त्रिपुरा

भारतीय राज्य त्रिपुरा (Tripura) भारत के पूर्वोत्तर में स्थित ‘सेवन सिस्टर’ राज्यों में से एक है। वास्तव में यह भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। इसका कुल इलाका 10,486 वर्ग किलोमीटर का है। यह राज्य उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में बांग्लादेश से घिरा है। अपने पूर्वी ओर से यह राज्य मिजोरम और असम से घिरा है। राज्य की राजधानी अगरतला है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी 36,73,032 है। यह देश की कुल जनसंख्या का मात्र 0.3 प्रतिशत है। स्वदेशी समुदाय जिन्हें भारत में अनुसूचित जनजाति कहते हैं, वह त्रिपुरा की आबादी का 30 प्रतिशत है। राज्य में 19 जनजातियां हैं। यह एक ईको-फ्रेंडली और प्रदूषण मुक्त राज्य है।

Tripura Indian States
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राज्य में बोली जाने वाली मुख्य भाषाएं कोकबोरोक और बंगाली हैं। कई सदियों तक इस राज्य पर त्रिपुरी साम्राज्य का शासन रहा है। ब्रिटिश शासन के समय से ही यह एक रियासत के तौर पर जाना जाता था। सन् 1949 में यह स्वतंत्र भारत का एक हिस्सा बन गया। देश में राज्य के एकीकरण के बाद से ही बंगाली आबादी और स्वदेशी लोगों के बीच जातीय संघर्ष के कारण हिंसा और तनाव की स्थिति रही है। वहीं दूसरी ओर एक स्वतंत्र आदिवासी प्रशासनिक संगठन और विभिन्न कूटनीतियों से स्थिति शांत की गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग 44 एकमात्र राजमार्ग है जो इस राज्य को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।

त्रिपुरा का इतिहास (History of Tripura):-

संस्कृत में त्रिपुरा (Tripura) का मतलब है ‘तीन शहर’। जीवाश्म की लकड़ी से बने पाषाण काल के उपकरण खोवई और हाओरा घाटियों में पाए गए हैं। इस राज्य का उल्लेख सभी भारतीय महाकाव्यों जैसे महाभारत, पुराणों और अशोक के शिलालेखों में मिलता है। त्रिपुरा का पुराना नाम कीरत देश था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कीरत देश आधुनिक त्रिपुरा के मुकाबले कब तक रहा। कई सदियों तक इस इलाके में ‘त्वीपरा’ राजवंश का शासन रहा। समय बीतने के साथ साथ राज्य की सीमाएं बदलती गईं। इस राज्य में कई शाही महल और मंदिर हैं जो दुनिया भर के पर्यटकों और यहां छुट्टी मनाने आने वाले लोगों को आकर्षित करते हैं। राजधानी अगरतला भी देखने और घूमने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।

भारत में ब्रिटिश शासन के समय में त्रिपुरा एक रियासत बन गया था। राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित उदयपुर त्वीपरा राजवंश की राजधानी था। बीर चंद्र माणिक्य ने ब्रिटिश भारत के नमूने पर प्रशासन का प्रदर्शन और प्रतिरुप बनाया। उन्होंने कई सुधारों को लागू किया जिनमें अगरतला नगर निगम का गठन भी शामिल था। सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद तिपेरा जिला पूर्वी पाकिस्तान का भाग बन गया। सन् 1949 में महारानी रीजेंट ने त्रिपुरा विलय समझौते पर हस्ताक्षर किए। सन् 1956 में यह राज्य एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया। सन् 1963 में यहां एक निर्वाचित मंत्रालय स्थापित किया गया।

त्रिपुरा का भूगोल और मौसम (Tripura geography and weather) :-

त्रिपुरा (Tripura) राज्य सिक्किम और गोवा के बाद भारत का सबसे छोटा राज्य है। यहां पहुंचने के लिए आप राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह हाइवे मिजोरम और असम के क्रमशः मामित और करीमगंज से होकर गुजरता है। इस राज्य की प्रकृति की विशेषता इसके मैदान, घाटियां और पर्वत श्रृंखलाएं हैं। त्रिपुरा में पांच लम्बस्थ पर्वत श्रृंखलाएं हैं जो उत्तर से दक्षिण की ओर जाती हैं। यह पूर्वी हिस्से से शखन, लोेंगथोराई, जामपुई हिल्स और अथमुरा और पश्चिम में बोरोमुरा की ओर से भी जाती हैं। अगरतला-उदयपुर, कमालपुर-अंबासा, खोवाई-तेलिआमुरा, धर्मनगर-कंचनपुर और कैलाशहर-मैनी इनके बीच आने वाली घाटियां हैं। राज्य की सबसे उंची चोटी बेटलिंग शिब है जो जामपुई रेंज में स्थित है। बेटलिंग शिब की उंचाई 3,081 फीट या 939 मीटर है।

