नजर नहीं आते कविता, Nazar Nahi Aate Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
बेजान मिटटी में, हरे भरे शजर नहीं आते,
बहुत खुश थे अब परिंदे वो नजर नहीं आते।
बेहद मुहब्बत थी, इस आँगन के खिलौनों से,
अब बुलाते है उनको, तो वो घर नहीं आते।
एक जिद थी तराशते बुतों में जान भरने की,
वह दरार क्या पड़ी उन्हें पत्थर नहीं भाते।
इतनी नफरत इनको यह भी कौन समझाए,
अपनों के साइन कभी, नस्तर नहीं चुभाते।
इतना मायूस किया कि जिगर के टुकड़ों ने,
वो घर भी आते है तो हँसकर नहीं आते।
शर्म इतनी तो बाकी है लहू के कतरों में,
कि सांप फुफकारते है पर डंस कर नहीं जाते।
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