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अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है, दिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है। इशारा तो करो मुझको कभी अपनी निगाहों से, अगर है इश्क़ मुझसे तो जताना भी ज़रूरी है। अगर कर ले सभी ये काम झगड़ा हो नहीं सकता, ख़ता कोई नज़र आए छुपाना भी ज़रूरी है। अगर टूटे कभी रिश्ता तुम्हारी हरकतों से जब, पड़े क़दमों में जाकर फिर मनाना भी ज़रूरी है। कभी मज़लूम आ जाए तुम्हारे . . . Read More . . .
फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए, फिर वही सपना सजाना तो चाहिए। यूँ मशक़्क़त इश्क़ में करनी चाहिए, जाम नज़रों से पिलाना तो चाहिए। . . . Read More . . .
"कविता" होकर कौतूहल के वश में, गया एक दिन मै सर्कस में। भय-विस्मय के काम अनोखे, देखे बहु व्यायाम अनोखे। एक बड़ा-सा बन्दर आया, उसने झटपट लैंप जलाया। झट कुर्सी पर पुस्तक खोली, आ तब तक मैना यूँ बोली। हाजिर है हुजूर का घोड़ा, चौंक उठाया उसने कोड़ा। आया तब तक एक बछेरा, चढ़ बंदर ने उसको फेरा। एक मनुष्य अंत में आया, पकड़े हुए सिंह को लाया। मनुज-सिंह की देख लड़ाई, की मैंने इस . . . Read More . . .
उठो, धरा के अमर सपूतों, पुन: नया निर्माण करो। जन-जन के जीवन में फिर से, नव स्फूर्ति, नव प्राण भरो। नई प्रात है नई बात है, नया किरन है, ज्योति नई। नई उमंगें, नई तरंगें, नई आस है, साँस नई। युग-युग के मुरझे सुमनों में, नई-नई मुस्कान भरो। उठो, धरा के अमर सपूतों, पुन: नया निर्माण करो।। डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ, नए स्वरों में गाते हैं। गुन-गुन, गुन-गुन करते भौंरें, मस्त उधर मँडराते हैं। नवयुग की . . . Read More . . .
जय तिरंग ध्वज लहराओ, दुर्ग और मीनारों पर, मंदिर और घर द्वारों पर, अंबर के नीले तल पर, सागर के गहरे जल पर। सत्य पताका फहराओ, जय तिरंग ध्वज लहराओ। मुक्ति दिवस भारत माँ का, बीता समय निराशा का, युग-युग तक मिटने के बाद, पुन: हो रहे हैं आबाद। विजय गीत सौ-सौ गाओ, जय तिरंग ध्वज लहराओ। मिटी हमारी लाचारी, अब उठने की है बारी, आओ सब मिल काम करें, सारे जग में नाम करें। . . . Read More . . .