राज्य में फैली हुई छोटी छोटी पहाडि़यों को टीला कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर पश्चिम की ओर स्थित संकरी जलोढ़ घाटियों को लुंगा कहा जाता है। इन छोटी छोटी पहाडि़यों से कई नदियां शुरु होकर बांग्लादेश में बहती हैं। धलाई, खोवाई, जूरी, लोंगाई और मनु उत्तर की ओर, फेनी और मुहुरी दक्षिण-पश्चिम की ओर और गुमती पश्चिम दिशा में बहती है। सर्दियों का मौसम दिसंबर से फरवरी, मानसून मई से सितंबर, गर्मियां या प्री-मानसून मार्च से अप्रेल और पोस्ट मानसून मौसम अक्टूबर से नवंबर रहता है। मानसून के मौसम में राज्य को भारी बारिश के चलते अक्सर बाढ़ का सामना करना पड़ता है।

त्रिपुरा की जनसांख्यिकी (Demographics of Tripura) :-

भारत के पूर्वोत्तर भाग में आबादी के मान से असम के बाद त्रिपुरा (Tripura) दूसरे स्थान पर है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या 36,73,917 है। यह देश की कुल जनसंख्या का मात्र 0.3 प्रतिशत है। राज्य में पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 1000ः961 है। यह 1000ः940 के राष्ट्रीय लिंग अनुपात से कहीं ज्यादा है। राज्य की जनसंख्या का घनत्व 350 प्रति वर्ग किलोमीटर है। सन् 2011 में त्रिपुरा की साक्षरता दर 87.75 प्रतिशत थी जो कि 74.04 प्रतिशत की राष्ट्रीय साक्षरता दर से कहीं अधिक थी। राज्य की आबादी में बंगालियों का एक बड़ा हिस्सा है। राज्य में 19 जातीय और उप जातीय समूह हैं, जिनकी अपनी अलग अलग संस्कृति और भाषाएं हैं। राज्य में सबसे बड़ा समूह त्रिपुरियों का है जो कोकबोरोक भाषा बोलता है। राज्य में जो अन्य समूह हैं वो रियांग, चकमा, जमातिया, मोग, हलम, कुकी, मुंडा और गारो हैं। राज्य में बंगालियों की अच्छी खासी संख्या होने के कारण बंगाली भाषा यहां बहुत ज्यादा बोली जाती है। कोकबोरोक भाषा आदिवासियों की एक प्रमुख भाषा है।

त्रिपुरा में सरकार और राजनीति (Tripura Government and Politics) :-

त्रिपुरा (Tripura) राज्य लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली द्वारा शासित है। इस राज्य के लोगों को सार्वभौमिक मताधिकार प्राप्त हैं। त्रिपुरा की सरकार की तीन शाखाएं हैं - न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका। त्रिपुरा की विधानसभा में निर्वाचित सदस्य और पदाधिकारी होते हैं जिन्हें विभिन्न सदस्य चुनते हैं। विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा की बैठकों और सम्मेलनों को नियंत्रित करता है। विधानसभा अध्यक्ष की गैरमौजूदगी में उपाध्यक्ष बैठकों को संचालित करता है। विधानसभा सदस्यों का चुनाव पांच साल के लिए होता है। न्यायपालिका या मजिस्ट्रेट का चुनाव त्रिपुरा के उच्च न्यायालय द्वारा होता है। इसके अलावा भारत के राष्ट्रपति राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति करते हैं और राज्यपाल मुख्यमंत्री को नियुक्त करता है। राज्यपाल मंत्रियों की परिषद को मुख्यमंत्री की सलाह और सिफारिश पर नियुक्त करता है।

त्रिपुरा से एक प्रतिनिधि राज्य सभा और दो प्रतिनिधि लोकसभा में जाते हैं। स्थानीय निकाय राज्य के विभिन्न गांवों के लिए पंचायत का चुनाव करते हैं। राज्य की दो राजनीतिक पार्टियां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और वाम मोर्चा हैं।

