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महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय

महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय, Mahavir Prasad Biography in Hindi, महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के दौलतपुर गाँव में सं 1864 में हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ रामसहाय दुबे था। ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। धनाभाव के कारण इनकी शिक्षा का क्रम अधिक समय तक न चल सका। इन्हें जी आई पी रेलवे में नौकरी मिल गई। 18 वर्ष की आयु में रेल विभाग अजमेर में 1 वर्ष का प्रवास। नौकरी छोड़कर मुंबई प्रस्थान एवं टेलीग्राफ का कम सीखकर इंडियन मिडलैंड रेलवे में तार बाबू के रूप में नियुक्ति। अपने उच्चाधिकारी से न पटने और स्वाभिमानी स्वभाव के कारण 1904 में झाँसी में रेल विभाग की 200 रुपये मासिक वेतन की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।

Mahavir Prasad Dwivedi Biography
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नौकरी के साथ-साथ द्विवेदी अध्ययन में भी जुटे रहे और हिंदी के अतिरिक्त मराठी, गुजराती, संस्कृत आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। सन् 1903 में द्विवेदी जी ने सरस्वती मासिक पत्रिका के संपादन का कार्यभार सँभाला और उसे सत्रह वर्ष तक कुशलतापूर्वक निभाया। जैसे ही उन्हें 'सरस्वती' से आमन्त्रण प्राप्त हुआ, उन्होने रेलवे की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। 200 रूपये मासिक की नौकरी को त्यागकर मात्र 20 रूपये प्रतिमास पर सरस्वती के सम्पादक के रूप में कार्य करना उनके त्याग का परिचायक है। संपादन-कार्य से अवकाश प्राप्त कर द्विवेदी जी अपने गाँव चले आए और वहीं सं 1938 में इनका स्वर्गवास हो गया।

महावीर प्रसाद द्विवेदी (Mahavir Prasad) हिन्दी के पहले लेखक थे, जिन्होंने केवल अपनी जातीय परंपरा का गहन अध्ययन ही नहीं किया था, बल्कि उसे आलोचकीय दृष्टि से भी देखा था। उन्होने अनेक विधाओं में रचना की। कविता, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा, अनुवाद, जीवनी आदि विधाओं के साथ उन्होंने अर्थशास्त्र, विज्ञान, इतिहास आदि अन्य अनुशासनों में न सिर्फ विपुल मात्रा में लिखा, बल्कि अन्य लेखकों को भी इस दिशा में लेखन के लिए प्रेरित किया। द्विवेदी जी केवल कविता, कहानी, आलोचना आदि को ही साहित्य मानने के विरुद्ध थे। वे अर्थशास्त्र, इतिहास, पुरातत्व, समाजशास्त्र आदि विषयों को भी साहित्य के ही दायरे में रखते थे। वस्तुतः स्वाधीनता, स्वदेशी और स्वावलंबन को गति देने वाले ज्ञान-विज्ञान के तमाम आधारों को वे आंदोलित करना चाहते थे। इस कार्य के लिये उन्होंने सिर्फ उपदेश नहीं दिया, बल्कि मनसा, वाचा, कर्मणा स्वयं लिखकर दिखाया।

उन्होंने वेदों से लेकर पंडितराज जगन्नाथ तक के संस्कृत-साहित्य की निरंतर प्रवहमान धारा का अवगाहन किया था एवं उपयोगिता तथा कलात्मक योगदान के प्रति एक वैज्ञानिक दृष्टि अपनायी थी। उन्होंने श्रीहर्ष के संस्कृत महाकाव्य नैषधीयचरितम् पर अपनी पहली आलोचना पुस्तक 'नैषधचरित चर्चा' नाम से लिखी (1899) जो संस्कृत-साहित्य पर हिन्दी में पहली आलोचना-पुस्तक भी है। फिर उन्होंने लगातार संस्कृत-साहित्य का अन्वेषण, विवेचन और मूल्यांकन किया।

उन्होंने संस्कृत के कुछ महाकाव्यों के हिन्दी में औपन्यासिक रूपांतर भी किया, जिनमें कालिदास कृत रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत, किरातार्जुनीय प्रमुख हैं। संस्कृत, ब्रजभाषा और खड़ी बोली में स्फुट काव्य-रचना से साहित्य-साधना का आरंभ करने वाले महावीर प्रसाद द्विवेदी ने संस्कृत और अंग्रेजी से क्रमश: ब्रजभाषा और हिन्दी में अनुवाद-कार्य के अलावा प्रभूत समालोचनात्मक लेखन किया।

उनकी मौलिक पुस्तकों में नाट्यशास्त्र (1904 ई.), विक्रमांकदेव चरितचर्या (1907 ई.), हिन्दी भाषा की उत्पत्ति (1907 ई.) और संपत्तिशास्त्र (1907 ई.) प्रमुख हैं तथा अनूदित पुस्तकों में शिक्षा (हर्बर्ट स्पेंसर के 'एजुकेशन' का अनुवाद, 1906 ई.) और स्वाधीनता (जान, स्टुअर्ट मिल के 'ऑन लिबर्टी' का अनुवाद, 1907 ई.)। द्विवेदी जी ने विस्तृत रूप में साहित्य रचना की। इनके छोटे-बड़े ग्रंथों की संख्या कुल मिलाकर 81 है।

पद्य के मौलिक-ग्रंथों में काव्य-मंजूषा, कविता कलाप, देवी-स्तुति, शतक आदि प्रमुख है। गंगा लहरी, ॠतु तरंगिणी, कुमार संभव सार आदि इनके अनूदित पद्य-ग्रंथ हैं। गद्य के मौलिक ग्रंथों में तरुणोपदेश, नैषध चरित्र चर्चा, हिंदी कालिदास की समालोचना, नाटय शास्त्र, हिंदी भाषा की उत्पत्ति, कालीदास की निरंकुशता आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अनुवादों में वेकन विचार, रत्नावली, हिंदी महाभारत, वेणी संसार आदि प्रमुख हैं।

