सिर पर सूरज नीचे घास, आओ मिलकर नाचें आज, एक पेड़ है लम्बा सा, फिर भी मुझसे छोटा सा, आसमान में दो कौवे, रंग है उनका नीला सा, . . . Read More . . .
माँ आँखों से ओझल होती, आँखें ढूँढ़ा करती रोती। वो आँखों में स्वप्न सँजोती, हर दम नींद में जगती सोती। वो मेरी आँखों की ज्योति, मैं उसकी आँखों का मोती। कितने आँचल रोज भिगोती, वो फिर भी ना धीरज खोती। कहता घर मैं हूँ इकलौती, दादी की मैं पहली पोती। माँ की गोदी स्वर्ग मनौती, क्या होता जो माँ ना होती। नहीं जरा भी हुई कटौती, गंगा बनकर भरी कठौती। बड़ी हुई मैं हँसती रोती, आँख . . . Read More . . .
सुबह सुबह आ जाता सूरज, दंगा नहीं मचाता सूरज। सर्दी में मन भाता सूरज, छतरी लगा बाग में बैठो, पिकनिक रोज़ मनाता सूरज। बर्गर हो या पिज़ा पेस्ट्री, . . . Read More . . .
बादल गुस्साए थे, लड़ते भिड़ते आये थे। धूम धूम धड़ाम, धूम धूम धड़ाम, बिजली चमकी बार बार। और पानी बरसा मूसलाधार, मुन्नी भागी मम्मी से चिपकी। . . . Read More . . .
है महका हुआ गुलाब, खिला हुआ कंवल है। हर दिल मे है उमंगे, हर लब पे ग़ज़ल है। ठंडी-शीतल बहे ब्यार, मौसम गया बदल है। हर डाल ओढ़ा नई चादर, हर कली गई मचल है। प्रकृति भी हर्षित हुआ जो, हुआ बसंत का आगमन है। . . . Read More . . .