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ओशो के अनमोल सुविचार

ओशो के अनमोल सुविचार, Osho Quotes in Hindi, आप यहाँ प्रसिद्ध व्यक्तियों के सुविचार, अनमोल वचन, फेमस कोट्स, ग्रेट कोटेसन, बेस्ट कोट्स, स्लोगन, एस एम एस तथा महापुरुषों के अनमोल विचार के बारे में पढ़ सकते हैं।

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"सुविचार - ओशो"

मूर्ख दूसरों पर हँसते हैं। बुद्धिमत्ता खुद पर।

जीवन ठहराव और गति के बीच का संतुलन है।

आप वो बन जाते हैं जो आप सोचते हैं जो आप हैं।

जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।

कोई चुनाव मत करिए। जीवन को ऐसे अपनाइए, जैसे वो अपनी समग्रता में है।

जीवन कोई त्रासदी नहीं है; ये एक हास्य है। जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना।

सद्भाव की छाया है; वो सद्भाव का पीछा करती है। प्रसन्न रहने का कोई और तरीका नहीं है।

सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है… इसके विपरीत, सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है।

कोई प्रबुद्ध कैसे बन सकता है? बन सकता है, क्योंकि वो प्रबुद्ध होता है- उसे बस इस तथ्य को पहचानना होता है।

यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है। हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है।

"सुविचार - ओशो"

जब मैं कहता हूँ कि आप देवी-देवता हैं तो मेरा मतलब होता है कि आप में अनंत संभावनाएं है, आपकी क्षमताएं अनंत हैं।

किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं। खुद को स्वीकारिये।

अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं। और क्योंकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं, इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं।

मित्रता शुद्ध तम प्रेम है। ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस देने में आनंद आता है।

जैन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं। यह उनके अथाह प्रेम की वजह से है कि उनमें डर नहीं है।

जेन एकमात्र धर्म है जो एकाएक आत्मज्ञान सीखता है। इसका कहना है कि आत्मज्ञान में समय नह लगता, ये बस कुछ ही क्षणों में हो सकता है।

अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए। जीवन को मजे के रूप में लीजिये – क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है।

उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये।

आत्मज्ञान एक समझ है कि यही सब कुछ है, यही बिलकुल सही है, बस यही है। आत्मज्ञान कोई उपलब्धि नहीं है, यह ये जानना है कि ना कुछ पाना है और ना कहीं जाना है।

जिस दिन आप ने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है- क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा, ना कोई आनंद और ना कोई अचरज। अब आप एक मृत जीवन जीएंगे।

"सुविचार - ओशो"

यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं तो आप एक ध्यानी बन सकते हैं। ध्यान दर्पण में देखने की कला है। और अब, आपके अन्दर कोई विचार नहीं चलता इसलिए कोई व्याकुलता नहीं होती।

आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों को प्रेम कर सकते हैं- इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे, अब मेरे पास प्रेम नहीं है”। जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते।

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