इस बरस की होली - हिंदी कविता

इस बरस की होली
कुछ याद आ रहा है।

बचपन की यादें मुझको
मन को हिला रहा है।

पापा के रंग प्यारे
मम्मी की बो मलाई

छोटी-छोटी पिचकारी
संग छोटे बहन-भाई।

Is Baras Ke Holi Poem Hindi Rhymes
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होली की वो शरारत
राहों में खड़े होकर

पिचकरी में रंग भरना
दोस्तों पे रंग लगाकर

फिर रूठना और मनाना
उन छोटे-छोटे पल में

खुद को भूल जाना।
इस बरस की होली

कुछ याद आ रहा है।
रंगों के रंग में रंग कर

दो-चार बार नहाना
मम्मी-पापा का गुस्सा

फिर प्यार से मुस्काना
थे दो रूपये के छुट्टे

दौडकर दुकान जाना
दो रूपये के रंग में

खुद को भूल जाना
बचपन की वही होली
क्यों, याद आ रही है?

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