महादेव हरिभाई देसाई का जीवन परिचय, महादेव हरिभाई देसाई की जीवनी, Mahadev Haribhai Desai Biography In Hindi, महादेव हरिभाई देसाई का जन्म 1 जनवरी 1892 को सूरत में हुआ था। निधन 15 अगस्त 1942 हुई को थी। महादेव हरिभाई देसाई एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। महादेव हरिभाई देसाई एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विश्वसनीय सचिव थे महादेव देसाई ने चंपारन सत्याग्रह, बारदोली सत्याग्रह और नमक सत्याग्रह में भाग लिया और इसी दौरान वह गिरफ्तार किए गए।
गांधी जी के सचिव और स्वतंत्रता सेनानी महादेव हरिभाई देसाई का जन्म 1 जनवरी, 1892 ई. को सूरत ज़िले के सरस गाँव में हुआ था। इनके पिता हरिभाई देसाई अध्यापक थे। वे गणित और रामायण, महाभारत, गीता जैसे ग्रंथों के प्रेमी थे। बाद में वे अहमदाबाद के महिला प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य बने। पिता के गुणों का महादेव भाई पर पूरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने मुंबई में उच्च शिक्षा पाई और 1913 में क़ानून की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने कुछ दिन वकालत की, पर उसमें विशेष सफलता नहीं मिली। फिर कुछ समय तक सरकारी बैंक में काम करते रहे पर वहाँ की अनियमितताएं और भाग-दौड़ देखकर उसे भी छोड़ दिया।
31 अगस्त, 1917 का दिन महादेव देसाई के जीवन में दिशा निर्धारक सिद्ध हुआ। उसी दिन उनकी भेंट गांधीजी से हुई और फिर वे जीवनपर्यंत उन्हीं के साथ रहे। उन्होंने चंपारन सत्याग्रह, बारदोली सत्याग्रह और नमक सत्याग्रह में भाग लिया और इसी दौरान गिरफ्तार किए गए। 1921 में महादेव भाई ने इलाहाबादआकर पंडित मोतीलाल नेहरू के पत्र 'इंडिपेंडेंट' के संपादन में सहयोग दिया। यहाँ भी उन्हें जेल की सज़ा हुई थी। 1923 में वे अहमदाबाद वापस चले गए और गांधीजी को उनके पत्र 'नवजीवन' के संपादन में मदद करते रहे।
महादेव भाई बहुपठित व्यक्ति थे। उन्हें गुजराती, संस्कृत, बांग्ला भाषा, हिन्दी, मराठी और अंग्रेज़ी भाषा का बहुत अच्छा ज्ञान था। गांधीजी के जीवन दर्शन के वे अधिकारी विद्वान् थे। उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना की जैसे- विद गांधी जी इन सीलोन, द स्टोरी ऑफ़ बारदोली, स्वदेशी ट्रू एण्ड फ़ॉल्स, अनवर्दी ऑफ़ वर्धा, दि नेशंस वॉइस, गांधी सेवा संघ, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, दि गीता एकार्डिंग टु गांधीजी, वीर वल्लभ भाई, ख़ुदाई ख़िदमतगार, एक धर्मयुद्ध आदि।
महादेव भाई का सबसे बड़ा योगदान है- 'महादेव भाई की डायरी', 8 खंडों में प्रकाशित इस डायरी में उन्होंने गांधीजी के नित्य प्रति के क्रिया कलापों का अधिकारिक वर्णन प्रस्तुत किया है। इसका प्रकाशन महादेव भाई की मृत्यु के बाद हुआ। महादेव देसाई के बारे में गांधी जी का कहना था कि जितना काम अकेले महादेव कर लेते हैं, आधे दर्जन सचिव होते, तब भी उतना काम नहीं कर सकते थे।
1924 से 1928 तक भारत-यात्रा में वे गांधीजी के साथ थे। 1931 के गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी के साथ लंदन गए। 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में उन्हें भी गांधीजी के साथ पूना के आग़ा ख़ा महल में नजरबंद कर दिया गया था। वहीं पर 15 अगस्त 1942 को बंदी की दशा में ही उनका देहांत हो गया।