भारतीय राज्य ओडिशा (Odisha) भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। इसकी राजधानी भुवनेश्वर है। आधुनिक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के साथ यह राज्य देश का एक खास हिस्सा है। आजादी के बाद इस राज्य के ग्रामीण इलाकों में जबर्दस्त विकास हुआ है।
यहां बड़ी संख्या में खूबसूरत और नक्काशीदार मंदिर होने के कारण इस प्रांत को ‘मंदिरों की धरती’ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर, यहां राज कर चुके साम्राज्यों की गवाही देते हैं। यह प्रांत अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का शास्त्रीय ओडिसी नृत्य रुप है। ओडिशा संस्कृति और परंपरा से कहीं बढ़कर है।
प्राचीन काल से ही ओडिशा (Odisha) में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आकर रह रहे हैं। सबसे पहले आने वालों में महाभारत काल के पहाड़ों की जनजातियों के लोग थे जिन्हें सवर और सओरा कहा जाता था। ओडिशा का इतिहास लगभग 5,000 साल पुराना है। ओडिशा कलिंग शासन के कारण प्रसिद्ध हुआ। अशोक सबसे महान मौर्य शासक थे जिन्हांेने लगभग पूरे भारत और आसपास के देशों पर फतह हासिल कर ली थी। युद्ध में होने वाली कई हत्याओं को देखने के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था। उनके शासन के बाद चैथी शताब्दी मेें गुप्त का शासन आया। 10वीं सदी में भौम कारा साम्राज्य और उसके बाद सोम राजवंश ने ओडिशा में राज किया। 13वीं और 14वीं सदी से लेकर सन् 1568 तक मुस्लिम शासकों का यहां वर्चस्व था। ओडिशा ने हैदराबाद के नवाब और मराठों का भी राज देखा है। इसके आधुनिक इतिहास में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी शामिल है, जो इस राज्य में 19वीं सदी की शुरुआत में 1803 ईस्वी में आई थी। बंगाल के तटीय इलाके को बिहार और ओडिशा में बदल दिया गया था। बाद में सन् 1936 में ओडिशा और बिहार को अलग कर दिया गया। सन् 1950 में यह आधिकारिक तौर पर भारत का राज्य बन गया।
ओडिशा (Odisha) देश के पूर्वी तट पर स्थित है और बंगाल की खाड़ी के सुंदर समुद्री किनारे से लगा है। इसका कुल इलाका 1,55,707 वर्ग किलोमीटर का है। यह राज्य पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में आंध्र प्रदेश, उत्तर-पूर्व में पश्चिम बंगाल और उत्तर में झारखंड से घिरा है। बंगाल की खाड़ी राज्य के पूर्व में है। ओडिशा में विविध रहवासी और हरियाली के साथ साथ पहाड़ी इलाके हैं। यहां के समुद्री इलाके और नदी की घाटियां अद्भुत हैं। ओडिशा में कई प्रमुख नदियां हैं, जैसे महानदी, ब्राम्हणी और वंसधरा। इस प्रांत में तीन मुख्य क्षेत्र हैं, जैसे पठार, पहाड़ी और तटीय मैदान। सुब्मरेखा, वैतरणी, रुशिकुल्य और बुधबलंग जैसी नदियों के कारण यहां कई डेल्टा का निर्माण हुआ है। इस प्रांत के एक तिहाई हिस्से में पूर्वी घाट के पर्वत और पहाड़ आते हैं। यहां का एक प्रमुख आकर्षण वन्यजीवों का प्राकृतिक निवास है। ओडिशा में कई वन्यजीव अभयारण्य हैं।
