Advertisement

पुष्प की अभिलाषा - हिंदी कविता

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं प्रेमी-माला में
बंध प्यारी को इठलाऊँ,

चाह नहीं सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ,

Pushp Ki Abhilasha Poem Hindi Rhymes
Advertisement

चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,

मुझे तोड़ लेना बनमाली
उस पथ पर तुम देना फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जाते वीर अनेक।

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories