पीटर महान का जीवन परिचय

पीटर महान का जीवन परिचय, पीटर महान की जीवनी, Peter the Great Biography In Hindi, Information About Peter the Great. पीटर रोमानोभ वंश के संस्थापक माइकेल रोमानोभ का पौत्र था। वह जार थियोडस का छोटा भाई था। थियोडस की मृत्यु (1682 ई.) के समय पीटर की आयु 10 वर्ष थी। 1689 ई. तक पीटर व उसका भाई इवान बड़ी बहिन सोफिया के संरक्षण में रहे। 1689 ई. में सोफिया को शासनाधिकार से वंचित किए जाने के बाद शासन की बागडोर पीटर व इवान के हाथों में आ गई। 1696 ई. में इवान की मृत्यु हो गई और समस्त शक्तियाँ पीटर के हाथों में केन्द्रित हो गईं।

Peter The Great Jeevan Parichay Biography
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जिस समय पीटर रूस का शासक बना, रूस में बड़ी अव्यवस्था फैली हुई थी। पुनर्जागरण के फलस्वरूप पश्चिमी यूरोप में जो परिवर्तन हुए थे, रूस उनसे अप्रभावित था। इसके अनेक कारण थे - रूस रूढ़िवादी यूनानी चर्च का उपासक था। पश्चिमी यूरोप के लैटिन कैथोलिक देशों से कोई सम्पर्क न होने के कारण रूस में धर्म सुधार आन्दोलन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था, सांस्कृतिक दृष्टि से रूस अत्यन्त पिछड़ा हुआ था, रूस एक कृषि प्रधान देश था। वैज्ञानिक विकास के अभाव के कारण यहाँ औद्योगिक विकास सम्भव नहीं था, रूस के पश्चिम में पोलैण्ड, स्वीडन, ऑस्ट्रिया आदि शक्तिशाली राज्यों के होने के कारण रूसी सीमाओं का विस्तार अवरुद्ध था, 13वीं से 15वीं शताब्दी तक रूसी क्षेत्रों पर मुगल तातारियों का काफी बड़े भाग पर आधिपत्य स्थापित रहा। रूसी सामन्त तथा समाज के अन्य वर्गों पर तातारी संस्कृति हावी रही । यूरोप और रूस के रहन-सहन में बड़ा अन्तर था। रूस का पश्चिमी यूरोप के देशों से सम्पर्क स्थापित होने के लिए उसका बाल्टिक या काले सागर पर प्रभुत्व आवश्यक था। बाल्टिक सागर पर स्वीडन का तथा काले सागर पर तुर्की का आधिपत्य स्थापित था। उपर्युक्त कारणों से रूस सभ्यता की दौड़ में यूरोप से बहुत पीछे था।


सभ्यता और संस्कृति की दृष्टि से पिछड़े हुए रूस को अज्ञानता और रूढ़िवादिता के अन्धकार से निकालना तथा इसका पाश्चात्यीकरण करना उसका महत्त्वपूर्ण उद्देश्य था। पीटर रूस को यूरोपीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिलाना चाहता था। यूरोपीय राज्यों से मित्रतापूर्ण सम्बन्धों की स्थापना उसकी प्राथमिकता थी। पीटर काला सागर तथा बाल्टिक सागर पर अधिकार कर व्यापार मार्ग खोलना चाहता था। पीटर रूस में सुदृढ़ एवं निरंकुश केन्द्रीय शासन स्थापित करना चाहता था। इतिहासकार थैचर के अनुसार, "पीटर महान अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अथक प्रयास करता रहा और सभी उद्देश्यों में उसे सफलता प्राप्त हुई, जो निःसन्देह अद्भुत थी।"

