भारत का दूसरा सबसे छोटा भारतीय राज्य और सबसे कम आबादी वाला राज्य होने के बावजूद सिक्किम (Sikkim) प्रकृति से प्रेम करने वालों के लिए स्वर्ग है। देश के पूर्वोत्तर हिस्से में स्थित सिक्किम के दक्षिण में पश्चिम बंगाल है और यह अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमा दक्षिण-पूर्व में भूटान के साथ, पश्चिम में नेपाल के साथ और उत्तर-पूर्व में चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ साझा करता है। खूबसूरत पहाडों, गहरी घाटियों और बायोडाइवर्सिटी के कारण सिक्किम सैलानियों का पसंदीदा स्पाॅट है। गंगटोक सिक्किम का सबसे बड़ा शहर होने के अलावा यहां की राजधानी भी है।
यह शहर 5,500 फीट की उंचाई पर शिवालिक की पहाडि़यों पर स्थित है। गंगटोक से दुनिया के तीसरे सबसे उंचे पर्वत कंचनजंगा का नजारा देखा जा सकता है। सिक्किम का कुल इलाका लगभग 7,000 वर्ग किलोमीटर का है और यहां की आबादी छह लाख से ज्यादा नहीं है। इस राज्य का ज्यादातर इलाका पहाड़ी है और सिक्किम की गर्मियां भी सुहावनी होती हैं, क्योंकि गर्मियों में भी तापमान बमुश्किल 28 डिग्री से उपर जाता है। सिक्किम की सर्दियां बहुत कड़ाके की और कंपकपाने वाली होती हैं क्योंकि तब तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। सन् 1975 में सिक्किम भारत का हिस्सा बन गया था और तब से ही यहां का राजनीतिक ढांचा देश के बाकी हिस्सों जैसा है। यहां की विधान सभा में 32 सदस्य होते हैं जो कि चुनावों के ज़रिए चुने जाते हैं।
सिक्किम (Sikkim) का एक खास राजनीतिक अतीत है जिसमें कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं जो आदिवासी शासकों, ब्रिटिश सत्ता और इस राज्य के भारत में शामिल होने से संबंधित हैं। 17वीं सदी में लेपाचाओं के यहां हमले और सत्ता हासिल करने के पहले इस राज्य में मोन, नाओंग और चांग का शासन था। उस समय में सिक्किम में राजशाही थी और यहां का सबसे प्रमुख साम्राज्य चोग्याल था जो निर्विवाद रुप से यहां के शासक थे। जब ब्रिटिश भारत में आए तब सिक्किम के राजवंश से उनका सिक्किम के लिए खतरा बनते जा रहे नेपालियों और भूटानियों के विरुद्ध मिलकर लड़ने का गठबंधन हुआ। सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद सिक्किम भारत के अधीन एक संरक्षित राज्य बन गया और भारत ने इसकी रक्षा, विदेश संबधों और रणनीतिक संपर्क की जिम्मेदारी ले ली। हालांकि समय के साथ साथ सिक्किम में रहने वाले लोग लोकतंत्र के ज़रिए ज्यादा राजनीतिक आजादी चाहते थे, इसलिए सन् 1975 के पहले पांच चुनाव आयोजित किए गए।
सिक्किम (Sikkim) भारत का दूसरा सबसे छोटा राज्य है और भौगोलिक तौर पर 27.33 डिग्री उत्तर और 88.62 डिग्री पूर्व में स्थित है। सिक्किम चारों ओर से हिमालय श्रृंखला और उत्तर-पूर्व में तिब्बत, पश्चिम में नेपाल, दक्षिण-पूर्व में भूटान और दक्षिण में पश्चिम बंगाल से घिरा है। सिक्किम देश का एक पूर्वोत्तर राज्य है और इसकी राजधानी गंगटोक है। गंगटोक सिक्किम का सबसे बड़ा शहर है। गंगटोक शहर राज्य के दक्षिण-पूर्व इलाके में 5,500 फीट की उंचाई पर शिवालिक की पहाडि़यों पर स्थित है। स्थानीय भाषा में गंगटोक शब्द का अर्थ ‘पहाड़ की चोटी’ है। यह पूरे देश में सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। यह हिमालय की चोटियों में बसा राज्य का सबसे बड़ा शहर है। ईस्ट सिक्किम जिलों का मुख्यालय भी गंगटोेक है। गंगटोक के पूर्वी भाग से दुनिया के तीसरे सबसे उंचे पर्वत कंचनजंगा का नजारा देखा जा सकता है।
सिक्किम (Sikkim) में रहने वाले लोग दो तरह की जलवायु को अनुभव करते हैं। राज्य के उत्तर हिस्से में टुंड्रा प्रकार की जलवायु है, जबकि दक्षिण भाग में सबट्राॅपिकल मौसमी परिस्थितियां रहती हैं। टुंड्रा प्रकार के वातावरण के कारण राज्य का उत्तरी भाग साल के लगभग चार महीने बर्फ से ढंका रहता है और रात का तापमान शून्य डिग्री तक चला जाता है। सिक्किम का मौसम मुख्य रुप से पांच तरह का होता है जो इस प्रकार हैं:- वसंत, गर्मी, पतझड़, मानसून, सर्दी
