भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) उपमहाद्वीप के उत्तरपूर्वी छोर पर कम आबादीवाला पहाड़ी इलाका है, जिसकी दक्षिणी सीमा पर असम, पश्चिम में भूटान, उत्तर और उत्तरपूर्व में चीन और पूर्व में म्यांमार है, जिसका पुराना नाम बर्मा था। अरुणाचल प्रदेश, जिसके नाम का संस्कृत में अर्थ "उगते सूरज की धरती" है, का क्षेत्र 83,743 वर्ग किमी है। अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) का ज्यादातर इलाका पहाड़ी है। ये बेतरतीब और कठिन है, ये गहरी घाटियों से लेकर हिमालय पर्वत की उंचाई तक है।
राज्य की मुख्य नदी ब्रह्मपुत्र है, जिसे अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में सियांग के नाम से जाना जाता है और इसकी सहायक नदियां तीरप, लोहित, सुबनसीरी और भरेली हैं। यहां तलहटी की जलवायु सबट्रापिकल है और पहाड़ों की उंचाई की ओर बढ़ते हुए तापमान तेजी से कम होता जाता है। यहां साल भर में बारिश का औसत 2,000 से 4,000 मिलीमीटर का है। अरुणाचल प्रदेश की एकल-कक्ष विधानसभा है, जिसकी 60 सीटे हैं। इस राज्य से तीन सदस्य भारतीय संसद जाते हैं, जिनमें एक राज्यसभा और दो निचले सदन यानी लोकसभा के लिए होते हैं। राज्य में 12 प्रशासनिक जिले हैं।
जिस क्षेत्र में आज अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) है उसका जि़क्र पुराणों में मिलता है, लेकिन राज्य के प्रारंभिक इतिहास के बारे में कुछ ज्यादा नहीं जाना जाता। सोलहवीं सदी में असम के अहोम राजा द्वारा अरुणाचल प्रदेश के हिस्से पर कब्जा कर लिया गया था।
सन् 1826 में असम ब्रिटिश भारत का भाग बन गया पर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) को ब्रिटिश प्रशासन के तहत् लाने के प्रयास सन् 1880 तक भी शुरु नहीं हुए थे। सन् 1912 में यह क्षेत्र नाॅर्थ ईस्टर्न फ्रंटीयर ट्रेक्ट एनइएफटीद्ध के नाम से असम की एक प्रशासनिक इकाई बन गया और सन् 1954 में एनइएफटी नाॅर्थ ईस्ट फ्रंटीयर ऐजेंसी बन गया। इसकी तिब्बत से लगी उत्तरी सीमा सन् 1913 से विवादित है, जब चीन ने हिमालय की चोटी को सीमा मानने का ब्रिटिश प्रस्ताव ठुकरा दिया था। मैकमोहन लाइन नाम से पहचानी जाने वाली प्रस्तावित सीमा तब से ही वास्तविक सीमा है। सन् 1947 में भारत की आजादी के बाद से चीन, पूर्व और पश्चिम कामेंग, लोअर और अपर सुबनसीरी, पूर्व और पश्चिम सियांग और लोहित के पूरे इलाके पर अपना दावा करता रहा है, उसका तर्क है कि उसने कभी भी मैकमोहन लाइन को स्वीकार नहीं किया जो कि ब्रिटिशों की नाराजगी का कारण भी बना।
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) अपनी राष्ट्रीय सीमा असम और नागालैंड के साथ साझा करता है और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पश्चिम में भूटान, उत्तर में चीन और पूर्व में म्यांमार के साथ बांटता है। राज्य का उत्तरपूर्वी क्षेत्र हिमालय श्रृंखला से ढंका है। यह पर्वत श्रृंखला अरुणाचल प्रदेश को पूर्व में तिब्बत से अलग करती है। हिमालय श्रृंखला के अलावा ज्यादातर जमीन पटकाई की पहाडि़यों और हिमालय की तलहटी से घिरी है। राज्य का कुल क्षेत्र 83,743 वर्ग किमी है।
राज्य की मौसम की स्थिति उंचाई बढ़ने के साथ बदलती है। उपरी हिमालय की जलवायु टुंड्रा और मध्य हिमालय की जलवायु संतुलित है। उप-हिमालय और समुद्र स्तर के इलाकों में गर्मी का मौसम सबट्रापिकल और नम और सर्दियां हल्की होती हैं।