पीटर जानता था कि निरंकुश राजतन्त्र की स्थापना तथा रूस का आधुनिकीकरण तब तक सम्भव नहीं होगा जब तक कि उसके मार्ग की बाधाएँ-अंगरक्षक दल, सामन्तीय सभा तथा चर्च पर उसका नियन्त्रण स्थापित नहीं होगा। उसने रूस की तीनों बाधाओं को दूर कर रूस का आधुनिकीकरण करने के लिए निम्नलिखित कार्य किए - यूरोपीय देशों की यात्रा-1697 ई. में पीटर ने यूरोपीय देशों से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर कूटनीतिक सहायता की प्राप्ति के लिए एक रूसी मिशन विदेश भेजा, जिसमें वह स्वयं भी सम्मिलित हुआ। हॉलैण्ड, प्रशा तथा अन्य कई देशों की यात्रा पीटर के लिए अनुभव की पाठशाला सिद्ध हुई। उसने हॉलैण्ड के जहाज निर्माण, खगोल विद्या तथा प्रशा के सैनिक संगठन, रण पद्धति आदि का सूक्ष्म अवलोकन किया। पीटर महान के सुधारवादी विचार बोयर्स को पसन्द नहीं थे। बोयर्स एक शक्तिशाली संस्था का रूप ले चुकी थी। बोयर्स को नष्ट किए बिना पीटर सुधारवादी कार्य नहीं कर सकता था। अत: पीटर ने बोयर्स को भंग कर एक नई समिति का गठन किया। यह समिति मात्र परामर्शदात्री समिति थी, जिसमें सम्राट् के प्रति वफादार लोगों को नियुक्त किया गया।

पीटर चर्च पर पूर्ण राजकीय नियन्त्रण स्थापित करना चाहता था। 1700 ई. में रूसी चर्च के पेट्रार्क (प्रधान) की मृत्यु हो गई। पीटर ने उसके उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं की, बल्कि उसके स्थान पर प्रशासक नियुक्त कर दिया। 1721 ई. में पीटर ने एक धार्मिक समिति (Holy Synod) की स्थापना की। इसका प्रधान स्वयं पीटर था। चर्च का प्रबन्ध इस समिति को सौंपा गया। समिति के सदस्यों को पीटर नियुक्त करता था। इस प्रकार चर्च पर पूर्ण राजकीय नियन्त्रण स्थापित किया गया। इसके पश्चात् चर्च जारशाही का मुख्य स्तम्भ बन गया। पीटर ने स्वीडन के नमूने पर रूसी नौकरशाही का निर्माण किया। प्रशासन के निरीक्षण के लिए सीनेट का गठन किया। इसके सदस्य राज्य के उच्च अधिकारी होते थे, जो जार के द्वारा नियुक्त किए जाते थे। सीनेट सेना, न्याय और अर्थ, सभी कार्यों का निरीक्षण करती थी।

पीटर ने भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए कड़े कदम उठाए। भ्रष्ट कर्मचारियों को कठोर दण्ड दिए गए। कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्ति और पदच्युति पीटर की इच्छानुसार होने लगी। पीटर ने रूस के आर्थिक विकास के लिए अनेक योजनाएँ बनाईं तथा उन्हें कार्यान्वित किया। विदेश यात्रा के दौरान उसने स्वयं जहाज बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त उसने शरीर-रचना शास्त्र, कागज बनाने, आटा पीसने तथा छापाखाना उद्योग के विषय में जानकारी प्राप्त की थी। रूस को आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनाने के लिए पीटर ने निम्नलिखित कार्य किए, पीटर ने इंजीनियरिंग, चिकित्सा, स्थापत्य तथा जहाज का लाम सिखाने के लिए विदेशों से प्रशिक्षकों को रूस में आमन्त्रित किया। रूस में उद्योग-धन्धों की शिक्षा के लिए तकनीकी स्कूल खोले गए। पीटर ने रूस के व्यापार-वाणिज्य की उन्नति के लिए कम्पनियों की स्थापना की और यूरोपीय राज्यों के साथ व्यापारिक सन्धियाँ कीं।

