दादरा और नगर हवेली (Dadra Nagar Haveli) भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है। यह पश्चिमी तट के पास स्थित है और इसके दो अलग अलग हिस्से हैं। दादरा गुजरात राज्य से घिरा है और नगर हवेली महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा पर स्थित है।
दादरा और नगर हवेली के बारे में सबसे उल्लेखनीय बात इसकी खूबसूरती है। हरे भरे जंगल, इठलाती नदियां, पर्वत श्रृंखलाएं और वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियों की शानदार झलक इस केंद्र शासित प्रदेश का सबसे खास पहलू हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी कोने में स्थित यह केंद्र शासित प्रदेश गुजरात और महाराष्ट्र के बीच में स्थित है। इसका कुल इलाका 491 वर्ग किलोमीटर का है। इस जगह का सबसे रोचक पहलू इसका दमन गंगा नदी के जल विभाजन में स्थित होना है, जो इस क्षेत्र से होकर गुजरती है।
दादरा और नगर हवेली सन् 1779 से एक पुर्तगाली उपनिवेश रहा, लेकिन सन् 1954 में जाकर यह भारत का हिस्सा बना। सन् 1961 तक यह स्वतंत्र रुप से संचालित और स्वराज्य था। इस साल में ही यह भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश बना और अब यह भारतीय संसद के दोनों सदनों में प्रतिनिधित्व करता है।
केंद्र शासित प्रदेश के सबसे मुख्य शहर दादरा और सिलवासा हैं। सिलवासा यहां की राजधानी भी है। दादरा और नगर हवेली के पूर्व में पश्चिमी घाट और उत्तर और पूर्व में गुजरात है, जबकि दक्षिण की सीमा पर महाराष्ट्र राज्य है। दादरा और नगर हवेली के पूर्वोत्तर में पश्चिमी घाट की मौजूदगी से यह क्षेत्र पहाड़ी है, लेकिन इलाके का मध्य भाग ज्यादातर मैदानी और बहुत उपजाउ है।
दादरा और नगर हवेली में एक जिला, एक ब्लाॅक और 72 गांव हैं और सन् 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 3,43,709 है। दादरा और नगर हवेली के गहरे अध्ययन से पता चलता है कि इस क्षेत्र में कई जनजातियां हैं जिनमें वरलाइ, कोंकण, धोडिया और डबलास हैं। यह आदिवासी लोग स्वतंत्र, आत्मनिर्भर होते हैं और इनकी अपनी संस्कृति और सामाजिक जीवन होता है।
दादरा में तीन गांव हैं और नगर हवेली में सिलवासा शहर और 68 गांव शामिल हैं। हरे भरे जंगल, इठलाती नदियां, पर्वत श्रृंखलाएं और वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियों के लिए मशहूर यह केंद्र शासित प्रदेश सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
इस क्षेत्र में नवंबर से मार्च तक बहुत ही सुहावना मौसम होता है और यह समय यहां घूमने आने का सबसे अच्छा समय है। समुद्र से नजदीकी के कारण गर्मियों में तापमान बहुत ज्यादा नहीं होता और रातें बहुत सुहावनी होती हैं। दक्षिण-पश्चिमी मानसून जून से सितंबर तक रहता है। इस दौरान इस इलाके में बहुत जोरदार बारिश होती है। यहां बरसात लगभग 200 से 250 सेमी. होती है।
सन् 1783 और 1785 के बीच में पुर्तगाली नियंत्रण में आने से पहले दादरा और नगर हवेली मराठा शासन में थे। पुर्तगालियों ने इस जमीन पर 150 साल से ज्यादा राज किया। सन् 1954 में भारतीय राष्ट्रीय स्वयंसेवकों ने पुर्तगालियों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया। सन् 1961 में यह एक केंद्र शासित प्रदेश बना।
इसकी भौगोलिक स्थिति 20 डिग्री 25’ उत्तर और 73 डिग्री 15’ पूर्व में है। यह क्षेत्र देश के पश्चिमी हिस्से में और गुजरात और महाराष्ट्र के बीच में स्थित है। यह दमन गंगा नदी के जल विभाजन में स्थित है। इसका कुल इलाका 491 वर्ग किलोमीटर का है। यहां की 40 प्रतिशत जमीन घने जंगलों से ढंकी है। यह हंसमुख और रंगीन आदिवासियों की मातृभूमि है जो अपने लोकगीतों और जीवंत जीवनशैली से समृद्ध हैं। यहां ज्यादातर रहने वाले लोग आदिवासी हैं जो कई सारे जनजातीय समूहों में बंटे हैं, जिनमें वरलाइ, कोंकण, धोडिया और डबलास शामिल हैं। यहां की ज्यादातर आबादी हिंदुओं की है।
