काली माता की आरती (Kaali Mata Aarti In Hindi) काली माता को महाकाली भी कहते हैं। काली माता हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। यह सुन्दरी रूप वाली माँ भगवती दुर्गा का काला और भयप्रद रूप है, जिसकी उत्पत्ति राक्षसों को मारने के लिये हुई थी। काली माता की व्युत्पत्ति काल अथवा समय से हुई है जो सबको अपना ग्रास बना लेता है। माँ का जो यह रूप है वह नाश करने वाला है पर यह रूप सिर्फ उनके लिए है जो दानवीय प्रकृति के हैं जिनमे कोई दयाभाव नहीं है। यह रूप बुराई से अच्छाई को जीत दिलवाने वाला है अत: माँ काली अच्छे मनुष्यों की शुभेच्छु है और पूजनीय है।
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोड तेरे द्वार खडे।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेट धरेसुन।।
जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे।।
बुद्धि विधाता तू जग माता, मेरा कारज सिद्व रे।
चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे।।
जब जब भीड पडी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे।
गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरूणी रूप अनूप धरेमाता।।
होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करेशुक्र सुखदाई सदा।
सहाई संत खडे जयकार करे।।
ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये भेट तेरे द्वार खडेअटल सिहांसन।
बैठी मेरी माता, सिर सोने का छत्र फिरेवार शनिचर।।
कुकम बरणो, जब लकड पर हुकुम करे।
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे।।
शुम्भ निशुम्भ को क्षण मे मारे, महिषासुर को पकड दले।
आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे।।
कुपित होकर दनव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे।
जब तुम देखी दया रूप हो, पल मे सकंट दूर करे।।
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे।
सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे।।
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन मे राज्य करे।
दर्शन पावे मंगल गावे, सिद्ध साधक तेरी भेट धरे।।
ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे।।
जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन मे राज्य करे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे।।