दिवाली में लक्ष्मी पूजा

दिवाली में लक्ष्मी पूजा, Diwali Laxmi Pujan Pooja Vidhi in Hindi, दिवाली हिंदुओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है। दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है। इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है। 

Laxmi Pujan Pooja Vrat Vidhi
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दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं। दिवाली भगवान श्री राम के अयोध्या वापसी की खुशी में मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है।

पूजा की सामग्री :-

महालक्ष्मी पूजा या दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए।

पूजा की तैयारी :-

चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहें। लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।

लक्ष्मी मंत्र :-

लक्ष्मी जी की पूजा के समय निम्न मंत्र का लगातार उच्चारण करते रहना चाहिए:-

ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:॥

लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ। गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ, सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें, तीन थालियों में निम्न सामान रखें।

लक्ष्मी पूजन विधि :-

आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो। सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए।

हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन कीजिये।

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