कई गलियों के बीच, कई नालों के पार
कूड़े-करकट के ढेरों के बाद
बदबू से फटते जाते इस टोले के अन्दर
खुशबू रचते हैं हाथ।
उभरी नसों वाले हाथ, घिसे नाखूनों वाले हाथ
पीपल के पत्ते से नए-नए आकारों वाले हाथ,
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ, गंदे कटे-पिटे हुए हाथ,
जख्म से फटे हुए हाथ, खुशबू रचते हैं हाथ।
यहीं इसी गली में बनती हैं, मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग, बनाते हैं केवड़ा, गुलाब,
खस और रातरानी अगरबत्तियाँ, दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू। रचते हैं हाथ।