चार्ल्स डार्विन का जीवन परिचय, Charles Darwin Biography in Hindi, चार्ल्स डार्विन (१२ फरवरी, १८०९ – १९ अप्रैल १८८२) ने क्रमविकास के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से १८३१ से १८३६ में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास . . . Read More . . .
ज़ेमि मोतोकियो का जीवन परिचय, Zeami Motokiyo Biography in Hindi, ज़ेमि मोतोकियो जापानी सौन्दर्यविज्ञानी, अभिनेता और नाटककार थे। इनका का जन्म 1363 में जापान के नगोया नामक नगर में हुआ। उन्हें बचपन में कियोमोता के नाम से जाना जाता था। उनकी माँ एक पादरी और जागीर के मालिक की बेटी थीं। उनके पिता कनामी एक नाटक कम्पनी के मालिक थे जो मुख्यतः १३६० और १३७० के दशक में प्रसिद्धि प्राप्त करने से पूर्व क्योतो क्षेत्र में ही प्रस्तुतियाँ देते . . . Read More . . .
रमेश चन्द्र झा का जीवन परिचय, Ramesh Chandra Jha Biography in Hindi, इनका जन्म चंपारण, (बिहार) जिले के सुगौली स्थित फुलवरिया गाँव में 8 मई 1928 को हुआ था। इनके पिता लक्ष्मी नारायण झा जाने-माने देश-भक्त और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेज़ी हुकूमत से जमकर लड़ाई की और इस वजह से कई बार गिरफ़्तार भी हुए। यहाँ तक की चम्पारण सत्याग्रह आन्दोलन के समय 15 अप्रैल 1917 को जिस दिन महात्मा गांधी चम्पारन आये, ठीक उसी . . . Read More . . .
कालिदास का जीवन परिचय, Kalidas Biography in Hindi, कथाओं और किम्वादंतियों के अनुसार कालिदास शक्लो-सूरत से सुंदर थे और विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में एक थे। कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे। कालिदास की शादी विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुई। ऐसा कहा जाता है कि विद्योत्तमा ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वह उसी के साथ शादी करेगी। जब विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों . . . Read More . . .
श्री हर्ष का जीवन परिचय, Shri harsha Biography in Hindi, श्रीहर्ष में उच्चकोटि की काव्यात्मक प्रतिभा थी तथा वे अलंकृत शैली के सर्वश्रेष्ठ कवि थे। वे शृंगार के कला पक्ष के कवि थे। श्रीहर्ष महान कवि होने के साथ-साथ बड़े दार्शनिक भी थे। ‘खण्डन-खण्ड-खाद्य’ नामक ग्रन्थ में उन्होंने अद्वैत मत का प्रतिपादन किया। इसमें न्याय के सिद्धान्तों का भी खण्डन किया गया है। श्रीहर्ष 12वीं सदी के संस्कृत के प्रसिद्ध कवि। वे बनारस एवं कन्नौज के गहड़वाल शासकों . . . Read More . . .