वन रैंक वन पेंशन

One Rank One Pension Schemes In Hindi, रिटायर्ड सैन्यकर्मी लंबे समय से वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे हैं। वन रैंक वन पेंशन (OROP) की मांग को लेकर कई पूर्व सैन्यकर्मियों ने अपने पदक लौटा दिए थे। इसकी पहली वजह यह है कि अभी सैन्यकर्मियों को एक ही रैंक पर रिटायरमेंट के बाद उनकी सेवा के कुल वर्षों के हिसाब से अलग-अलग पेंशन मिलती है।

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छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद 1996 से पहले रिटायर हुए सैनिक की पेंशन 1996 के बाद रिटायर हुए सैनिक से 82% कम हो गई। इसी तरह 2006 से पहले रिटायर हुए मेजर की पेंशन उनके बाद रिटायर हुए अफसर से 53% कम हो गई। मांग उठने की एक वजह यह भी है कि चूंकि सैन्यकर्मी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तुलना में जल्दी रिटायर हो जाते हैं, इसलिए उनके लिए पेंशन स्कीम अलग रखी जाए।

वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension - OROP) की मांग रिटायर्ड सैनिक कई सालों से कर रहे हैं। 30 साल पहले एक्स सर्विसमेन एसोसिएशन बनाई गई थी। 2008 में इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट (आईएसएम) नामक संगठन बनाकर रिटायर्ड फौजियों ने संघर्ष तेज कर दिया। देश में 25 लाख से ज्यादा रिटायर्ड सैन्यकर्मी हैं। उदाहरण के लिए योजना इस तरह बनाई गई है कि जो अफसर कम से कम 7 साल कर्नल की रैंक पर रहे हों उन्हें समान रूप से पेंशन मिलेगी। ऐसे अफसरों की पेंशन 10 साल तक कर्नल रहे अफसरों से कम नहीं होगी, बल्कि उनके बराबर ही होगी।

पूर्व सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension - OROP) की मांग मान लिए जाने के बाद देश के सभी अर्ध सैनिक बलों के अवकाश प्राप्त जवान भी वन रैंक वन पेंशन की मांग के लिए आंदोलन करने लगे हैं। वन रैंक वन पेंशन मतलब अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के दो फौजियों को समान पेंशन देना। फिलहाल, रिटायर होने वाले लोगों को उनके रिटायरमेंट के समय के नियमों के हिसाब से पेंशन मिलती है। यानी जो लोग 25 साल पहले रिटायर हुए हैं उन्हें उस समय के हिसाब से पेंशन मिल रही है जो बहुत कम होती है।

केंद्र के नौकरशाह औसतन 33 साल तक सेवाएं देते हैं और अपनी आखिरी तनख्वाह की 50% पेंशन पाते हैं। आर्मी में सैनिक आमतौर पर 10 से 12 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं और सैलरी की 50% से कम पेंशन पाते हैं। मान लीजिए 2006 से पहले रिटायर हुए मेजर जनरल की पेंशन 30,300 रुपए है, जबकि आज कोई कर्नल रिटायर होगा तो उसे 34,000 रुपए पेंशन मिलेगी। जबकि मेजर जनरल कर्नल से दो रैंक ऊपर का अफसर होता है।

वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension - OROP) पर आंदोलन कर रहे पूर्व फौजी अब सरकार की ओर से अगले कदम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में सीधे दखल देने की अपील की। साथ ही यह भी कहा है कि अगर सरकार ने बिना उन्हें भरोसे में लिए कोई एलान किया तो उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सरकार इस पर विचार करती रही है कि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के लिए यह योजना लागू करने के बाद कहीं दूसरे अर्द्धसैनिक बलों की तरफ से इस तरह की मांग न उठे। लेकिन केंद्र ने अब इस पेंशन योजना के लिए अलग प्रशासनिक और आर्थिक ढांचा तैयार कर लिया है। मार्च 2015 के पहले पूर्ण बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने डिफेंस पेंशन का कुल बजट 51 हजार करोड़ रुपए से 9% बढ़ाकर 54500 करोड़ रुपए कर दिया था।

अधिसूचना के मुताबिक साल 2013 में अवकाश प्राप्त करने वाले पूर्व सैनिकों का पेंशन दुबारा तय किया जाएगा। पूर्व सैनिकों को बढ़े हुए पेंशन का लाभ जुलाई 2014 से मिलेगा। भविष्य में पेंशन को हर पांच साल बाद संशोधन किया जाएगा। जो सैनिक स्वेच्छा से वीआरएस लेते हैं या रिटायर होते हैं उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा।

वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension - OROP) :-

25 लाख पूर्व सैनिकों को मिलेगा ओआरओपी का लाभ
06 लाख पूर्व सैनिकों की विधवाओं को भी मिलेगा लाभ
10, 000 करोड़ तक का अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है सरकार पर ओआरओपी से
145 दिनों से पूर्व सैनिक दिल्ली के जंतर-मंतर और देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
09 एवं 10 नवंबर को अपने पदक जिलाधिकारियों को लौटाने का भी ऐलान किया था पूर्व सैनिकों ने
40 सालों से पूर्व सैनिक वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे हैं।

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