। भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च अवार्ड दादासाहेब फालके अवार्ड उन्हें 1989 में देकर सम्मानित किया गया था। एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद वह दूसरी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

Lata Mangeshkar Jeevan Parichay Biography
Advertisement

लता मंगेशकर का जन्म मराठी बोलने वाले गोमंतक मराठा परिवार में, मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल गायक और थिएटर एक्टर थे। उनकी माता शेवंती (शुधामती) महाराष्ट्र के थालनेर से थी और वह दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। परिवार का उपनाम (सरनेम) हर्डीकर थे, लेकिन दीनानाथ ने इसे बदल्कार मंगेशकर रखा, ताकि उनका नाम उनके पारिवारिक गाँव मंगेशी, गोवा का प्रतिनिधित्व करे। जन्म के समय लता का नाम “हेमा” रखा गया था लेकिन बाद में उनका नाम बदलकर लता रखा गया था। लता अपने माता-पिता की पहली संतान है। इसके साथ ही मीना, आशा भोसले, उषा और हृदयनाथ उनके भाई-बहन है।

मंगेशकर ने अपना पहला पाठ अपने पिता से सिखा था। पाँच साल की उम्र में लता जी ने अपने पिता के म्यूजिकल नाटक के लिये एक्ट्रेस का काम करना शुरू किया था (संगीत नाटक) । स्कूल के पहले दिन से ही उन्होंने बच्चो को गाने सिखाने शुरू कर दिये थे। जब शिक्षको ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो वह बहुत गुस्सा हो गयी थी और उन्होंने स्कूल जाना ही छोड़ दिया था। सूत्रों के अनुसार ये भी पता चला है की लता अपने साथ स्कूल में आशा को लेकर आती थी और स्कूल वालो ने उन्हें साथ लाने से मना कर दिया था इसीलिए उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया था।

लता मंगेशकर संगीत क्षेत्र का चमत्कार है इसका अहसास मास्टर दिनानाथ मंगेशकर को लता के बचपन में ही हो गया था। मा.मंगेशकर की गायिकी लता मंगेशकर के खून में आ गयी। 9 साल की उम्र में इस स्वरासम्राज्ञानिने शास्त्रीय संगीत की मैफिल सजाई थी। मा.दिनानाथ का देहांत होने के बाद 13 साल की उम्र में मतलब 1942 में ‘किती हसाल?’ इस फिल्म के लिए ‘नाचू या ना गड़े खेडू सारी, मानी हौस भारी’ ये गीत पहली बार गाया।

लता के गाये यादगार गीतों में एन फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्,आदी. नए फिल्मों में भी उनकी आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली है, बल्किउसमे और भी निखार आ गया है, जैसे हिना, रामलखन, आदी में। एक समय उनके गीत ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी काफी चले थे।

उन्होंने 30,000 से अधिक गाने गाये है तथा सभी भारतीय भाषाओ में गाने का उनका एक कीर्तिमान भी है। लता मंगेशकर ने न केवल कई गीतकारो एवं संगीतकारों को सफल बनाया है बल्कि उनके सुरीले गायन कारण ही अनेक फिल्मे लोकप्रिय सिद्ध हुई है। उन्हें अनेक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके है तथा भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है, और उन्हें गायन के लिए 1958, 1960, 1965,एवं 1969 में फिल्मफेयर एवार्ड प्राप्त हुये। ‘गिनीस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की तरफ से भी उनका विशेष सम्मान किया जा चूका है। मध्यप्रदेश शासन की ओर से उनके नाम प्रतिवर्ष 1 लाख रूपये का पारितोषिक दिया जाता है। 1989 में लताजी को ‘दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories