कृषि सिंचाई योजना

Indian Government Krishi Sinchai Schemes in Hindi, देश में लगभग 141 मिलियन हैक्टेयर कुल बुवाई क्षेत्र में से वर्तमान में लगभग 65 मिलियन हैक्टेयर (45 प्रतिशत) सिंचाई के तहत कवर है। वर्षा पर अत्यधिक निर्भरता गैरसिंचित क्षेत्रों में खेती को जोखिम भरा और कम उत्पादक व्यवसाय बनाती है। अनुभवजन्य साक्ष्य बताते हैं कि सुनिश्चित अथवा संरक्षित सिंचाई से किसान, खेती संबंधी प्रौदयोगिकी और ऐसे आदान जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है और खेती से होने वाली आय बढ़ती है, में निवेश बढ़ाने को प्रोत्साहित होते हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Krishi Sinchai Yojana) का बृहद दृष्टिकोण देश में सभी कृषि फार्म में संरक्षित सिंचाई की पहुंच को सुनिश्चित करेगा ताकि प्रति बूंद अधिक फसल उत्पादन लिया जा सकेगा और इस प्रकार वांछित ग्रामीण समृद्धता लाई जा सकेगी।

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पानी की हर बूंद बहुमूल्य है। मेरी सरकार जल संरक्षण को उच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्राथमिकता आधार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Krishi Sinchai Yojana) पर काफी समय से लम्बित पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करेगी और हर खेत को पानी के लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत करेगी। जहाँ कहीं संभव हो वहाँ नदियों को जोड़ने सहित सभी विकल्पों पर गम्भीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है ताकि बाढ़ और सूखे को रोकने के लिए हमारे जल संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके। जल संचय और जल सिंचन के माध्यम से वर्षा जल के दोहन से हम जल संरक्षण करेंगे और भूमिगत जल स्तर बढ़ाएंगे। प्रति बूंद-अधिक फसल' को सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई को लोकप्रिय बनाया जाएगा

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के मुख्य उद्देश्य :-

  • फील्ड स्तर पर सिंचाई में निवेश का अभिसरण प्रदान करना (जिला स्तर पर तैयारी, यदि आवश्यक हो तो उप-जिला स्तर जल उपयोग योजनाएं)
  • खेत में जल की पहुँच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई (हर खेत को पानी) के तहत कृषि भूमि को बढाना
  • उचित प्रौद्योगिकियों और पद्धतियों के माध्यम से जल के बेहतर उपयोग के लिए जल संसाधन का समेकन, वितरण और इसका दक्ष उपयोग
  • अवधि और सीमा में अपशिष्ट घटाने और उपलब्धता वृद्धि के लिए ऑन फार्म जल उपयोग क्षमता का सुधार
  • परिशुद्ध सिंचाई और अन्य जल बचत प्रौद्योगिकियों (अधिक फसल प्रति बूंद) के अपनाने में वृद्धि करना
  • जलभूत भराव में वृधि और सतत जल संरक्षण पद्धतियों की शुरूआत करना
  • मृदा और जल संरक्षण, भूजल के पुनर्भराव, प्रवाह बढ़ाना, आजीविका विकल्प प्रदान करना और अन्य एनआरएम गतिविधियों की ओर पन्नधारा दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए वर्षा सिंचित क्षेत्रों के समेकित विकास को सुनिश्चित करना ।
  • जल संचयन, जल प्रबंधन और किसानों के लिए फसल संयोजन तथा जमीनी स्तर के क्षेत्र कर्मियों से संबंधित विस्तार गतिविधियों को प्रोत्साहित करना ।
  • पेरी शहरी कृषि के लिए उपचारित नगरपालिका अपशिष्ट जल के पुनरुपयोग की व्यवहार्यता खोजना
  • सिंचाई में महत्वपूर्ण निजी निवेश को आकर्षित करना यह अवधि में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ायेगा और फार्म आय में वृद्धि करेगा ।

उपर्युक्त उददेश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Krishi Sinchai Yojana) को सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला पर विस्तार सेवा आदि में मूलभूत समाधान पर फोकस करते हुए रणनीति पर बनाई जाएगी। वृहत रूप में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Krishi Sinchai Yojana) निम्नलिखित पर फोकस करेगा :-

