हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए। इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। . . . Read More . . .
कई गलियों के बीच, कई नालों के पार कूड़े-करकट के ढेरों के बाद बदबू से फटते जाते इस टोले के अन्दर खुशबू रचते हैं हाथ। . . . Read More . . .
हे भारतीय युवक, ज्ञानी विज्ञानी, मानवता के प्रेमी, संकीर्ण तुच्छ लक्षय की लालसा पाप है। मेरे सपने बड़े, मैं मेहनत करूँगा, मेरा देश महान हो, धनवान हो, गुणवान हो। यह प्रेरणा का भाव अमूल्य है, कहीं भी धरती पर, उससे ऊपर या नीचे। दीप जलाए रखूँगा, जिससे मेरा देश महान हो, दीप जलाए रखूँगा, जिससे मेरा देश महान हो। . . . Read More . . .
समंदर की लहरें, सुनहरी रेत रामेश्वर द्वीप की वह छोटी पूरी दुनिया सबमें तू निहित, सब तुझमें समाहित। तेरी बाहें में पला मैं, मेरी कायनात रही तू जब छिड़ा विश्व युद्ध, छोटा सा मैं, जीवन बना था चुनौती, जिंदगी अमानत मीलों चलते थे हम, पहुँचते किरणों से पहले। कभी जाते मंदिर लेने स्वामी से ज्ञान, कभी मौलाना के पास लेने अरबी का सबक, स्टेशन को जाती रेत भारी सड़क, बांटे थे अख़बार मैंने, चलते पलते साए में तेरे। . . . Read More . . .
नया साल है नया साल है। खूब ख़ुशी है खूब धमाल है। पढ़ने लिखने से छुट्टी है। घर बाहर हर पल मस्ती है। खाना पीना माल टाल है। नया साल है नया साल है। सभी ओर उत्सव की धूम है। लगा साथियों का हुजूम है। गाना वाना मस्त ताल है। नया साल है नया साल है। . . . Read More . . .