नरेन्द्र मोदी का जीवन परिचय

Narendra Modi Biography In Hindi, नरेन्द्र मोदी का पूरा नाम नरेन्द्र दामोदरदास मोदी है इनका जन्म 17 सितम्बर 1950 को जन्मस्थान वडनगर, जि. मेहसाना (गुजरात) में हुआ था। इनके पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी एवं माता का नाम हीराबेन मोदी है। इनका विवाह जशोदाबेन के साथ हुआ है। नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) भारत के ऐसे प्रधानमंत्री हैं। जिनको आज भारत का बच्चा बच्चा जनता है। नरेन्द्र मोदी ने एक चाय वाले से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफ़र कैसे तय किया है उसके बारे में सब जानते है और आज ये देश को डिजिटल इण्डिया की तरफ ले जा रहे हैं।

Narendra Modi Biography
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नरेन्द्र मोदी का जन्म पंसारी परिवार में हुआ, उनका परिवार मोड़-गंची-तेली संप्रदाय से संबंध रखता था, जो भारत सरकार के इतर पिछड़ा वर्ग में आते है। वो दामोदरदास मूलचंद (1915-1989) और हीराबेन मोदी (बी.सी. 1920) को हुए 6 बच्चो में से तीसरे थे। बच्चे होने के नाते नरेन्द्र मोदी वडनगर रेल्वे स्टेशन पर अपने पिता की चाय बेचने में मदत करते थे, और कुछ समय बाद में अपने भाई के साथ बस स्टैंड के पास खुद का चाय का स्टाल चलाना शुरू किया। उन्होंने अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा 1967 में वडनगर से ही प्राप्त की, उनके शिक्षक ने उनके बारे में बताया की वे एक साधारण विद्यार्थी के साथ एक जबरदस्त वाद-विवादी थे।

वाद विवाद में उनकी वाक्पटुता के लिए शिक्षको ने उन्हें सम्मानित भी किया। मोदी नाटक बनाते समय कोई ऐसी भूमिका निभाते थे जो उनके जीवन से भी बड़ा हो, और इसी का प्रभाव उनके राजकीय जीवन पे भी पड़ा। मोदीजी ने 8 साल की अल्पायु में RSS के स्थानीय शाखाओ में प्रशिक्षण हेतु उपस्थित रहना शुरू किया। और वहा उनकी मुलाकात लक्ष्मणराव इनामदार से हुई, जो वकील साहेब के नाम से भी जाने जाते थे, जिन्होंने मोदी को RSS का बालस्वयमसेवक भी नियुक्त किया, और वे मोदी के राजकीय सलाहकार भी बने। जब मोदी RSS में अपना प्रशिक्षण ले रहे थे तब वे वसंत गजेंद्रगडकर और नाथालाल जघदा, भारतीय जन संघ के नेताओ से भी मिले जो बाद में गुजरात में 1980 में बीजेपी के सदस्य बने।

इनका विवाह कम उम्र में ही हो गया, नरेन्द्र मोदी उस समय हाई स्कूल से स्नातक हुए थे इसलिए उन्होंने अपने इस विवाह को अस्वीकार किया। और कुछ पारिवारिक उलझनों की वजह से 1967 में उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा। परिणाम स्वरुप उन्होंने अपने 2 उत्तरी और उत्तर-पूर्व की यात्रा करने में व्यतीत किये। साक्षात्कार में मोदी ने स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित हिंदु आश्रम का भी उल्लेख किया, और साथ ही कोलकाता के बेलूर मठ, अल्मोरा के अद्विता आश्रम और राजकोट के रामकृष्ण मिशन का भी उल्लेख किया। हर जगह पर बहोत कम समय तक ही रुके थे, क्यू की उनके पास कोई महाविद्यालयीन शिक्षण नहीं था. वे 1968 में बेलूर मठ पहोचे और जल्द ही वहा से निकाल गये, और मोदी ने सबसे जादा कलकत्ता, पश्चीम बंगाल और असम और गुवाहाटी के रास्तो पर यात्रा की। और फिर अंत में वे अल्मोरा के रामकृष्ण आश्रम गये, जहा उच्चशिक्षण ना होने के वजह से उन्हें दोबारा निकाला गया।

इसके बाद फिर वे दिल्ली और राजस्थान होते हुए 1968-69 में वापिस गुजरात आये। कभी-कभी वो 1969-70 के आस-पास अहमदाबाद छोड़ने से पहले एक-दो बार वडनगर देखने भी गये थे। वे बाद में अपने अंकल के साथ रहने लगे, जो गुजरात के रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में ही काम करते थे। अहमदाबाद में मोदी ने इनामदार को फिर से अपना परिचय दिया, जो हेडगेवार भवन (RSS मुख्य कार्यालय) में मौजूद थे। 1971 के इंडो-पाक युद्ध के बाद, उन्होंने अपने अंकल के लिए काम करना बंद किया और और RSS के एक फुल टाइम प्रचारक बन गये। 1978 में ही मोदी RSS के संभाग प्रचारक बने और दिल्ली विद्यालय से राजनीती शास्त्र की डिग्री भी प्राप्त की। और पाच साल बाद उन्हें राजनीती शास्त्र में गुजरात विद्यालय से मास्टर और आट्र्स की डिग्री मिली।