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) सरकार में एक सभा की विधायी निकाय है। विधान परिषद् विधानसभा के 60 सदस्यों से बनी है। यही अरुणाचल प्रदेश की सरकार और राजनीति का मुख्य केन्द्र है। राज्यपाल निर्भय शर्मा राज्य के विधिकारी मुखिया हैं। अरुणाचल प्रदेश की कार्यकारिणी में 11 कैबिनेट मंत्रियों की परिषद् है। विभिन्न सचिवालय और निदेशालय सरकार के विभिन्न विभागों को सुचारु रुप से चलाने का काम करते हैं। यह विभिन्न सरकारी परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का भी कार्य करते हैं।
कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था का स्तंभ है। दालें, चावल, गेहंू, गन्ना, मक्का, बाजरा, तिलहन और अदरक की फसलें यहां होती हैं। अरुणाचल प्रदेश का ज्यादातर इलाका जंगलों से ढंका है इसलिए वन उत्पाद यहां की अर्थव्यवस्था का आधार हैं। अरुणाचल प्रदेश में कई फल संरक्षण विभाग, चावल मिलें, फलों के बगीचे, हस्तकरघा, हस्तशिल्प और बागवानी इकाइयां हैं। अरुणाचल प्रदेश ने राजनीतिक और सामाजिक अशांति के चलते अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अवसर खो दिया है। अरुणाचल प्रदेश में बड़ी मात्रा में वन क्षेत्र, खनिज और जल विद्युत संसाधन हैं। यहां की मुख्य फसलें चावल, मक्का, बाजरा, गेंहू, दालें, आलू, गन्ना, फल और तिलहन हैं।
ईटानगर यहां की राजधानी और सरकार का मुख्यालय है। राज्य में 16 जिले हैं और हर मंडल जिला कलेक्टर के अधीन होता है। राज्य के राज्यपाल निर्भय शर्मा और मुख्यमंत्री नबम तुकी हैं।
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की ज्यादातर आबादी एशियाई मूल की है और इनकी तिब्बत और म्यांमार के लोगों से शारीरिक समानता दिखती है। विशिष्ट भौगोलिक विभाजन के साथ यहां कई दर्जन जनजातियां और उप जनजातियां हैं। पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश में मुख्य जनजातियां निस्सी ;नीशी या डबलाद्ध, सुलुंग, शेरडेपेन उर्फ मोन्पा, आपा तानी और हिल मेरी हैं। आदि राज्य का सबसे बड़ा जनजाति समूह है और इसका कब्जा केन्द्रीय क्षेत्र पर है। मिशमी लोग उत्तरपूर्वी पहाडि़यों, और वांचों, नोक्टे और तंगसा की आबादी तीरप जिले के दक्षिणपूर्वी हिस्से में है। यह जनजातियां 50 विभिन्न भाषाएं और बोलियां बोलती हंै, जो ज्यादातर चीनी-तिब्बती परिवार की तिब्बती-बर्मी शाखा से संबंधित हैं। ये भाषाएं अस्पष्ट होने के कारण असमी, हिन्दी और अंग्रेजी को संवाद के लिए उपयोग किया जाता है। एक नियम के तौर पर इन जनजातियों में आपस में विवाह नहीं होते और इनकी सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं भी अलग हैं।
प्राकृतिक आश्चर्य कहे जाने वाले इस राज्य में कई लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैैं। अरुणाचल प्रदेश की कुछ मशहूर जगहें ईटानगर, तवांग, बोमडिला, भिस्माकनगर और आकाशगंगा हैं। राज्य में चार राष्ट्रीय उद्यान और सात वन्यजीव अभ्यारण्य हैं जो कि पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं।
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) को प्राकृतिक सुंदरता का वरदान मिला है। चांदनी पहाड़ों की यह धरती पिछले कुछ सालों में एक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित हुई है। राज्य में पर्यटकों के आकर्षण के स्थान बोमडिला, तवांग और उसके पास स्थित भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। ईटानगर, खुदाई में मिले ईटा किले के अवशेषों और आकर्षक गंगा झील के लिए प्रसिद्ध है। मलिनिथन और भिस्माकनगर राज्य के दो महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थान हैं और परशुराम कुंड प्रमुख तीर्थ स्थल है। चांगलांग जिले के नमदाफा वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ हूलाॅक लंगूर पाए जाते हैं ।
नोट :- आपको ये पोस्ट कैसी लगी, कमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखे और शेयर करें, धन्यवाद।