  • नये जल स्रोतों का निर्माण, जीर्ण जल स्रोतों का पुर्नस्थापन और पुनरोद्धार, जल ग्रामीण स्तर पर परम्परागत जल तालाबों जैसे जल मन्दिर (गुजरात); खतरी, कुहल (हिमाचल प्रदेश); जेबो (नागालैंड); इड़ी, ओरेनिस (तमिलनाडु); डॉग (असम), कतास, बंधा (ओडिशा और मध्य प्रदेश) आदि की क्षमता बढ़ाना ।
  • जहां सिंचाई स्रोत (आश्वासित अथवा संरक्षित दोनों) उपलब्ध हैं अथवा निर्मित हैं में वितरण नेटवर्क का विस्तार/वृद्धि करना ।
  • वैज्ञानिक आर्द्रता संरक्षण की वृद्धि करना और भू-जल पुर्नभरण सुधार के लिए आवाह नियंत्रण उपाय करना ताकि शैलों ट्यूब/डगबैल के माध्यम से पुनर्भरित जल तक पहुंच के लिए किसानों हेतु अवसरों का निर्माण किया जा सके।
  • प्रभावी जल परिवहन और फार्म के भीतर क्षेत्र अनुप्रयोग उपकरणों यथा भूमिगत पाईप प्रणाली, पीवोट, रेनगन और अन्य अनुप्रयोग उपकरणों आदि को प्रोत्साहित करना ।
  • पंजीकृत उपयोग कर्ता समूह/कृषक उत्पादक संगठनों/एनजीओ के माध्यम से सामुदायिक सिंचाई को प्रोत्साहित करना और
  • कृषक उन्मुख गतिविधियों जैसे क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और प्रदर्शन दौरे, प्रदर्शन, फार्म स्कूल, प्रभावी जल में कोशल विकास और मास मीडिया अभियान के माध्यम से अधिक फसल प्रति बूंद पर बृहद स्तरीय जागरूकता सहित फसल प्रबंधन प्रणालियां (फसल संयोजन), प्रदर्शनियां, फील्ड डेज तथा लघु कार्टून फिल्मों के माध्यम से विस्तार गतिविधियाँ आदि ।

उपर्युक्त क्षेत्र केवल प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Krishi Sinchai Yojana) के वृहद फलक का खाका प्रस्तुत करते हैं, कार्यकलापों के संयोजन के लिए स्थल विशिष्ट स्थितियों और आवश्यकताओं के आधार पर अपेक्षित हैं जिसे जिला और राज्य सिंचाई योजनाओं के माध्यम से चिन्हित किया जायेगा । सिंचाई कवरेज के लिए विभिन्न राज्यों में सिंचाई विकास पर अधिक फोकस किया जायेगा ।

वृद्धिमान बजट के अलावा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Krishi Sinchai Yojana) गतिशील वार्षिक निधि आबंटन प्रणाली अपनाया जायेगा जो पीएमकेएसवाई निधियों के प्राप्ति के लिए योग्य बनने हेतु सिंचाई क्षेत्रों को अधिक निधियों के आबंटन को राज्यों को आदेश देगा। इस प्रायोजन के लिए -

  • राज्य पीएमकेएसवाई निधि प्राप्ति के लिए योग्य केवल तब होगा जब वह आरंभिक वर्ष के अलावा और विचाराधीन वर्ष में कृषि क्षेत्र के लिए जल संसाधन विकास में व्यय आधार रेखा व्यय से कम न हो और उसने जिला सिंचाई योजना (डीआईपी) और राज्य सिंचाई योजना (एसआईपी) तैयार करी हों। विचाराधीन वर्ष के पहले के तीन वर्ष में राज्य योजना में राज्य विभाग पर ध्यान दिये बिना सिंचाई क्षेत्र में व्यय की औसत आधारी व्यय होगा (अर्थात राज्य योजना स्कीमों से जल स्रोत, वितरण, प्रबंधन, और अनुप्रयोग का सूजन)।
  • राज्यों को सिंचाई प्रयोजन के लिए जल और विद्युत पर शुल्क लगाने के लिए अतिरिक्त महत्व दिया जायेगा ताकि कार्यक्रम की सततता को सुनिश्चित किया जा सके।
  • पीकेएमएसवाई निधि का अंतर राज्य आबंटन (i) मरूभूमि विकास कार्यक्रम (डीडीपी) और सूखा प्रवण क्षेत्र विकास कार्यक्रम (डीपीएपी) के तहत वर्गीकृत क्षेत्रों के प्रमुखता सहित राष्ट्रीय औसत की तुलना में राज्य में अवसिंचित क्षेत्र की प्रतिशत का अंश और (ii) पिछले वर्ष के पहले के तीन वर्ष से पहले राज्य योजना व्यय में कृषि क्षेत्र के लिए जल संसाधन के विकास पर व्यय के प्रतिशत अंश में वृदधि (iv) राज्य में सिंचाई क्षमता सुधार के आधार पर निश्चित किया जायेगा।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Krishi Sinchai Yojana) को केवल विकेन्द्रीकृत राज्य स्तरीय योजना और परियोजनाकृत निष्पादन संरचना को अपनाते हुए क्षेत्र विकास स्तर में कार्यान्वित किया जायेगा। जो राज्यों को 5-7 वर्षों की सीमा के साथ डीआईपी और एसआईपी पर आधारित उनके अपने सिंचाई विकास योजनाओं को शुरू करने में अनुमति देगा। कार्यान्वयन का प्राथमिक स्तर 12वीं योजना के शेष के 02 वर्ष होगा। राज्य अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा लघु एवं सीमांत किसानों की अधिक जनसंख्या वाले , ज्यादा अवसिंचित क्षेत्रों, कम कृषि उत्पादकता वाले जिलों के बीच परियोजनाओं को प्रमुखता देते हुए राज्य पीकेएमएसवाई निधियों का लगभग 50 प्रतिशत आबंटित करेगा।