त्रिपुरा में शिक्षा (Education in Tripura) :-

राज्य में निजी संगठन और राज्य सरकार जिसमें धार्मिक संगठन भी शामिल हैं, स्कूल चलाते हैं। ज्यादातर स्कूलों में पढ़ाई का माध्यम बंगाली और अंग्रेजी है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रीय भाषाएं जैसे कोकबोरोक का भी इस्तेमाल होता है। राज्य के स्कूल सीबीएसई, एनआईओएस, टीबीएसई और सीआईएससीआई से संबद्ध हैं। यदि कोई छात्र माध्यमिक शिक्षा पूरी करता है तो वह सामान्य तौर पर हायर सेकेंडरी या जूनियर काॅलेज में दाखिला लेता है। यहां के स्कूल और काॅलेज केंद्रीय बोर्डों और त्रिपुरा के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हैं। ज्यादातर छात्र विज्ञान, वाणिज्य और उदार कला, इन तीन में से कोई एक वर्ग चुनते हैं।

जब एक छात्र उच्चतर माध्यमिक परीक्षा पास करता है तो वह विज्ञान, वाणिज्य और कला, इन तीन में से किसी एक में दाखिला लेता है। छात्र किसी भी व्यावसायिक पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकता है जैसे मेडिसिन, इंजीनियरिंग, विधि, कला और संगीत। यहां कुछ पाॅलिटेक्निक काॅलेज भी हैं।

त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था (Tripura's economy) :-

राज्य के प्राथमिक क्षेत्र में खनन, वानिकी और कृषि शामिल हैं। दूसरे क्रम में आने वाले क्षेत्र जिसमें विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे ज्यादा प्रतिशत का योगदान देते हैं। राज्य के ज्यादातर मजदूर रिटेल या कृषि क्षेत्र में कार्य करते हैं। इसके बाद विनिर्माण क्षेत्र, सार्वजनिक प्रशासन और शिक्षा आते हैं। राज्य में ज्यादातर लोग संबद्ध गतिविधियों और कृषि में लगे हैं। राज्य की प्रमुख फसल चावल है। राज्य में उगने वाली अन्य फसलें जूट, दालें, मेस्ता, गन्ना और आलू हैं। बागवानी के मुख्य उत्पाद अनानास और कटहल हैं।

त्रिपुरा का समाज और संस्कृति (Society and culture of Tripura) :-

राज्य में विभिन्न समूहों के कारण यहां विभिन्न संस्कृतियां हैं। राज्य के विभिन्न जातीय समूहों में बंगाली, त्रिपुरी, मणिपुरी, रियांग, जमातिया, कोलोई, नोएशिया, चकमा, मुसारिंग, गारो, हलम, मिजो, कुकी, मुंडा, मोघ, संथाल, उचोइ और ओरांव हैं। राज्य में सबसे ज्यादा आबादी बंगालियों की है। इस कारण से बंगाली संस्कृति राज्य की सबसे गैर स्वदेशी संस्कृति है। कई आदिवासी परिवार जो शहर में रहते हैं उन्होंने बंगाली भाषा और संस्कृति को अपनाया है। त्रिपुरी राजाओं को बंगाली संस्कृति, खासकर साहित्य का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता था। बंगाली भाषा अदालत की भाषा भी थी। बंगाली खाना, संगीत और साहित्य यहां बहुत फैले हैं, खासकर शहरों में। त्रिपुरा अपने केन और बांस हस्तशिल्प के लिए मशहूर है। केन, लकड़ी और बांस से बड़े पैमाने पर बर्तन, फर्नीचर, पंखे, प्रतिकृतियां, टोकरियां, घर की सजावट का समान और मूर्तियां बनाई जाती हैं। नृत्य और संगीत राज्य की संस्कृति का अभिन्न अंग है। कई स्थानीय उपकरण बहुत लोकप्रिय हैं, जैसे सुमुई, चोंगप्रेंग और सरींडा। स्वदेशी समुदायों के अपने नृत्य और संगीत हैं जो धार्मिक अवसरों, शादियों और अन्य मौकों पर प्रदर्शित किये जाते हैं। गोरिया पूजा के समय जमातिया और त्रिपुरी लोग ‘गोरिया नृत्य’ का प्रदर्शन करते हैं। त्रिपुरा की कुछ नृत्य शैलियां हैं - झाम नृत्य, ममीता नृत्य, लेबांग नृत्य, मोसाक सुल्मनी आदि।

