माँ का प्यार - कविता

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Maa Ka Pyaar Hindi Rhymes
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"कविता"

महीने बीत जाते हैं, साल गुजर जाता है,
वृद्धाश्रम की सीड़ियों पर, मैं तेरी राह देखती हूं।

आंचल भीग जाता है, मन खाली सा लगता है,
तू कभी नहीं आता, तेरा मनीआर्डर आता है।

इस बार पैसे न भेज, तू खुद आ जा,
बेटा मुझे अपने साथ, अपने घर ले जा।

तेरे पापा थे जब तक, दिन ठीक से रहे कटते,
खुली आंखो से चले गए, तुझे याद करते करते।

अंत तक तुझको हर दिन, बढ़िया बेटा कहते थे,
तेरे साहबपन का, गुमान बहुत करते थे।

मेरे हृदय में अपनी फोटो, आकर तू देख जा,
बेटा मुझे अपने साथ, अपने घर ले जा।

अकाल के समय तेरा, जन्म हुआ था,
तेरे दूध के लिए, हमने चाय पीना छोड़ दिया था।

वर्षों तक एक कपड़े को, धो धो कर पहना हमने,
पापा ने चिथड़े पहने, पर तुझे स्कूल भेजा हमने।

चाहे तो यह सारी बातें, आसानी से तू भूल जा,
बेटा मुझे अपने साथ, अपने घर ले जा।

घर के बर्तन मैं माजुंगी, झाड़ू पोंछा मैं करूंगी,
खाना दोनों वक्त का, सबके लिये बना दूंगी।

नाती नातिन की देखभाल, अच्छी तरह करूंगी मैं,
घबरा मत दादी हूं उनकी, पर सबके सामने नहीं कहूंगी मैं।

तेरे घर की नौकरानी, ही समझ मुझे ले जा,
बेटा मुझे अपने साथ, अपने घर ले जा।

आंखें मेरी थक गई, प्राण अधर, में अटका है,
तेरे बिना जीवन जीना, अब मुश्किल लगता है।

कैसे मैं तुझे भुला दूं, तू जन्मा तभी तो मैं माँ हुई,
बता ऐ मेरे कुलभूषण, अनाथ मैं कैसे हुई।

अब आ जा तू, एक बार तो माँ कह जा,
हो सके तो जाते जाते, वृद्धाश्रम गिराता जा।
बेटा मुझे अपने साथ, अपने घर ले जा।।

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