सानिया मिर्ज़ा का जीवन परिचय, Sania Mirza Biography in Hindi, सानिया मिर्ज़ा का जन्म 15 नवम्बर 1986 को मुंबई में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद के एन ए एस आर स्कूल में हुई, तत्पश्चात उन्होंने हैदराबाद के ही सेंट मैरी कॉलेज से स्नातक किया। उन्हें 11 दिसम्बर 2008 को चेन्नई में एम जी आर शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई। उनके पिता इमरान मिर्ज़ा एक खेल संवाददाता थे तथा माँ नसीमा मुंबई में प्रिंटिंग व्यवसाय से जुड़ी एक कंपनी में काम करती थीं। कुछ समय के बाद उन्हें और छोटी बहन 'अनम' को हैदराबाद जाना पड़ा जहां एक पारंपरिक शिया खानदान के रूप सानिया का बचपन गुजरा। पिता के सहयोग और अपने दृढ़ संकल्प के सहारे वह आगे बढ़ती चली गई। हैदराबाद के निज़ाम क्लब में सानिया ने ६ साल की उम्र से टेनिस खेलना शुरु किया।
सानिया मिर्ज़ा भारत की एक टेनिस खिलाडी है, जिसने भारतीय टेनिस खिलाडी के रूप में अपना स्थान बनाये रखा है। अपने एक दशक से भी लम्बे करियर में सानिया ने खुद को हर मोड़ पर सफल साबित किया और देश की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाडी बनी। अपने एकल करियर में, मिर्ज़ा ने शातिर रूप से Svetlana Kunznetsova, Vera Zvonareva और Marion Bartoli और पूर्व नंबर एक खिलाडी Martina Hingis, Dinara Safina और Victoria Azarenka को खेल में धुल चटाई थी। वह अब तक की भारत की सबसे सफल और शीर्ष पर कायम पहली महिला टेनिस खिलाडी है।
सानिया अंतरराष्ट्रिय रैंकिंग में 2007 के मध्य में 27 वे स्थान पर काबिज़ थी। लेकिन बाद में कुछ समय बाद कलाई में लगी चोट के करण सानिया को अपना एकल करियर समाप्त करना पड़ा और तभी से वह डबल प्लेयर पर ज्यादा ध्यान देने लगी। जहा फिलहाल वह नम्बर एक स्थान पर काबिज है। सानिया ने US 1 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा की कमाई अपने खेल में की है। और अपने स्थानिक देश भारत की वह नंबर एक टेनिस खिलाडी है। सानिया ने अपने करियर में कई पुरस्कार और अवार्ड्स भी हासिल किये है।
इसी के साथ वह तीसरी भारतीय महिला है जिसने ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिता के एक राउंड में जीत हासिल की है। अपने करियर में सानिया ने 14 मेडल्स भी जीते है जिनमे 6 गोल्ड मेडल भी शामिल है। ये मेडल्स सानिया ने एशियाई गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स और एफ्रो-एशियाई गेम्स में जीते है। टाइम्स पत्रिका ने सानिया को अक्टूबर 2005 में “एशिया के 50 हीरो” की सूचि में शामिल किया था। मार्च 2010 को, दी इकोनॉमिक्स टाइम्स ने सानिया को “33 महिला जिनका भारत को गर्व है” की सूचि में भी शामिल किया था। 25 नवम्बर 2013 को UN Women Goodwill Ambassador, दक्षिण एशिया के लिए भी उनकी नियुक्ति की गयी थी।
सानिया मिर्ज़ा के पिता के पास इतने पैसे नही थे जो उन्हें पेशेवर ट्रेनिंग दिलवा सकें। इसके लिए उनके पिता ने कुछ बड़े व्यापारिक समुदायों से स्पान्सर्शिप ली, जिसमें प्रमुख हैं जीवेके इंड्रस्ट्रीज और एडीडास। इन दोनों कंपनियों ने उन्हें 12 साल की उम्र से ही स्पान्सर करना शुरु कर दिया। उसके बाद उनके पिता ने उनकी ट्रेनिंग का जिम्मा लिया। महेश भूपति के पिता सी. के. भूपति की देखरेख में उसकी टेनिस शिक्षा की शुरुआत हुई। हैदराबाद के निज़ाम क्लब से शुरुआत करने के बाद वह अमेरिका की एस टेनिस एक्रेडेमी गई।
1999 में उसने जूनियर स्तर पर पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया। सानिया जब 14 वर्ष की भी नहीं थी तब उसने पहला आई.टी.एफ. जूनियर टूर्नामेंट इस्लामाबाद में खेला था। 2002 में भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने बुसान एशियाड के पूर्व 16 वर्षीय सानिया को खेलते देखा और निश्चय किया कि वह सानिया मिर्ज़ा के साथ डबल्स में उतरेंगे। फिर उन्होने इस देश को कांस्य पदक दिलाया। उसके बाद सानिया ने 17 वर्ष की उम्र में विंबलडन का जूनियर डबल्स चैंपियनशिप खिताब जीता था।
