Rajinikanth Biography In Hindi, रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को एक मराठी परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम रमाबाई और पिता का नाम रामोजी राव था, उनके पिता बैंगलोर के पुलिस कांस्टेबल और माता गृहिणी थी। मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी के नाम पर ही उनका नाम शिवाजी राव रखा गया था।
वे बचपन में घर पर मराठी और बाहर कन्नड़ में बात करते थे। रजनीकांत के पूर्वज वर्तमान पुणे के जेजुरी के पास के गाँव मावड़ी कड़े पत्थर से थे। चार भाई-बहनो में रजनी सबसे छोटे है। 1956 में उनके पिता के रिटायर (सेवानिवृत्त) हो जाने के बाद उनका परिवार बैंगलोर के हनुमंत नगर में चला गया और वही एक घर भी बनवाया। जब रजनी केवल 9 साल के थे तभी उन्होंने अपनी माता को खो दिया था।
6 साल की उम्र में रजनी को गविपुरम गवर्नमेंट कन्नड़ मॉडल प्राइमरी स्कूल में डाला गया जहा उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। बचपन से ही वे काफी होशियार थे और क्रिकेट, फुटबॉल और बास्केटबॉल में काफी रूचि थी। उसी समय उनके भाई ने उन्हें रामकृष्ण मठ में डलवाया था। मठ में उन्होंने वेद, भारतीय इतिहास का अभ्यास भी किया जिससे उनके अंदर आध्यात्मिकता का संचार हुआ। मठ में एक बार महाभारत का नाटक करते समय वे एकलव्य के दोस्त बने थे। लोगो ने नाटक में किये गए उनके अभिनय की काफी प्रशंसा भी की थी। विशेषतः कन्नड़ कवी डी.आर. बेंद्रे ने उनके अभिनय की तारीफ की थी।
6 ठी कक्षा के बाद उन्हें आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल में डाला गया। आचार्य पाठशाला में पढ़ते समय उन्होंने कई नाटको में काम किया। एक बार कुरुक्षेत्र के नाटक में उन्होंने दुर्योधन की भूमिका निभाई थी। अपनी पढाई पूरी होने के बाद रजनी ने बैंगलोर और मद्रास में कई जॉब किये। सबसे पहले वे एक कुली थे फिर बढ़ई का काम किया और फिर बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विस में वे बस कंडक्टर बने। कन्नड़ नाटक टोपी मुनियप्पा करने के बाद से उन्होंने कई स्टेज शो किये, इसी वजह से उन्हें कई और नाटको में भी काम करने का मौका मिला। उनकी इच्छा थी की वे एक कलाकार बने लेकिन उनके परिवार ने उनका विरोध किया।
रजनीकांत ने एथीराज कॉलेज की एक विद्यार्थिनी से शादी की, जिसने कॉलेज मैगज़ीन के लिए उनका इंटरव्यू लिया था। 26 फरवरी 1981 को आंध्रप्रदेश के तिरुपति में इनका विवाह संपन्न हुआ। आज उन्हें दो बेटीयाँ ऐश्वर्या रजनीकांत और सौंदर्या रजनीकांत है। उनकी पत्नी एक स्कूल चलाती है जिसका नाम “द आश्रम” है। उनकी बेटी ऐश्वर्या की शादी एक्टर धनुष के साथ 18 नवंबर 2004 को हुई। उनकी छोटी बेटी सौंदर्या तमिल फ़िल्म इंडस्ट्री में डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और ग्राफ़िक डिज़ाइनर है। 3 सितम्बर 2010 को उनका विवाह उद्योगपति आश्विन रामकुमार से हुआ था।
उम्र और असफलता कभी भी एक सुपरस्टार को निचे नही ला सकती। रजनीकांत (Rajinikanth) को कई बार असफलता का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हर वक़्त अपने आप को साबित किया, वह एक ऐसे एक्टर है जिन्हें भारत में हर कोई प्यार करता है। जैसे-जैसे रजनीकांत बड़े होते जा रहे है वैसे-वैसे ही उनकी महानता भी बढ़ती जा रही है |
शिवाजी राव गायकवाड़ विशेषतः रजनीकांत के नाम से जाने जाते है, वे एक भारतीय फ़िल्म कलाकार है जो मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में काम करते है। एक्टर बनने से पहले वे बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्वीस में बस कंडक्टर के पद पर कार्यरत थे। 1973 में एक्टिंग में डिप्लोमा लेने के लिए उन्होंने मद्रास फ़िल्म इंस्टिट्यूट में एडमिशन लिया। 1975 की तमिल ड्रामा फ़िल्म अपूर्वा रागंगाल से उन्होंने डेब्यू किया था, तमिल फ़िल्म में उन्होंने कई मनमोहन किरदार किये है, जिन्हें आज भी लोग याद करते है। उन्होंने कई कमर्शियल रूप से सफल फिल्मो में बतौर मुख्य कलाकार काम किया है। तभी से लोग उन्हें “सुपरस्टार” कहने लगे और वे तमिलनाडु के सबसे प्रसिद्ध शख्सियत बन गए। फिल्मो में डायलॉग बोलने का उनका अपना ही एक अलग अंदाज़ है, देश ही नही बल्कि विदेशो में भी लोग उनकी आवाज़ और उनके स्टाइल के दीवाने है।
