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साक्षी मलिक का जीवन परिचय

Sakshi Malik Biography In Hindi, साक्षी मलिक का जन्म 03 सितम्बर 1992 को हरियाणा के रोेहतक जिले में मोखरा खास नामक गांव में हुआ था। साक्षी के जन्म के कुछ समय बाद उनकी मां सुदेश मलिक की आंगनबाड़ी में नौकरी लग गयी और पिता सुखबीर मलिक दिल्ली में बस कंडक्टर हो गये। ऐसे में समस्या आई कि साक्षी का क्या किया जाए। काफी सोच विचार के बाद साक्षी को गांव में उसके दादा-दादी के पास छोड़ दिया गया, जहां पर वह पली और बढ़ी।

Sakshi Malik Biography
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इनके के दादा बदलूराम इलाके के मशहूर पहलवान थे। आसपास के इलाके में उनका बड़ा रुतबा था। उनके घर पर जो भी आता, वह ऐहतराम के साथ ‘पहलवान जी, नमस्ते’ कह कर उनका अभ‍िवादन करता। यह सुनकर नन्ही साक्षी आनंद से भर जाती। धीरे-धीरे उसके मन में यह बात बैठ गयी कि अगर वह भी अपने दादा की तरह पहलवान बन जाए, तो लोग उसको भी इसी तरह से मान-सम्मान देंगे।

सात साल तक दादा के पास रहने के बाद साक्षी अपनी मां के पास लौट गयी। लेकिन तब तक वह पहलवान बनने का दृढ निश्चय कर चुकी थी। मां ने जब उसकी इच्छा सुनी, तो वह चौंक उठीं। उसके पिता और दादा ने भी साक्षी का विरोध किया, क्योंकि उन्हें डर था कि कुश्ती के चक्कर में कहीं उसके हाथ-पैर न टूट जाएं। सभी लोगों ने साक्षी को बहुत समझाया, पर साक्षी टस से मस नहीं हुई। और अंतत: साक्षी के घर वाले उसे कुश्ती की ट्रेनिंग देने के लिए तैयार हो गये।

साक्षी मलिक (Sakshi Malik) भारतीय महिला पहलवान हैं। इन्होंने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता है। भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली वे पहली महिला पहलवान हैं। इससे पहले इन्होंने ग्लासगो में आयोजित 2014 के राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था। 2014 के विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया।

ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में महिला कुश्ती का कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचने वाली साक्षी समाज और परिवार से लड़ कर इस मकाम तक पहुंची है। क्योंकि एक लड़की पहलवान बने, न तो यह उसके मां-बाप को मंजूर था और न उनके पहलवान दादाजी को ही। लेकिन अपनी दृढ़ इच्क्षा शक्ति के बल पर आख‍िर साक्षी ने वह पा लिया, जो उसने चाहा था।

2016 ओलम्पिक में साक्षी ने रेपचेज़ प्रणाली के तहत काँस्य पदक हासिल किया। इस मुकाबले में वे एक समय में 5-0 से पीछे चल रहीं थी किंतु शानदार वापसी करते हुए अंत में 7-5 से मुकाबला अपने नाम कर लिया। आखरी कुछ सेकंड में जो दो विजयी अंक उन्होंने जीते उसे प्रतिद्वंद्वी पक्ष द्वारा चैलेंज किया गया, लेकिन निर्णायकों ने अपना फैसला बरकरार रखा और असफल चैलेंज का एक और अंक साक्षी के खाते में जुड़ा जिसे अंतिम स्कोर 8-5 हो गया। 2016 के ओलंपिक में भारत का यह पहला पदक था।

पदक जीतने के बाद उन्हें कई इनाम देने की घोषणा हुई, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :- हरियाणा सरकार: 2.5 करोड़, दिल्ली सरकार: 1 करोड़ रुपए, रेलवे : 50 लाख, भारतीय ओलम्पिक संघ : 20 लाख, जेएसडब्ल्यू : 15 लाख, सलमान ख़ान : 1 लाख एक हज़ार।

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