अयोध्या प्रसाद खत्री का जीवन परिचय, Ayodhya Prasad Khatri Biography in Hindi, अयोध्या प्रसाद खत्री (१८५७-४ जनवरी १९०५) का नाम हिंदी पद्य में खड़ी बोली हिन्दी के प्रारम्भिक समर्थकों और पुरस्कर्ताओं में प्रमुख है। उन्होंने उस समय हिन्दी कविता में खड़ी बोली के महत्त्व पर जोर दिया जब अधिकतर लोग ब्रजभाषा में कविता लिख रहे थे। उनका जन्म बिहार में हुआ था बाद में वे बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में कलक्टरी के पेशकार पद पर नियुक्त हुए। १८७७ में . . . Read More . . .
राजा लक्ष्मण सिंह का जीवन परिचय, Raja Lakshman Singh Biography in Hindi, लक्ष्मण सिंह का जन्म आगरा के वजीरपुरा नामक स्थान में 9 अक्टूबर 1826 ई. को हुआ था। 13 वर्ष की अवस्था तक आप घर पर ही संस्कृत और उर्दू की शिक्षा ग्रहण करते रहे और सन् 1839 में अंग्रेजी पढ़ने के लिए आगरा कालेज में प्रविष्ट हुए। कालेज की शिक्षा समाप्त करते ही पश्चिमोत्तर प्रदेश के लेफ्टिनेंट गर्वनर के कार्यालय में अनुवादक के पद पर नियुक्त हुए। . . . Read More . . .
कन्हैयालाल सेठिया का जीवन परिचय, Kanhaiyalal Sethia Biography in Hindi, महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया(११ सितम्बर १९१९-११ नवंबर २००८) राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। आपको २००४ में पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९८८ में ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी साहित्य पुरास्कार से भी सम्मानित किया गया है। कन्हैयालाल सेठिया का जन्म राजस्थान के चूरु जिले के सुजानगढ़ शहर में हुआ। बचपन में जब से आँखें खोलीं एक गीत कानों में अक्सर सुनाई देता था। ई तो सुरगा नै सरमावै . . . Read More . . .
जगन्नाथदास रत्नाकर का जीवन परिचय, Jagannathdas Ratnakar Biography in Hindi, जगन्नाथदास रत्नाकर (१८६६ - २१ जून १९३२) आधुनिक युग के श्रेष्ठ ब्रजभाषा कवि थे। इनका जन्म सं. 1923 (सन् 1866 ई.) के भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन हुआ था। भारतेंदु बावू हरिश्चंद्र की भी यही जन्मतिथि थी और वे रत्नाकर जी से 16 वर्ष बड़े थे। उनके पिता का नाम पुरुषोत्तमदास और पितामह का नाम संगमलाल अग्रवाल था जो काशी के धनीमानी व्यक्ति थे। रत्नाकर जी की प्रारंभिक शिक्षा . . . Read More . . .
श्रीधर पाठक का जीवन परिचय, Shridhar Pathak Biography in Hindi, श्रीधर पाठक (११ जनवरी १८५८ - १३ सितंबर १९२८) प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे। वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद तथा विनोदी थे। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और 'कविभूषण' की उपाधि से विभूषित भी। हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार था। . . . Read More . . .