2007 में आयी फ़िल्म शिवाजी में उनके रोल के लिए उन्होंने 26 करोड़ की कमाई की थी, उस समय जैकी चैन के बाद रजनीकांत ही एशिया के सबसे महंगे अभिनेता थे। रजनीकांत ने भारत में दूसरी भाषाओ की फिल्मो में भी काम किया है, बल्कि रजनीकांत ने दूसरे देशो में भी फिल्मो में काम किया है, उन देशो में यूनाइटेड स्टेट भी शामिल है। 2014 तक रजनीकांत 6 तमिलनाडु राज्य के फ़िल्म अवार्ड जीत चुके थे – चार बेस्ट एक्टर अवार्ड और दो स्पेशल अवार्ड और साथ ही उन्हें फ़िल्मफेयर बेस्ट तमिल एक्टर का पुरस्कार भी मिला है।
एक्टिंग के साथ ही वे प्रोड्यूसर और स्क्रीनराइटर भी है। फ़िल्म करियर के साथ ही वे एक लोकोपकारी, आध्यात्मवादी और समाज सेवी भी है। सन् 2000 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भुषण से सम्मानित किया था और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। 2014 में हुए 45 वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में उन्हें इंडियन फ़िल्म पर्सनालिटी ऑफ़ द इयर का सम्मान दिया गया था।
रजनीकांत को अपनी बहुत सी फिल्मो के लिए बहुत से अवार्ड मिले है, उन्हें ज्यादातर अवार्ड तमिल फिल्मो के लिए ही मिले है। 1984 में उन्हें पहला फ़िल्मफेयर अवार्ड बेस्ट तमिल एक्टर के लिए मिला था, यह अवार्ड उन्हें नल्लवमुकु नल्लवं फ़िल्म के लिए दिया गया था। बाद में 2007 में आयी उनकी फ़िल्म शिवाजी के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड में उनका नामनिर्देशन जरूर किया गया था और 2010 में आयी फ़िल्म एन्थिरण के लिए भी उनका नामनिर्देशन किया गया था। 2014 तक रजनीकांत को 6 तमिल नाडु स्टेट फ़िल्म अवार्ड मिल चुके थे।
सिनेमा एक्सप्रेस और फ़िल्मफैंस एसोसिएशन की तरफ से भी उन्हें कई पुरस्कार मिले है, राइटिंग और प्रोड्यूसिंग में योगदान के लिए भी उन्हें बहुत से पुरस्कार मिल चुके है। 1984 में रजनीकांत को कलाईममणि अवार्ड और 1989 में एम.जी.आर अवार्ड मिला था, दोनों ही पुरस्कार तमिलनाडु सरकार ने उन्हें दिए थे। 1995 में साउथ इंडियन फ़िल्म आर्टिस्ट एसोसिएशन ने उन्हें कलैछैलवं अवार्ड सम्मानित किया। भारत सरकार ने भी सन् 2000 में उन्हें पद्म भुषण और सन् 2016 में पद्म विभूषण देकर सम्मानित किया है। NDTV ने 2007 में उन्हें इंटरटेनर ऑफ़ द इयर घोषित किया था।
उसी साल महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें राज कपूर अवार्ड देकर सम्मानित किया था। एशियावीक द्वारा रजनीकांत को सबसे प्रभावशाली दक्षिण एशिया का व्यक्ति घोषित किया गया था। 2010 में फ़ोर्ब्स इंडिया ने रजनीकांत को भारत का सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध व्यक्ति बताया। 2011 में NDTV ने इन्हें एंटरटेनर ऑफ़ द डिकेड अवार्ड से सम्मानित किया। दिसंबर 2013 में NDTV ने उन्हें “25 ग्लोबल लिविंग लीजेंड” की सूचि में भी शामिल किया।
रजनीकांत का जीवन ही नहीं बल्कि फिल्मी सफ़र भी कई उतार चढ़ावों से भरा रहा है। जिस मुकाम पर आज रजनीकांत काबिज़ हैं उसके लिए जितना परिश्रम और त्याग चाहिए होता है शायद रजनीकांत ने उससे ज्यादा ही किया है। रजनीकांत ने यह साबित कर दिया की उम्र केवल एक संख्या है और अगर व्यक्ति में कुछ करने की ठान ले तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। 60 वर्ष के उम्र के पड़ाव पर वे आज भी वे शिवाजी- द बॉस और रोबोट जैसी हिट फिल्में देने का माद्दा रखते हैं। एक समय ऐसा भी था जब एक बेहतरीन अभिनेता होने के बावजूद उन्हें कई वर्षों तक नज़रंदाज़ किया जाता रहा पर उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी। ये बात रजनीकांत के आत्मविश्वास को और विपरीत परिस्तिथियों में भी हार न मानने वाले जज्बे का परिचय देती है।
चुटुकलों की दुनिया में रजनीकांत को ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिसके लिए नामुनकिन कुछ भी नहीं और रजनीकांत लगातार इस बात को सच साबित करते रहते है। उनका यही अंदाज लोगों के दिलों पर राज करता है।
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