हनुमान जयंती

हनुमान जयंती पर्व, Hanuman Jayanti Festival In Hindi, संकटों को हरने वाले देवता हनुमान जी कलयुग में सबसे ज्यादा प्रभावशाली व चमत्कारी है। जिनके नाम मात्र से भूत-प्रेत व भय दूर भागता हो, हनुमान जी को शिवजी का ग्यारहवां अवतार माना जाता है। हिन्दू मान्यतानुसार रुद्रावतार भगवान हनुमान माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। हनुमान जी की जन्मतिथि पर कई मतभेद हैं लेकिन अधिकतर लोग चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही हनुमान जयंती के रूप में मानते हैं। हनुमान जी के जन्म का वर्णन वायु- पुराण में किया गया है।

Hanuman Jayanti Indian Festival
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श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी दिन भर तो अपने श्री राम के सेवा में लगे रहते है और रात्रि के समय अपने भक्तों की सुधि लेते है। इसलिए हनुमान जी की आराधना व स्तुति रात्रि के समय ही करनी चाहिए तभी वो आपकी समस्याओं का निवारण कर सकेंगे। अपने भक्तो के हर कष्ट का निवारण करने के लिए बजरंग बली हमेशा तैयार रहते है।

हनुमान जयंती के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी की पूजा में चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी रखने की परंपरा है।

हनुमान को सिन्दूर और तेल अर्पित करें। जिस प्रकार शादीशुदा स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए माँग में सिन्दूर लगाती है, ठीक उसी प्रकार से हनुमान जी भी अपने स्वामी श्री रामचन्द्र के लिए पूरे शरीर में सिन्दूर लगाते है। जो भक्त हनुमान जी को सिन्दूर अर्पित करता है, उसकी लगभग सभी इच्छायें पूर्ण होती है।

प्रातःकाल पीपल के कुछ पत्ते तोड़ लें और उन पत्तों पर लाल चन्दन व कुमकुम से श्रीराम नाम लिखें। तत्पश्चात इन पत्तों की माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित करें। ये उपाय करने से शत्रुओं का शमन होता है और करियर व व्यापार में प्रगति होती है। हनुमान जयन्ती के दिन मन्दिर में एक नारियल पर स्वास्तिक बनाकर हनुमान जी को अर्पित कर दें। ऐसे करने से रोग का शमन होता है। हनुमान जी के सामने रात्रि को चैमुखी दीपक जलायें। ऐसा करने से आपके घर-परिवार में आने वाली बाधायें समाप्त हो जायेंगी।

'लाल देह लाली लसे, अरूधरि लाल लंगूर। वज्र देह दानव दलन, जय-जय कपि सूर। हनुमान जी ने वज्र रूप धारण करके दानवों का नाश किया था। वज्र योग में हनुमान जी की आराधना करने से शत्रुओं का शमन होता है और युद्ध में विजय प्राप्त होती है। इस योग में जन्मे बालक का शरीर बलिष्ठ होता है, साहसी होता, पराक्रमी होता है और अपने माता-पिता की सेवा करने वाला होता है।

हनुमान जयन्ती पड़ने से राजयोग का प्रभाव और अधिक शक्तिशाली हो जाता है। यदि इस काल में कोई बच्चा जन्म लेता है, तो उस पर सर्वप्रथम बजरंगबली की कृपा रहेगी और साथ में राजयोग रहने से अपने जीवन में यह बालक सफलता के नयें इतिहास रचेगा। राजयोग के काल में हनुमान जी की स्तुति करने से राजयोग के तुल्य फल की प्राप्ति होती है।

हनुमान जयन्ती के दिन क्षितिज पर चित्रा नक्षत्र का प्रभाव रहता है। चित्रा नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि मंगल को जन्में, मंगल ही करते, मंगलमय भगवान। इस दिन मंगल का विशेष प्रभाव रहेगा। इस दिन हनुमान जी का अनुष्ठान व पूजन करने से साहस, आत्मबल, आत्म चिन्तन, बल-बुद्धि और वीरता में वृद्धि होगी एंव आपके घर-परिवार में मंगल ही मंगल होता है।

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