गरीबी कविता, Garibi Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
पटाखों की दुकान से दूर हाथों में,
कुछ सिक्के गिनते मैनें उसे देखा।
एक गरीब बच्चे की आंखों में,
मैंने दीवाली को मरते देखा।
थी चाह उसे भी नए कपड़े पहनने की,
पर उन्हीं पुराने कपड़ों को साफ करते देखा।
हम करते हैं सदा अपने गमों की नुमायश,
उसे चुपचाप अपने गमों को पीते देखा।
मैंने पूंछा बच्चे क्या चाहिये तुम्हें?
उसे मुस्कराते हुए 'न' में सिर हिलाते देखा।
थी वह उम्र बहुत छोटी अभी,
उसके अन्दर मैंने जमीर को पलते देखा।
रात को सारे शहर के दीपों की लौ में,
उसको हंसते मगर बेवस चेहरे को देखा।
हम तो जिन्दा हैं अभी शान से यहाँ,
पर उसे जीते जी शान से मरते देखा।
कहते हैं, त्योहार होते हैं खुशियों के लिए,
पर मैंने उसे मन ही मन में घुटते और तरसते देखा।