राज्य पीकेएमएसवाई के कार्यान्वयन के समय संसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत चिन्हित जिलों को भी प्रमुखता देगा। शेष 50 प्रतिशत को परियोजनाओं के संचालन/संशोधन के लिए प्रमुखता दी जायेगी जो समाप्ति के टर्मिनल स्तर के अधीन है (जल संसाधन विकास/पनधारा)। कंमाड क्षेत्र विकास और सूक्ष्म सिंचाई के जरिये सृजित तथा वास्ताविक रूप से उपयोग किये गये सिंचाई क्षमता के बीच अंतर को कम करने के लिए भी प्रमुखता देता है। जैसा कि पीएमकेएसवाई परियोजनाकृत दृष्टिकोण के साथ क्षेत्र आधारित योजना होगा सभी महत्वपूर्ण घटकों अर्थात संभाव्य अध्ययन, कार्यान्वित एंजेन्सिंयों की योग्यता, पूर्वानुमानित लाभ (परिणाम) जो किसान/राज्य को जाता है, कार्यान्वयन के लिए निश्चित समय सीमा आदि को शामिल करते हुए व्यापक सिंचाई योजना पर आधारित प्रत्येक पीएमकेएसवाई घटक के लिए परियोजना रिपोर्ट की तैयारी की जायेगी।

प्रत्येक कलस्टर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में समबंदधित घटकों अर्थात आवश्यक वित्त पोषण सहायता के साथ समबंदधित घटकों के तहत कवर किये गये कार्यकलापों पर आधारित एआईबीपी, पीएमकेएसवाई (हर खेत को पानी), पीएमकेएसवाई (प्रति बूंद अधिक फसल), पीएमकेएसवाई (पनधारा विकास) की पूर्ति के लिए 4 उप परियोजनाएं होगी। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वित्त पोषण और/अथवा केन्द्र/राज्य सरकार के अन्य योजना स्कीमों के तहत ऐसे क्षेत्रों में समान कार्यकलापों को करने के लिए कोई आवृत्तिकरण ना हो और प्रत्येक परियोजना घटकवार के तहत प्रस्तावित वर्षवार वास्ताविक वित्तीय लक्ष्यों की स्पष्ट सूचना प्रदान करें।

25 करोड़ रूपये से भी अधिक लागत वाले वृहत व्यक्तिगत परियोजना कार्यकल्प के मामले में तृतीय दल 'तकनीकी-वित्तीय मूल्याकन के अधीन होगा। जल के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु विस्तार सेवाएँ वृहत कवरेज और किसानों को साम्यता सुनिश्चित करने के लिए कैसे कृषि पारिस्थितिकी स्थितियों और उचित कृषि प्रणालियों को निर्धारित फसलों/फसल प्रणाली के जरिये उपलब्ध जल को बेहतर उपयोग बनाने के लक्ष्य पर फोकस करेगा। चयनित क्षेत्रों में इस विषय के लिए कुछ प्रगातिशील किसानों को सुग्राही बनाया जाएगा और वर्तमान सिंचाई सुविधाओं के साथ फसलन प्रतिमान में परिवर्तनों के साथ प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। एटीएमए स्कीम के फार्म स्कूल घटक को इस कार्यकलाप की शुरूआत के लिए उचित रूप से उपयोग किया जाएगा।

जल और उसके प्रभावी उपयोग की क्षमता वृद्धि को प्रदर्शित करने के लिए योजना के अनुसार उनको अलग करने के लिए जिलों में 8 से 10 गाँवों के क्लस्टर को लिया जाएगा। ऐसी कार्यकलापों के संवर्धन में इन क्लस्टरों की सफलता जिला के अन्य भागों में दोहराई जायेगी। वृहत कवरेज तक सूक्ष्म सिंचाई की पहुंच को बढ़ाने हेतु जागरूकता अभियान, प्रदर्शन, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, रख-रखाव,सेवा प्रदान करना, तकनीकी समर्थन आदि के साथ सम्मिलित कंपनियों सहित सुनिश्चित किया जाएगा।पारंपरिक प्रणालियाँ जैसे जल मन्दिर, खत्री, खुल, जाबो ओरियनस; डॉग्स, कट्स; बंधास आदि, नवाचारी परियोजना, सहभागी प्रबंधन आदि को सफलता की कहानियों को व्यापक रूप से प्रतिकृत करने हेतु अन्य राज्यों एंजेंसियों के साथ शेयर करने के लिए एकत्रित कर दस्तावेज के रूप में तैयार की जा सकती है।

नोट :- आपको ये पोस्ट कैसी लगी, कमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखे और शेयर करें, धन्यवाद।

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