ओडिशा (Odisha) का अस्तित्व क्योंकि प्राचीन काल से है, इसलिए यहां कई तरह के स्मारक हैं जो अब विश्व विरासत स्थल हैं और कई अन्य स्मारक हैं जो कि आज वास्तुकला का चमत्कार लगते हैं। यहां प्राचीन काल के और यहां राज कर चुके साम्राज्यों के बनवाए कई मंदिर भी हैं। इन मंदिरों की भव्यता और खूबसूरती के कारण यह वाकई देखने लायक हैं। भुवनेश्वर के कोणार्क सूर्य मंदिर और पुरी को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है। इसके अलावा 500 किलोमीटर लंबा विशाल समुद्री किनारा है जिस पर कई विश्व प्रसिद्ध समुद्र तट हैं, जहां जल क्रीड़ा और धूप का आनंद लिया जा सकता है। चिल्का काले पानी की एक प्रसिद्ध झील है जो लाखों प्रजातियों के पक्षियों के लिए स्वर्ग समान मानी जाती है। यहां के कुछ प्रमुख समुद्र तट गोपालपुर, चांदीपुर, पुरी और चंद्रभागा हैं। इसके अलावा आप छोटे समुद्र तटों जैसे आर्यपल्ली, अस्तरंग, बलरामगढ़ी, पारादीप, तालासारी और रामचंडी पर भी पिकनिक कर सकते हैं। यहां की भरी पूरी हरियाली की वजह से वनस्पतियों और वन्य जीवों के लिए अच्छा वातावरण है और राॅयल बंगाल टाइगर को भी बढ़ावा मिला है। हर तरफ हरियाली के कारण यहां कई वन्यजीव अभयारण्य भी हैं। इसके अलावा कई झरने, झीलें और संग्रहालय भी यहां हैं।
ओडिशा (Odisha) राज्य में प्रतिनिधि लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली है। राज्य सरकार के दो भाग हैं जिन्हें विधायी और विधायिका कहा जाता है। विधान सभा में निर्वाचित सदस्य, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होते हैं। ओडिशा का हाई कोर्ट कटक में है जिसकी कई निचली अदालते हैं। राज्यपाल राज्य का प्रधान होता है और उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। जीती हुई पार्टी या गठबंधन का नेता मुख्यमंत्री होता है। विधान सभा में 147 सदस्य होते हैं और एक एंग्लो-इंडियन समुदाय से होता है। यदि समय से पहले विधान सभा भंग ना हो तो ये सदस्य पांच साल का कार्यकाल पूरा करते हैं। भारतीय संसद में ओडिशा से 21 सीटें लोकसभा की और राज्य सभा की 10 सीटें हैं। ओडिशा में 30 जिले हैं जिनमें अनुगुल, बालासोर, बोलांगिर, बौध, बरगड़, भद्रक, कटक, देवगढ़, ढेन्कनाल, गजपति, जगतसिंहपुर, कालाहांडी, झारसुगुड़ा, नयागड़, सुंदरगड़, रायगड़ा, पुरी, केंद्रपड़ा, कोरापुट, खुर्दा, मालकानगिरी, गंजम, सोनपुर, संबलपुर, कंधमाल, नबरंगपुर, मयूरभंज और जाजपुर शामिल हैं।
जहां तक राजनीति का सवाल है, राज्य में कुछ प्रमुख राजनीतिक दल हैं जैसे बीजू जनता दल, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांगे्रस। हर दल में ऐसे काबिल नेता हैं जो राज्य के विकास में रुचि रखते हैं।
प्राचीनकाल से ही ओडिशा प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई का स्थान रहा है। पिछले ज़माने की शिक्षण संस्थाओं के अवशेष आज भी यहां हैं। प्राचीन समय में यह राज्य शिक्षा के हब के तौर पर जाना जाता था। हाल ही में जाजपुर जिले के रत्नागिरी में पुरातन काल का एक बौद्ध अध्ययन केंद्र पाया गया है।
आज के समय में राज्य में देश के कई मशहूर विश्वविद्यालय हैं। राउरकेला में प्रतिष्ठित एनआईटी एक राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। यहां कई इंजीनियरिंग काॅलेज, साइंस काॅलेज, उच्च शिक्षा संस्थान और अन्य हैं। यह प्रांत अपने जनसंचार के कोर्स के लिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां आईआईएमसी है। राज्य में कई जगह प्रसिद्ध मेडिकल काॅलेज भी मौजूद हैं। कुछ प्रमुख विश्वविद्यालयों में बीजू पटनायक प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कलिंग औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान, श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, फकीर मोहन विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, ओडिशा कृषि विश्वविद्यालय और अन्य हैं।