दादरा और नगर हवेली का मौसम इसकी भौगोलिक स्थिति से बहुत प्रभावित है। यह केंद्र शासित प्रदेश यूं तो चारों तरफ से जमीन से घिरा है लेकिन समुद्र से ज्यादा दूर भी नहीं है। इस क्षेत्र के एक ओर पश्चिमी घाट की सीमा है, वहीं यह गुजरात और महाराष्ट्र के बीच में स्थित है।
इस राज्य का मुख्य व्यवसाय कृषि है। आदिवासी यहां ज्यादातर चावल, गेंहू, गन्ना, धान, दालें और फल उगाते हैं। यहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है। इसका प्रशासन भारत की केंद्र सरकार देखती है। यहां की 40 प्रतिशत जमीन घने जंगलों से ढंकी है और बाकी क्षेत्र चावल और अन्य अनाज के उत्पादन और जानवरों की चराई के लिए है। यहां का उद्योग विकास सीमित है। राजधानी सिलवासा भिलाड और वापी से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पश्चिमी रेलवे का वापी रेलवे स्टेशन है जो कि सिलवासा से 17 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा मुंबई में है।
दादरा और नगर हवेली भारतीय उपमहाद्वीप का एक केंद्र शासित प्रदेश है जिसका नियंत्रण भारत की केंद्र सरकार के पास है। इसलिए केंद्र सरकार इसकी बुनियादी सुविधाओं के लिए जिम्मेदार है। भारत के राष्ट्रपति एक प्रशासक या ‘लेफ्टिनेंट गवर्नर’ की नियुक्ति करते हैं जो कि दादरा और नगर हवेली सरकार का मुखिया होता है। सिलवासा यहां की राजधानी है और दादरा और नगर हवेली का ज्यादातर बुनियादी ढांचा यहीं से संचालित होता है। यहां का सड़क परिवहन पूरी तरह से गुजरात और महाराष्ट्र की राज्य परिवहन प्रणालियों पर निर्भर है जो कि इसके पड़ोसी राज्य हैं।
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 3,43,709 है। दशकीय जनगणना सूचना के हिसाब से इस केंद्र शासित प्रदेश ने 55.5 प्रतिशत की सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर दिखाई है।
केंद्र शासित प्रदेशों का सीधा नियंत्रण भारत की सरकार के पास होता है और उन्हें ‘भारत के उप-राष्ट्रीय प्रशासनिक प्रभाग’ के तौर पर परिभाषित किया जाता है। दादरा और नगर हवेली भारत का एक महत्वपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यहां की सरकार और राजनीति का नियंत्रण भारत की केंद्र सरकार करती है। भारत के राष्ट्रपति एक प्रशासक या ‘लेफ्टिनेंट गवर्नर’ की नियुक्ति करते हैं जो कि दादरा और नगर हवेली सरकार और राजनीति का मुखिया होता है। यह लंबे समय तक पुर्तगाल के शासन में रहा और सन् 1954 में यह भारतीय उपमहाद्वीप में शामिल किया गया। हालांकि तब भी यहां की राजनीति और सरकार स्वतंत्र रुप से संचालित और स्वराज्य थी।
दादरा और नगर हवेली के लोग, संस्कृति और त्यौहार सब मिलकर एक रंगीन नज़ारा दिखाते हैं। दादरा और नगर हवेली की ज्यादातर आबादी अलग अलग आदिवासी समूहों से संबंध रखती है। यहां की मुख्य जनजातियों में कोंकण, वरलाइ, कोली, धोडिया, काथोड़ी, नैका और डबलस हैं। आदिवासियों की अपनी संस्कृति और रिवाज़ हैं जो हर अलग अलग समुदाय में भिन्न हैं। यहां की हवा में लोक कहावतें और कहानियां बहती हैं, क्योंकि वो यहां के लोगों और समाज को बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं। गीत और नृत्य इन आदिवासी समूहों का अभिन्न अंग हैं और फसल कटाई, शादी या मौत सभी अवसरों का जरुरी हिस्सा हैं। इन आदिवासियों के अलावा दादरा और नगर हवेली में अलग अलग धर्मों के लोग रहते हैं। उनके अपने त्यौहार और विभिन्न रिवाज़ हैं। हालांकि यहां की ज्यादातर आबादी हिंदू है जो कि कुल आबादी का 95 प्रतिशत है। इन आदिवासियों की अपनी भाषा है जिनमें भीली और भिलोड़ी सबसे आम है। अंग्रेजी आधिकारिक कामों के लिए इस्तेमाल होती है और हिंदी, मराठी और गुजराती बड़े पैमाने पर बोली जाती है, खासकर उन इलाकों में जो महाराष्ट्र और गुजरात के पास हैं।
