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आग जलनी चाहिए - हिंदी कविता

हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए।
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

Aag Jalani Chahiye Hindi Rhymes
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हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे साइन में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

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