पीटर प्रत्येक क्षेत्र में रूस को आत्म-निर्भर बनाना चाहता था। इसलिए उसने महत्त्वपूर्ण पदों पर रूसियों को नियुक्त किया और उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था। पीटर रूस को पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति के ढाँचे में ढालना चाहता था। इसके लिए उसने सामाजिक क्षेत्र में निम्नलिखित क्रान्तिकारी परिवर्तन किए, पीटर ने रूसियों को मध्य एशियायी रहन-सहन के तरीके त्यागकर पाश्चात्य नमूने पर जीवन व्यतीत करने के तौर-तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उसने लोगों को दाढ़ी कटवाने और यूरोपीय वेशभूषा अपनाने को प्रोत्साहित किया। दाढ़ी रखने वालों को कर देना पड़ता था। रूस में हुक्का पीने का प्रचलन था। पीटर ने पाश्चात्य ढंग से धूम्रपान करने पर जोर दिया। रूस में स्त्रियों को पर्दा करना पड़ता था। उसने पर्दा प्रथा समाप्त करने तथा सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में स्त्रियों को पुरुषों के साथ सक्रिय रूप से भाग लेने को प्रोत्साहित किया। कुलीन वर्ग के लोगों को पारिवारिक भोज की प्रथा अपनाने पर जोर दिया। पश्चिमी नृत्य को लोकप्रिय बनाने के प्रयास किए।

रूसी संवत् का आरम्भ 1 सितम्बर से होता था। इसके स्थान पर 1 जनवरी से आरम्भ होने वाले जूलियन संवत् को लागू किया। पीटर रूसियों को यूरोपीय शिक्षा पद्धति के आधार पर शिक्षित बनाना चाहता था। उसने कुलीन वर्ग के लिए शिक्षा प्राप्त करना तथा एक यूरोपियन भाषा का ज्ञान प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया। प्राथमिक शिक्षा के विकास के लिए स्कूल खोले गए। नौसेना, चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि की शिक्षा के लिए तकनीकी स्कूल खोले गए। 1724 ई. में उसने 'विज्ञान अकादमी' स्थापित की। यूरोपीय देशों से घनिष्ठ राजनीतिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्धों के विकास के लिए सेण्ट पीटर्सबर्ग (लेनिनग्राद) में नई राजधानी बनाई गई और स्थापत्य के क्षेत्र में अनेक कार्य करवाए।

पीटर महान काला सागर तथा बाल्टिक सागर तक पहुँच करके पश्चिम के लिए एक सीधा मार्ग बनाना चाहता था। काले सागर तक पहुँचने के लिए पीटर को 1696 ई. में तुर्क सल्तान के साथ युद्ध करके विजय प्राप्त करनी पड़ी। इस विजय के कारण उसका आजोब के बन्दरगाह पर अधिकार हो गया और रूस को काले सागर तक पहुँचने में सफलता प्राप्त हो गई। बाल्टिक सागर तक पहुँचना - रूस की तरफ का बाल्टिक सागर का क्षेत्र स्वीडन के अधिकार में था। अत: पीटर ने स्वीडन पर आक्रमण करके बाल्टिक सागर के तटीय क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। गर्म पानी की नीति - रूस के उत्तर में श्वेत सागर था, जो प्राय: बर्फ से ढका रहता था। इसलिए इसके द्वारा यूरोप तक नहीं जाया जा सकता था। अत: पीटर ने इस प्रकार के समुद्रों तक पहुँचने की नीति अपनाई जो बर्फ से न ढके हों और वर्षभर जहाजों के आने-जाने के काम में आते रहें। इस नीति के आधार पर | पीटर ने काले सागर और बाल्टिक सागर तक पहुँचने में सफलता प्राप्त की।

पीटर के सुधारों का प्रत्येक क्षेत्र में प्रभाव पड़ा। हेज के अनुसार, "पीटर के सुधारों ने राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक अंग का स्पर्श करके रूस की कायापलट कर डाली।" पीटर के प्रयासों से रूस पिछड़ी हुई अवस्था त्यागकर आधुनिक यूरोपीय राज्यों की पंक्ति में आ खड़ा हुआ। इसीलिए पीटर को 'आधुनिक रूस का पिता अथवा आधुनिक रूस का निर्माता कहा जाता है।

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