महाराज रणजीत सिंह का जीवन परिचय, महाराज रणजीत सिंह की जीवनी, Ranjit Singh Biography In Hindi, अंग्रेजो को हराने के लिये बड़ी सैन्य खडी करने वाला और उत्तर भारत के सिख साम्राज्य अबाधित रहने के लिये कोशीश करनेवाला ‘शेर-ए पंजाब’ मतलब महाराज रणजीतसिंह। सुकरचकिया इस मिसल राज्यों के प्रमुख महा सिंह का महाराज रणजीत सिंह ये बेटा है। इ.स. 1798 में लाहोर का राज्यपाल पद और राजा का किताब मिलने के बाद उनके कर्तुत्व सच्चा मान मिला। उन्होंने खुद के दम अमृतसर शहर जीता और सतलज नदी तक का प्रदेश काबु में किया।
रणजीतसिंह ने अंग्रेजो की शक्ति को समय राहाते ही पहचान लिया था। उन्हें हराने के लिये रणजीतसिंह ने अच्छे दर्जे की सैन्य तयार किये। खुद की तोफों की फॅक्ट्री निकाली। उनके सैनिकों में सिख, मुस्लिम, गुरखे, पठान, बिहारी, डोगरा ये शामील थे। आशिया के कुछ ही लेकीन उत्तम सैनिकों में उनके सैनिकों का समावेश होता था।
रणजीतसिंह का राज्यप्रशासन बहोत अच्छा था। सिर्फ सिखों काही कल्याण ऐसा उनका लक्ष कभी भी नहीं था। कर में से 50 प्रतिशत उत्पादन का हिस्सा जमा करके राज्य का खर्चा किया जाता था।
1809 को ब्रिटिशो से हुये अमृतसर तह के अनुसार सतलज के पश्चिम के तरफ का क्षेत्र रणजीतसिंह के राज के निचे आया। अफगान राजा शाह्शुजा इसे उन्होंने किये हुये मदत के बदले में दुनिया का प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा फिर से भारत में आया। अंग्रेजो से उन्होंने व्यापारी करार किया था। रणजीतसिंह जब तक है तब तक ये प्रदेश उनके काबु में नहीं आयेंगा ये सच्चाई अंग्रेजोने पहचान ली थी।
1839 को रणजीतसिंह की मौत होने के बाद उनके सरदारों में सत्ता के लिये मुकाबला हुवा। अंग्रेजोने इसका फायदा उठाया और पंजाब के सिंह का राज्य खतम हुआ।