मौलिक पद्य रचनाएँ :-

  • देवी स्तुति-शतक (1892 ई.)
  • कान्यकुब्जावलीव्रतम (1898 ई.)
  • समाचार पत्र सम्पादन स्तवः (1898 ई.)
  • नागरी (1900 ई.)
  • कान्यकुब्ज-अबला-विलाप (1907 ई.)
  • काव्य मंजूषा (1903 ई.)
  • सुमन (1923 ई.)
  • द्विवेदी काव्य-माला (1940 ई.)
  • कविता कलाप (1909 ई.) पद्य
  • विनय विनोद (1889 ई.)- भर्तृहरि के 'वैराग्यशतक' का दोहों में अनुवाद
  • विहार वाटिका (1890 ई.)- गीत गोविन्द का भावानुवाद
  • स्नेह माला (1890 ई.)- भृतहरि के 'शृंगार शतक' का दोहों में अनुवाद
  • श्री महिम्न स्तोत्र 1891 ई.)- संस्कृत के 'महिम्न स्तोत्र का संस्कृत वृत्तों में अनुवाद
  • गंगा लहरी (1891 ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ की 'गंगा लहरी' का सवैयों में अनुवाद
  • ऋतुतरंगिणी (1891 ई.)- कालिदास के 'ऋतुसंहार' का छायानुवाद
  • सोहागरात (अप्रकाशित)- बाइरन के 'ब्राइडल नाइट' का छायानुवाद
  • कुमारसम्भवसार (1902 ई.)- कालिदास के 'कुमारसम्भवम्' के प्रथम पाँच सर्गों का सारांश।

मौलिक गद्य रचनाएँ :-

  • तरुणोपदेश (अप्रकाशित)
  • हिन्दी शिक्षावली तृतीय भाग की समालोचना (1901 ई.)
  • वैज्ञानिक कोश (1906ई.),
  • 'नाट्यशास्त्र' (1912ई.)
  • विक्रमांकदेवचरितचर्चा (1907ई.)
  • हिन्दी भाषा की उत्पत्ति (1907ई.)
  • सम्पत्तिशास्त्र (1907ई.)
  • कौटिल्य कुठार (1907ई.)
  • कालिदास की निरकुंशता (1912ई.)
  • वनिता-विलाप (1918ई.)
  • औद्यागिकी (1920ई.)
  • रसज्ञ रंजन (1920ई.)
  • कालिदास और उनकी कविता (1920ई.)
  • सुकवि संकीर्तन (1924ई.)
  • अतीत स्मृति (1924ई.)
  • साहित्य सन्दर्भ (1928ई.)
  • अदभुत आलाप (1924ई.)
  • महिलामोद (1925ई.)
  • आध्यात्मिकी (1928ई.)
  • वैचित्र्य चित्रण (1926ई.)
  • साहित्यालाप (1926ई.)
  • विज्ञ विनोद (1926ई.)
  • कोविद कीर्तन (1928ई.)
  • विदेशी विद्वान (1928ई.)
  • प्राचीन चिह्न (1929ई.)
  • चरित चर्या (1930ई.)
  • पुरावृत्त (1933ई.)
  • दृश्य दर्शन (1928ई.)
  • आलोचनांजलि (1928ई.)
  • चरित्र चित्रण (1929ई.)
  • पुरातत्त्व प्रसंग (1929ई.)
  • साहित्य सीकर (1930ई.)
  • विज्ञान वार्ता (1930ई.)
  • वाग्विलास (1930ई.)
  • संकलन (1931ई.)
  • विचार-विमर्श (1931ई.)

गद्य (अनूदित) :-

  • भामिनी-विलास (1891ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ के 'भामिनी विलास' का अनुवाद
  • अमृत लहरी (1896ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ के 'यमुना स्तोत्र' का भावानुवाद
  • बेकन-विचार-रत्नावली (1901ई.)- बेकन के प्रसिद्ध निबन्धों का अनुवाद
  • शिक्षा (1906ई.)- हर्बर्ट स्पेंसर के 'एज्युकेशन' का अनुवाद
  • 'स्वाधीनता' (1907ई.)- जॉन स्टुअर्ट मिल के 'ऑन लिबर्टी' का अनुवाद
  • जल चिकित्सा (1907ई.)- जर्मन लेखक लुई कोने की जर्मन पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद का अनुवाद
  • हिन्दी महाभारत (1908ई.)-'महाभारत' की कथा का हिन्दी रूपान्तर
  • रघुवंश (1912ई.)- 'रघुवंश' महाकाव्य का भाषानुवाद
  • वेणी-संहार (1913ई.)- संस्कृत कवि भट्टनारायण के 'वेणीसंहार' नाटक का अनुवाद
  • कुमार सम्भव (1915ई.)- कालिदास के 'कुमार सम्भव' का अनुवाद
  • मेघदूत (1917ई.)- कालिदास के 'मेघदूत' का अनुवाद
  • किरातार्जुनीय (1917ई.)- भारवि के 'किरातार्जुनीयम्' का अनुवाद
  • प्राचीन पण्डित और कवि (1918ई.)- अन्य भाषाओं के लेखों के आधार पर प्राचीन कवियों और पण्डितों का परिचय
  • आख्यायिका सप्तक (1927ई.)- अन्य भाषाओं की चुनी हुई सात आख्यायिकाओं का छायानुवाद

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