Advertisement

कबीर के दोहे

कबीर दास का दोहा, Kabir Ke Dohe in Hindi, जब भी हम दोहों के बारे में बात करते है तो संत कबीर का नाम सबसे पहले आता है, उनके साहित्य के योगदान को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता, उनकी रचनाएँ, भजन, और दोहे बहुत प्रसिद्ध है। जन्म से लेकर युवावस्था तक संघर्ष की आंच में तपने वाले कबीर दास की जयंती 9 जून को मनाई जाती है। कबीर जी पढ़े लिखे नहीं थे। फिर भी कबीर जी ने इंसान को वो ज्ञान दिया जिसे विचार कर इंसान का जीवन बदल जाए।

Kabir Ke Dohe Dohe - Couplets
Advertisement

"दोहा"

"जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही।
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही॥"

"हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना॥"

"जाति न देखो नेता की, देख लीजिये काम।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥"

"दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त।
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत॥"

"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥"

"उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास।
तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥"

"साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय।
आगे पाछे हरी खड़े जब माँगे तब देय॥"

"सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ।
धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाइ॥"

"जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ॥"

"कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर॥"

"दोहा"

"कबीर कहा गरबियो, काल गहे कर केस।
ना जाने कहाँ मारिसी, कै घर कै परदेस॥"

"विषय त्याग बैराग है, समता कहिये ज्ञान।
सुखदाई सब जीव सों, यही भक्ति परमान॥"

"रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय॥"

"हरी रस पीया जानिये, कबहू न जाए खुमार।
मैमता घूमत फिरे, नाही तन की सार ॥"

"घट का परदा खोल कर, सन्मुख दे दीदार।
बाल स्नेही साईंयां, आवे अंत का यार॥"

"कबीर दर्शन साधु के, करत ना कीजै कानि।
जो उधम से लक्ष्मी, आलस मन से हानि॥"

"पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥"

"तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय॥"

नोट :- आपको ये पोस्ट कैसी लगी, कमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखे और शेयर करें, धन्यवाद।

Advertisement
Advertisement

Related Post

Categories