ओडिशा (Odisha) की ज्यादातर आबादी कृषि के क्षेत्र में लगी है। खेती का कुल क्षेत्रफल 87.46 लाख हेक्टेयर है। इसमें से 18.79 लाख हेक्टेयर सिंचित है। मुख्य उत्पादित फसल चावल है और ओडिशा देश के प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में से है। जिलों के हिसाब से यहां अलग अलग फसलें उगती हैं। चावल के अलावा तिलहन, जूट, दालें, नारियल, मेस्ता, हल्दी और गन्ना महत्वपूर्ण फसलें हैं। चाय, रबर और कपास नगदी फसलें हैं। रागी, जूट, चना, सरसों, तिल, मक्का आदि अन्य फसलें राज्य में दूसरे रैंक की हैं।
ओडिशा (Odisha) में खनिज उत्पादन भी होता है जिसमें कोयला, चूना, बाॅक्साइट, लौह अयस्क और अन्य खनिज हैं। बाॅक्साइट भंडार में इसका देश में तीसरा स्थान है। राउरकेला स्टील प्लांट देश का पहला एकीकृत स्टील प्लांट था। प्रमुख उद्योगों जैसे जिंदल स्टील, एस्सार, स्टील अथाॅरिटी आॅफ इंडिया, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड और पास्को आदि ने औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाई है। ऐसे कई हस्तशिल्प और हथकरघा लघु उद्योग हैं जिनकी राज्य की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी भूमिका है।
मछली पकड़ने का व्यवसाय भी राज्य की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। अपने विशाल समुद्री किनारे के कारण अंतर्देशीय, खारे पानी और समुद्री मछली पालन की गुंजाइश बहुत व्यापक है।
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार ओडिशा की आबादी 4,19,74,218 थी। महिला और पुरुषों का अनुपात 1000 पुरुषों के मुकाबले 978 महिलाओं का है। यहां जनसंख्या का घनत्व 13.97 प्रतिशत और 269 प्रति वर्ग किलोमीटर का है।
ओडिशा की साक्षरता दर लगभग 73 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों की दर 82 प्रतिशत और महिलाओं की दर 64 प्रतिशत है। यह आंकड़ा 2011 की जनगणना के अनुसार है।
राज्य की आबादी काफी तेजी से बढ़ रही है। सरकार ने महिला साक्षरता और शिशु मृत्यु दर के बारे में ध्यान देने के लिए कई कदम उठाए हैं। ओडिशा में बुनियादी सुविधाएं बेहतर हो रही हैं और इसके साथ ही कई सुविधाएं जैसे अस्पताल, परिवहन, शिक्षा और रोजगार भी बढ़ रहे हैं।
ओडिशा (Odisha) समृद्ध परंपरा और संस्कृति का गढ़ है और यह इसके ऐतिहासिक स्मारकों, मूर्तिकला, कलाकारों, नृत्य और संगीत में दिखता है। इस राज्य में एक विभाग है जो संस्कृति को देखने के साथ ही कला और संस्कृति को व्यवस्थित तरीके से बढ़ावा भी देता है। ओडिशा की संस्कृति को यहां के मंदिरों और स्मारकों के निशानों के माध्यम से प्राचीन काल तक जोड़ कर देखा जा सकता है। इस प्रांत में कई सारे मंदिर हैं और इसके लिए यह दुनिया भर में प्रसिद्ध भी है।
