देखो लड़को! बंदर आया। एक मदारी उसको लाया॥ कुछ है उसका ढंग निराला। कानों में है उसके बाला॥ फटे पुराने रंग बिरंगे। कपड़े उसके हैं बेढंगे॥ मुँह डरावना आँखे छोटी। लंबी दुम थोड़ी सी मोटी॥ भौंह कभी वह है मटकाता। आँखों को है कभी नचाता॥ ऐसा कभी किल-किलाता है। जैसे अभी काट खाता है॥ कभी दाँतों को है दिखाता। कभी कूद-फाँद है मचाता॥ कभी घुड़कता है मुँह बनाकर। सब लोगों को बहुत डराकर॥ . . . Read More . . .
प्रकृति हमारी कितनी प्यारी, सबसे अलग और सबसे न्यारी, देती है वो सबको सीख, समझे जो उसे नज़दीक, पेड़, पौधे, नदी, पहाड़, बनाए ये सुंदर संसार, पेड़ पर लगे विभिन्न पत्ते, सिखाते है हमें रहना एक साथ, पेड़ की ज़िंदगी जड़ों पर टिकी है, मनुष्य की ज़िंदगी सत्कर्मों, आसमान है ये विशाल अनंत, मनुष्य की सोंच का भी नहीं है अंत, हे मनुष्य! समझो ये बातें सारी, प्रकृति हमारी कितनी प्यारी, सबसे अलग और सबसे न्यारी . . . Read More . . .
चले न कोई तिरछी चाल, फूलें नहीं किसी के गाल। बढ़ी छुट्टियाँ खूब धमाल, आओ हम खेलें फुटबाल। . . . Read More . . .
सूँड उठा कर हाथी बोला, बोला क्या तन उसका डोला। बोला तो मन मेरा बोला, देखो देखो अरे हिंडोला। आओ बच्चो मिलजुल आओ, आओ बैठो तुम्हें डुलाऊँ। . . . Read More . . .
बाग बगीचा सुन्दर फूल, बैठी तितली जग को भूल। लगी झूलने फूलों के संग, ठंडी हवा बही अनुकूल। याद नहीं पर तितली को था, फूलों में है एक बबूल। खेल खेल में चुभा बबूल, तितली गयी पहाड़ा भूल। . . . Read More . . .