त्रिपुरा की भाषाएं (Languages of Tripura) :-

पूर्वोत्तर के इस राज्य में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाएं कोकबोरोक और बंगाली हैं। इसके अलावा राज्य में कई अल्पसंख्यक भाषाएं भी बोली जाती हैं। अंग्रेजी का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी कामों के लिए होता है। राज्य में बंगाली जनसंख्या की अधिकता होने के कारण बंगाली भाषा भी व्यापक तौर पर बोली जाती है। वहीं दूसरी ओर कोकबोरोक भाषा आदिवासी जनसंख्या में प्रमुख तौर पर बोली जाती है। सबरम और चक्र प्रमुख बंगाली भाषाएं हैं जो आदिवासी आबादी के बीच बोली जाती हैं। काफी लोग रनखल और हलम भी बोलते हैं। यह भाषा हलम भाषा से ही निकली है।

त्रिपुरा में पर्यटन (Tourism in Tripura) :-

यदि आप इस राज्य की यात्रा करना चाहते हैं तो आप कई खूबसूरत स्थान देख सकते हैं। राज्य में कई प्राकृतिक आकर्षण हैं। इस राज्य के दर्शनीय स्थलों की यात्रा सैलानियों को एक सुहावना और आकर्षक अनुभव देती है। इस राज्य में वास्तुकला के कई चमत्कार हैं, जैसे कुंजबन और नीरमहल पैलेस। इसे भारत के उत्तर-पूर्वी भाग का सबसे आदर्श पर्यटन स्थल माना जाता है। आप कई धार्मिक स्थलों का दौरा भी कर सकते हैं, जैसे कमलासागर काली और भुवनेश्वरी मंदिर। कई तीर्थयात्री और पर्यटक त्रिपुरा में इस क्षेत्र में प्रसिद्ध मंदिर देखने आते हैं। त्रिपुरा में कई वन्यजीव आकर्षण हैं। वाइल्डलाइफ प्रेमी इस राज्य में अलग अलग वाइल्डलाइफ स्पाॅट देखने के लिए आते हैं। गुमती वन्यजीव अभयारण्य में हाथी, काकड़ और गवल बड़ी तादाद में हैं। सेफाजाला अभयारण्य में प्रवासी पक्षी आश्रय लेते हैं। तृष्णा और रोवा वन्यजीव अभयारण्य भी वन्यजीव प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध हैं। त्रिपुरा के आकर्षक स्थलों में कई अद्भुत शाही महल भी हैं, जैसे नीरमहल पैलेस। यह एक मशहूर महल है जिसे हिंदू और मुस्लिम शैलियों को मिलाकर बनाया गया है। त्रिपुरा के अगरतला में उज्जयंत महल भी एक मशहूर पर्यटन स्थल है। दर्शनीय स्थलों में कुंजबन पैलेस भी एक प्रसिद्ध स्थान है।

त्रिपुरा में परिवहन (Tripura transport) :-

राष्ट्रीय राजमार्ग 44 एकमात्र राजमार्ग है जो इस राज्य को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। यह त्रिपुरा के दक्षिण भाग में स्थित सबरुम से शुरु होकर त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के उत्तरी भाग की ओर जाता है। इसके बाद यह पूर्व और उत्तर-पूर्व में मुड़ता हुआ असम में प्रवेश करता है। इस राजमार्ग को ‘असम रोड’ भी कहा जाता है और यह राज्य की जीवनरेखा भी कहलाता है। राजमार्ग की सड़क गुणवत्ता काफी खराब है। दक्षिण त्रिपुरा जिले का एक शहर है मनु जो एक अन्य हाइवे एनएच 44ए के जरिए मिजोरम के आइजोल शहर से कनेक्टेड है।

अगरतला हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डा राजधानी अगरतला में है जो इसे भारत के अन्य राज्यों से जोड़ता है। इसके साथ ही मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, चैन्नई, बंगलौर, गुवाहाटी, आइजोल, सिलचर, इंफाल और कलकत्ता के लिए यहां से कनेक्ंिटग फ्लाइट्स हैं। पूर्वोत्तर में गुवाहाटी के बाद अगरतला का एयरपोर्ट ही सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है। त्रिपुरा की बांग्लादेश के साथ 856 किलोमीटर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका और अगरतला के बीच बस सेवा भी है।

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