शास्त्रीय नृत्य ओडिसी का जन्म भी यहीं हुआ और अब यह दुनिया भर में मशहूर है। यह नृत्य रुप भगवान कृष्ण और उनकी संगिनी राधा के बारे में है। इसके अलावा कई लोक नृत्य और लोक नाटक भी यहां हैं। यहां की संस्कृति कई धर्मों से प्रभावित है, जैसे जैन धर्म, हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म। ओडिशा की संस्कृति में यहां की जनजातियों और आदिवासियों की भी बड़ी भूमिका है। ओडिशा की मशहूर रथयात्रा पुरी में आयोजित होती है और बड़े भक्ति भाव और श्रद्धा से निकाली जाती है। यह पूरे देश में प्रसिद्ध है और यहां आप लोगों की रस्में, संस्कृति और परंपराएं देख सकते हैं। यहां के हस्तशिल्प और हथकरघा वस्त्र उल्लेखनीय हैं। चांदी का महीन काम, पिक्चर फ्रेम और इकत के कपड़े बहुत प्रसिद्ध हैं। यहां पर चित्रकारी की मशहूर शैली रघुराजपुर प्रमुखता से देखी जा सकती है। इस चित्रकारी में भारतीय पौराणिक कथाओं के दृश्य देखे जा सकते हैं और पुरी के मंदिर के भगवान जैसे जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को भी देखा जा सकता है।
उडि़या को ओडिशा (Odisha) की आधिकारिक भाषा के रुप में मान्यता मिली हुई है। यहां के मूल निवासी आर्य परिवार के थे और यहां की भाषा भी बंगाली, असमी और मैथली से मिलती जुलती है। पिछले कुछ सालों में उडि़या के कई रुप बन गए हैं जैसे बालेश्वरी, भात्री, लरीया, संबलपुरी, गंजमी, छत्तीसगढ़ी और मिदनापुरी। पहाड़ी इलाकों में उडि़या अलग स्वर और तरीके में बोली जाती है। उडि़या सबसे पहले उरजंग में 1051 ईस्वी में खोजी गई थी। इसकी लिपी ब्रम्ही में शुरु की गई थी और द्रविड़ में खत्म की गई।
राज्य में 84 प्रतिशत आबादी उडि़या बोलती है। यह भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है और पड़ोसी राज्यों में भी बोली जाती है। यहां कुछ अन्य भाषाएं भी बोली जाती हैं जो अन्य राज्यों से इस प्रांत में आए लोग बोलते हैं। हिंदी यहां दूसरी सबसे लोकप्रिय और व्यापक रुप से स्वीकृत भाषा है। इसके अलावा यहां उर्दू और बंगाली भी बोली जाती है और कुछ लोग तेलगु भी बोलते हैं। अंग्रेजी भाषा का प्रयोग सिर्फ पढ़ा लिखा तबका करता है।
भारत के अन्य राज्यों की तरह यहां का परिवहन भी बहुत अच्छा है। राज्य में राजमार्गों के अलावा सड़क नेटवर्क भी बहुत अच्छा है। इस राज्य से राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 5, 6, 23, 42 और 43 गुजरते हैं। ओडिशा में रेलवे, जलमार्ग और हवाई सेवा भी है। भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन राज्य का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यहां से कई रेलें जैसे कोणार्क, राजधानी एक्सप्रेस और कोरोमंडल एक्सप्रेस सुविधाजनक और आरामदायक यात्रा देती हैं। पारादीप यहां का एकमात्र प्रमुख बंदरगाह है और यहीं से आयात और निर्यात होता हैै। ओडिशा में एक घरेलू हवाई अड्डा भी है और यह राज्य के प्रमुख शहरों के साथ साथ भारत के प्रमुख शहरों से भी जुड़ा है। परिवहन सुविधाएं यहां बहुत विकसित हैं। राज्य में कई विकास परियोजनाओं के जारी होने और राज्य को एक प्रमुख पर्यटन प्रांत का दर्जा प्राप्त होने से परिवहन को ज्यादा से ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। राज्य सरकार अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसी परियोजनाओं पर ध्यान दे रही है।
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