सानिया ने 2009 में अपने बचपन के दोस्त सोहराब मिर्जा से सगाई की लेकिन कुछ समय बाद ही यह टूट गयी और बाद में सानिया ने इस बारे में कहा “ बेशक हम बचपन के दोस्त है। और दोस्त के नजरिये से ठीक है लेकिन जीवनसाथी के तौर पर हम में बात नहीं बनी।” फिर 12 अप्रेल 2012 को उन्होंने पाकिस्तान के क्रिकेटर शोएब मालिक से शादी कर ली। उनकी शादी हैदराबाद के ही ताज कृष्णा होटल में मुस्लिम रीति रिवाजो के अनुसार हुई। भारत में इस शादी को लेकर जाने क्यों लेकिन लोगो ने बहुत कड़ी प्रक्रियाएं दी। लोगो को पाकिस्तान से नफरत है और इसी वजह से कुछ बेवकूफ लोगो ने तो उन्हें पाकिस्तान की बहुत बताया और यंहा तक कह दिया कि उन्हें भारत की और नहीं खेलने दिया जाना चाहिए।
लेकिन सानिया ने इस तरह की किसी भी तरह की प्रतिक्रिया को ignore करते हुए अपने खेल पर ध्यान दिया और वो भारत की तरफ से खेलती रही। सानिया को 2014 में तेलंगाना का ब्रांड अम्बेसडर बनाया गया है जो कि नवनिर्मित राज्य है। जिस पर भी भी विवाद हुआ था। तेलंगाना विधानसभा मे भाजपा नेता के॰ लक्ष्मण ने उन्हे ‘पाकिस्तान की बहू’ कहा जो कि मेरे ख़याल से बेहद अशोभनीय टिप्पणी है। फिर इन सब से तंग आकर सानिया ने खुद फेसबुक पर सफाई दी और कहा मैं इस सब और आहत हूँ और नहीं जानती कि “ किसी और देश में भी ऐसा होता है या नहीं “ लेकिन मैंरे इतने साल देश के लिए खेलने और मैडल जीतने के बाद भी मुझे हमेशा खुद को भारतीय होने के लिए सफाई देनी पड़ती है।
सानिया मिर्ज़ा एक आक्रमक ग्राउंडस्ट्रोक खिलाडी है जो अपने आक्रमण अंदाज़ के लिये जानी जाती है। सानिया की सबसे बड़ी ताकत उसका मस्तिष्क और साथ ही टप्पा पड़ते ही प्रहार करने की योग्यता है। सानिया के खेल शैली की तुलना महान रोमानियाई Llie Nastase से की जाती है. वह खेल में वापसी करने वाली कुशल खिलाडी है, अपने बहोत से मैच सानिया ने खेल में दोबारा वापसी करते हुए जीते है।
उनसे जब इस बारे में पूछा गया था तब मिर्ज़ा ने कहा था की, “मेरे मस्तिष्क और उलटे हात के प्रहार को कोई नही रोक सकता, और यही एक जगह है जहा से मै आसानी से जीत सकती हूँ। मुझे बस आक्रमकता से प्रहार करने की जरुरत है।” “मुझे अपने पैरो से नही बल्कि अपने हातो से तेज़ होने की जरुरत है।” अपनी कमजोरियों के बारे में बताते हुए सानिया ने कहा था की कोर्ट के पास वाली जगह ही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है, उस जगह पर सानिया बहोत बार संघर्ष करते हुए नज़र आई है। सानिया ने अपनी दूसरी कमजोरी को बताते हुए कहा था की, वह आसानी से तेज़ी से एक जगह से दुसरे जगह नही जा सकती। और इसी वजह से 2012 में कलाई में चोट लगने की वजह से उनका एकल कैरियर समाप्त हो गया था।
22 जुलाई 2014 को भारत की इस नंबर एक महिला टेनिस खिलाड़ी को नवगठित तेलंगाना राज्य की ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के॰ चंद्रशेखर राव ने उदयोगपतियों के साथ बातचीत सत्र के दौरान सानिया को नियुक्ति पत्र और एक करोड़ रूपये का चेक प्रदान किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा "तेलंगाना को सानिया पर गर्व है जो एक सच्ची हैदराबादी हैं। वह अंतरराष्ट्रीय टेनिस में पांचवें नंबर पर है और हम दुआ करते हैं कि वह नंबर वन बने।
2004 में, सानिया को भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2006 में, उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया, जो एक टेनिस खिलाड़ी के रूप में उनकी उपलब्धियों के लिए भारत का चौथा सर्वोच्च सम्मान है।
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