शिव आराधना सावन में

शिव आराधना सावन में, Savan Me Shiv Aaradhana Pooja Vidhi in Hindi, भोलेनाथ भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह सावन है श्रावण जुलाई से प्रारंभ हो जाता है। यह काफी शुभ फलदायक है। पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहता है। सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की जाती हैं। चारों ओर श्रद्धालुओं द्वारा 'बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय' की गूंज सुनाई देगी।

Shiv Aaradhana Pooja Vrat Vidhi
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सोमवार, सावन मास, वैधृति योग व आयुष्मान योग सभी के मालिक स्वत: शिव ही हैं। इस लिए इस बार का सावन खास है। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवारी के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं।इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। निर्धन को धन और नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। बाबा भोले की पूजा से भाग्य पलट सकता है।

श्रावण का यह महीना भक्तों को अमोघ फल देने वाला है। माना जाता है कि भगवान शिव के त्रिशूल की एक नोक पर काशी विश्वनाथ की पूरी नगरी का भार है। उसमें श्रावण मास अपना विशेष महत्व रखता है। श्रावण मास शुरू होते ही कावड़ का मेला शुरू हो जाता है। श्रावण मास में जिस दिन भोलेनाथ पर जल चढ़ता है उस दिन का विशेष महत्व होता है। इस दौरान खास तौर पर महिलाएं श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास रखकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना भोलेनाथ से करती हैं। खास कर सभी व्रतों में सोलह सोमवार का व्रत श्रेष्ठ माना जाता है।

इस व्रत को वैशाख, श्रावण मास, कार्तिक मास और माघ मास में किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता है। इस व्रत की समाप्ति पर सत्रहवें सोमवार को सोलह दंपति को भोजन व किसी वस्तु का दान उपहार देकर उद्यापन किया जाता है। पूजा में शिव परिवार को पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, शक्कर, घी व जलधारा से स्नान कराकर, गंध, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित करें। शिव को सफेद फूल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र और श्री गणेश को सिंदूर, दूर्वा, गुड़ व पीले वस्त्र चढ़ाएं। भांग-धतूरा भी शिव पूजा में चढ़ाएं। शिव को सफेद रंगे के पकवानों और गणेश को मोदक यानी लड्डूओं का भोग लगाएं।

भगवान शिव व गणेश के जिन स्त्रोतों, मंत्र और स्तुति की जानकारी हो, उसका पाठ करें। श्री गणेश व शिव की आरती सुगंधित धूप, घी के पांच बत्तियों के दीप और कर्पूर से करें। अंत में गणेश और शिव से घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामनाएं करें।

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