इन्होने ने अपना पूरा जीवन 1971 में RSS join करने के बाद राजनीती को ही समर्पित किया। 1975-77 में जब राजनितिक झगडे चल रहे थे तब प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी में राज्यों में आपातकाल घोषित किया और RSS जैसी संघटनाओ को बंद करने कहा। तब मोदी ने गुप्त रूप से एक पुस्तक लिखी जिसका नाम “संघर्ष माँ गुजरात”, जिसमे उन्होंने गुजरात के राजनीती को वर्णित किया था. 1978 में, मोदी दिल्ली से राज्यशास्त्र में स्नातक हुए और गुजरात यूनिवर्सिटी में उनका मास्टरी का काम भी 1983 में खत्म किया। 1987 में नरेन्द्र मोदी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए, बीजेपी में वे दिन ब दिन आगे बढ़ते गए और सामाजिक हितो के कई काम उन्होंने बीजेपी में रहकर किये। उन्होंने Business के Privatisation, छोटे Business को बढ़ावा दिया। 1995 में मोदी राष्ट्रीय मंत्री के रूप ने नियुक्त हुए, 1998 के चुनाव में बीजेपी को आगे बढ़ाने में उनका सबसे बड़ा हात था।

फरवरी 2002 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा कर रहे थे। आने जाने वाली ट्रेन पर किसी ने अटैक किया, जो कथित रूप से मुस्लिमो ने किया था. और बदले के प्रतीशोध/ इरादे से गुलबर्ग के मुस्लिमो पर भी हमला किया गया। इस तरह हिंसा बढती गयी इस वजह से मोदी सरकार को उस समय कर्फ्यू की घोषणा करनी पड़ी। कुछ समय बाद दोनों ही समुदाय में शांति की स्थिति आई और तब मोदी सरकार की कई लोगो ने पुरे देश में आलोचना की क्यों की उस हमले में 1000 से भी ज्यादा मुस्लिम मारे गए थे। मोदी के विरुद्ध 2 जांच कमिटी गठित करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने पाया की मोदी के विरुद्ध कोई गवाह नहीं है जिस से उन्हें दोषी ठहरा सके।

2001 में केशुभाई पटेल की सेहत बिगड़ने लगी थी और भाजपा चुनाव में कई सीट हार रही थी। इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को नए उम्मीदवार के रूप में रखते हैं। हालांकि भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी, मोदी के सरकार चलाने के अनुभव की कमी के कारण चिंतित थे। मोदी ने पटेल के उप मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया और आडवाणी व अटल बिहारी वाजपेयी से बोले कि यदि गुजरात की जिम्मेदारी देनी है तो पूरी दें अन्यथा न दें। 3 अक्टूबर 2001 को यह केशुभाई पटेल के जगह गुजरात के मुख्यमंत्री बने। इसके साथ ही उन पर दिसम्बर 2002 में होने वाले चुनाव की पूरी जिम्मेदारी भी थी।

मुख्यमंत्री पद पर इन्होने अपना पहला कार्यकाल 7 अक्टूबर 2001 से शुरू किया। इसके बाद मोदी ने राजकोट विधानसभा चुनाव लड़ा। जिसमें काँग्रेस पार्टी के आश्विन मेहता को 14,728 मतों से हरा दिया। नरेन्द्र मोदी अपनी विशिष्ट जीवन शैली के लिये समूचे राजनीतिक हलकों में जाने जाते हैं। उनके व्यक्तिगत स्टाफ में केवल तीन ही लोग रहते हैं, कोई भारी-भरकम अमला नहीं होता। लेकिन कर्मयोगी की तरह जीवन जीने वाले मोदी के स्वभाव से सभी परिचित हैं इस नाते उन्हें अपने कामकाज को अमली जामा पहनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती। उन्होंने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मन्दिरों को भी ध्वस्त करवाने में कभी कोई कोताही नहीं बरती जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे।

हालाँकि इसके लिये उन्हें विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों का कोपभाजन भी बनना पड़ा, परन्तु उन्होंने इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं की जो उन्हें उचित लगा करते रहे। वे एक लोकप्रिय वक्ता हैं, जिन्हें सुनने के लिये बहुत भारी संख्या में श्रोता आज भी पहुँचते हैं। कुर्ता-पायजामा व सदरी के अतिरिक्त वे कभी-कभार सूट भी पहन लेते हैं। अपनी मातृभाषा गुजराती के अतिरिक्त वह राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही बोलते हैं।

मोदी के नेतृत्व में २०१२ में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया। भाजपा को इस बार ११५ सीटें मिलीं। मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के विकास के लिये जो महत्वपूर्ण योजनाएँ प्रारम्भ कीं व उन्हें क्रियान्वित कराया, उनमें से कुछ निन्म है - पंचामृत योजना, सुजलाम् सुफलाम्, कृषि महोत्सव, चिरंजीवी योजना, मातृ-वन्दना, बेटी बचाओ, ज्योतिग्राम योजना, कर्मयोगी अभियान, कन्या कलावाणी योजना, बालभोग योजना इत्यादी।

जून 2013 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की और से मोदी को प्रधानमंत्री उम्मेदवार घोषित किया गया. जहा कई लोगो ने पहले से ही उन्हें भारत का प्रधानमंत्री मान लिया था। क्यों की कई लोगो का मानना था की मोदी में भारत की आर्थिक स्थिति बदलने का और भारत का विकास करने की ताकत है और अंत में मई 2014 में उन्होंने और उनकी बीजेपी पार्टी में लोकसभा चुनाव में 534 में से 282 सीट प्राप्त कर इतिहासिक जित दर्ज की। और इसी जित के साथ उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को हराया, जो पिछले 60 सालो से भारतीय राजनीती को संभाल रही थी। और भारतीय जनता ने उस समय दिखा दिया था के वे उस समय मोदी के रूप में भारत में बदलाव लाना चाहते थे।
इन्होने शुच्छ भारत की योजना की शुरुवात की, बहुत सारी योजनाये चलाई है, मन की बात करने वाले ये पहले भारत के प्रधानमंत्री है जो सीधे सीधे आम नागरिक से जुड़े हुए हैं।

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