दादरा और नगर हवेली की मुख्य भाषाओं में मराठी, गुजराती, भीली और भिलोड़ी हैं।
दादरा और नगर हवेली क्षेत्र में प्राकृतिक संुदरता कूट कूट कर भरी है। यह केंद्र शासित प्रदेश एक बहुत ही लोकप्रिय टूरिस्ट हब है लेकिन साथ ही इसने अपनी सुंदरता को भी कायम रखा है। हालांकि समय के साथ साथ विभिन्न कारणों से दादरा और नगर हवेली में आबादी में बढ़ोतरी देखी गई। किसी समय में यहां सिर्फ पिछड़े आदिवासी ही रहते थे। सैलानियों, पड़ोसी राज्यों के लोगों के बड़ी संख्या में यहां आने और उनके प्रभाव से और सरकार की कोशिशों से यहां के लोगों ने आधुनिक समाज की मुख्य धारा में आना शुरु किया। इससे इस इलाके के शिक्षा के परिदृश्य में भी सुधार आया। इस क्षेत्र की शिक्षा के बारे में बात करते समय इस क्षेत्र के आसपास के विभिन्न शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थानों की बात करना बहुत जरुरी है।
सिलवासा का आदिवासी संस्कृति संग्रहालय उन लोगों के लिए घूमने का आदर्श स्थान है जो यहां वास्तविक रुप से कुछ तलाशने में आलस करते हैं। यहां मुखौटों, संगीत उपकरण, मछली पकड़ने के उपकरण और आदमकद प्रतिमाओं का अच्छा संग्रह है। सिलवासा से 20 किलोमीटर दूर खनवेल स्थित है। खनवेल तक की ड्राइव में आप सड़क के दोनों ओर लाइन से लगे लंबे पेड़ों का नज़ारा ले सकते हैं। यह सुंदर लैंडस्केप हरे भरे पहाड़ों से घिरा है और यहां प्रकृति प्रेमियों के लिए देशी स्टाइल के टेरेस गार्डन वाले काॅटेज उपलब्ध हैं। खनवेल के पास शांत सकरतोड नदी बहती है।
राजधानी सिलवासा से पांच किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत वनगंगा झील और आइलैंड गार्डन हैं। पुराने लकड़ी के पुल, फूल, फूस की झोपडि़यां और पैडलबोट यह सब मिलकर हनीमून के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।
खनवेल से 20 किलोमीटर की ड्राइव पर दुधनी है। दमन गंगा नदी का विशाल वाॅटरफ्रंट मधुबन बांध पर फैले पानी का लुभावना दृश्य बनाता है। किनारे पर लगे शानदार टेंट ग्रामीण इलाके का बहुत अच्छा अनुभव देते हैं। इन कैंप के पास सैलानी अपने लिए भोजन बना भी सकते हैं। सिलवासा-दादरा सड़क पर हिरवा वन नाम का एक सुंदर बाग है जिसमें तेज़ आवाज करते झरने हैं। इसके अलावा यहां धुंध बनाते झरने, देहाती पत्थरों की दीवार, जुड़वा मीनार, छोटी छतरियां और खूबसूरत लाॅन और फूल हंै।
सिलवासा में स्थित वनधारा बाग नदी किनारे मौजूद बाग है जिसमें विशाल और सुंदर बाग और खूबसूरत मंडप हैं जो पिकनिक के लिए आदर्श स्थान हैं। सिलवासा में एक मिनी चिडि़याघर और बाल उद्यान भी है। रंग बिरंगे पक्षी, शरारती बंदर, अद्भुत अजगर और मगरमच्छ के अलावा झूले, मेरी गो राउंड किसी भी बच्चे के लिए सपना सच होने जैसा है।
इस इलाके की राष्ट्रीय राजमार्ग 8 या वेस्टर्न एक्सप्रेसवे से नजदीकी इसे भारत के अन्य प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और बड़ौदा से जोड़ती है। दादरा और नगर हवेली के नजदीक स्थित वापी रेलवे स्टेशन के ज़रिए इन रेल के माध्यम से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है |
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