सुधा चंद्रन का जीवन परिचय, सुधा चंद्रन की जीवनी, Sudha Chandran Biography In Hindi, इतिहास गवाह है, जीवन में हमेशा वही लोग असाधारण सफलता प्राप्त sudha_chandran_करते हैं, जिनके इरादों और कड़ी मेहनत को परेशानियों, नकारात्मक थपेड़ो और असफल कोशिशों को और मजबूत कर दिया। यह कहना बेहद आसान है, लेकिन इसे जीवन में उतारना कितना कठिन है, इसकी परिकल्पना शायद वही इन्सान कर सकता है, जिसने इसे सचमुच अपने जीवन में साकार किया है।
तमिलनाडु के छोटे से गांव में एक सरकारी मुलाजिम पत्नी और अपने पांच साल की बेटी के साथ रहता था। बच्ची को डांस का बड़ा शौक था। माता-पिता ने बच्ची को लेकर मुबई के प्रतिष्ठित कला सदन में गए। छोटी बच्ची को देखकर वहां के प्राचार्य दाखिला लेने को तैयार नहीं थे। पिता ने बहुत मिन्नत की, कि कम-से-कम एक बार उसका डांस तो देख लें। प्राचार्य मान गए। जब बच्ची ने डांस किया किया, तो प्राचार्य ने दांतों तले अंगुलियाँ दबा ली। उन्होंने तुरंत दाखिला ले लिया। धीरे-धीरे वह बच्ची बड़ी हो गयी। अब तक उनके 75 से अधिक स्टेज प्रोग्राम हो चुके थे और उसे अनेक रास्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके थे और उसकी ख्याति तेज़ी से फ़ैलने लगी थी।
अब वह 21 साल हो गयी थी। एक दिन जब वह अपनी माता-पिता के साथ कहीं जा रही थी, तभी सामने से आ रहे ट्रक ने उसकी गाड़ी को जोर से टक्कर मारी। ठोकर सीधे उस लड़की के पैर पर लगी और उसका घुटना चकनाचूर हो गया। डॉक्टर ने कहा कि यदि इस लड़की की जान बचानी है तो एक पैर काटना पड़ेगा। कोई और उपाय न देख कर डॉक्टर ने उसका एक पैर काट दिया। अब वह चल भी नहीं पाती थी डांस तो दूर की बात थी। बिस्तर पर पड़े लड़की अपने किस्मत को कोसती रहती। उसने एक दिन अख़बार में विज्ञापन देखा कि शहर में कोई डॉक्टर आया है, जो लकड़ी के पैर बनता है।
लड़की को उसके माता-पिता उस डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर के पास जाने के बाद लड़की ने पूछा “डॉक्टर साहब, क्या मै चलने के साथ-साथ पहले की तरह डांस भी कर सकती हूँ?” डॉक्टर ने कहा “मैं आपके लिए अल्यूमिनियम का रोटेट होनेवाला एक पैर बना देता हूँ, जिसकी मदद से आप चल भी सकती हैं और डांस भी कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए आपको पहले से दस-गुना अधिक मेहनत करनी पड़ेगी।” लड़की सोच में पड गयी, लेकिन उसके अन्दर एक कठोर निश्चय किया को वह डांस करेगी। लड़की ने पूरे मन से डांस का अभ्यास करने लगी। लगभग दो साल के बाद, उसे मुंबई के एक कार्यक्रम में बुलाया गया।
आयोजक इस बात को तैयार नहीं थे कि किसी अपंग लडकी को यह अवसर दिया जाये। लेकिन, किसी तरह बात बनी। लड़की ने जब अपना डांस ख़त्म किया तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। कार्यक्रम के अंत में जब आयोज़को ने दर्शको को उस लड़की के पैर के बारे में बताया, तो पूरा हॉल खड़े होकर 20 मिनट तक ताली बजाता रहा। अगले दिन सभी समाचारपत्रों और अत्रिकाओं में वह लड़की छाई रही। यह सच्ची कहानी विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना सुधा चंद्रन की है, जिसके जीवन पर बाद में “नाचे मयूरी” फिल्म भी बनी।
किसी विचारक ने सही कहा है कि हमें जीवन से सब कुछ मिल सकता है, लेकिन उसकी एक कीमत होती है, चाहे वह मेहनत के रूप में हो, राशि के रूप में या भावना के रूप में। यदि हम वह कीमत चुकाने को तैयार हैं, तो हम हर असाधारण सफलता को प्राप्त करने का सपना देख सकते हैं।