सिक्किम (Sikkim) की आबादी छह लाख से ज्यादा नहीं है और इसमें 50 प्रतिशत पुरुष और 50 प्रतिशत महिलाएं हैं। लेपचा इस जगह के मूल और देशी निवासी हैं। सिक्किम के कई उद्योगपति लेपचा मूल के हैं। तिब्बत के खाम जिले से आए भूटिया सिक्किम के दूसरे जातीय समूह हैं। ये लोग यहां बौद्ध धर्म लाने के लिए जाने जाते हैं और ये महान व्यापारी और किसान होते हैं। सिक्किम का तीसरा सबसे बड़ा जातीय समूह नेपाली है और राज्य में इनकी जनसंख्या भी बहुत है। राज्य के उत्तरी और पूर्वी हिस्से में तिब्बतियों के कुछ वंश भी पाए जाते हैं। इनके अलावा कई ऐसे लोग हैं जो बंगाली, मारवाड़ी और बिहारी जाति वर्ग से हैं और यहां कई दशकों पहले से आकर रह रहे हैं। सिक्किम में दो ही धर्म व्यापक हैं, हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म। हालांकि यहां एक छोटा सा ईसाई समुदाय भी है जो पहले लेपचा मूल के थे पर बाद में औपनिवेशक ब्रिटिश द्वारा धर्म परिवर्तित हो गए। उनसे भी कम संख्या में यहां मुस्लिम हैं। अलग अलग अनुपात में कई तरह के धर्म और संप्रदाय होने के बाद भी यहां कभी तनाव या सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए हैं।
सिक्किम (Sikkim) की अर्थव्यवस्था विशेष तौर पर पर्यटन, खेती, कुछ उद्योगों और बागवानी पर टिकी है। यहां की भरपूर प्राकृतिक सुंदरता, आकर्षक मौसम और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कारण देश के इस हिस्से में पर्यटन खूब फलाफूला है और सिक्किम की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बन गया है। सिक्किम का ज्यादातर इलाका पहाड़ों और पर्वतों से ढंका होने के बावजूद यहां खेती काफी हद तक संभव है। सिक्किम में खास तौर पर चाय और इलायची की पैदावार होती है, इसके अलावा यहां की अन्य फसलों में चांवल, मक्का, आलू, गेंहू, संतरा और अदरक शामिल हैं।
सन् 1975 में अपनी राजवंशीय जड़ों से दूर होने के बाद से ही सिक्किम की सरकार ने भारत के अन्य राज्यों का ढांचा अपना लिया। यहां कई मंत्रियों वाली एक विधायी निकाय है जिसका मुखिया मुख्यमंत्री होता है। राज्य की विधान सभा में 32 सदस्य चार जिलों में फैले 32 विधान सभा क्षेत्रों में विधान सभा चुनावों के ज़रिए चुने जाते हैं। इनमें से एक सीट राजाओं की परंपरा अनुसार एक बौद्ध प्रतिनिधि के लिए आरक्षित रहती है। विधान सभा का सबसे खास सदस्य अध्यक्ष होता है और सरकार के सभी विभागों को नियंत्रित करने के साथ ही उनका नेतृत्व भी करता है। सिक्किम से संसद के उपरी सदन और निचले सदन के लिए एक-एक सदस्य प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों की सिक्किम में पकड़ तो है पर फिर भी स्थानीय और क्षेत्रीय दलों जैसे सिक्किम डेमोक्रेटिक पार्टी का लोगों पर प्रभाव ज्यादा है। विधायी कामों पर नज़र रखने के लिए सरकार द्वारा अलग राज्य आयोग भी यहां है।
लेपचाओं और उनके साथ मिले हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की मिश्रित परंपरा के कारण सिक्किम की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है। चूंकि सिक्किम के लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं इसलिए उनके त्यौहार कम भव्य और सादे लेकिन रंगीन होते हैं। बौद्ध त्यौहार जैसे डुपका टेशी, सागा दावा, लूसोंग, पंग ल्हबसोल और दसेन यहां बहुत व्यापक तौर पर मनाए जाते हंै। हिमालय के बाजरे से बनी बीयर पीना यहां त्यौहारों, शादी या उत्सव का सूचक है। ऐसे समारोहों में लोकगीत और नृत्य बहुत आम हैं। सिक्किम में मठ के आंगन में लामाओं का किया जाने वाला मुखौटा नृत्य उत्तर-पूर्व भारत का सबसे रंगीन नृत्य है जो इस जगह की संस्कृति के सच्चे सार को दिखाता है।
सिक्किम (Sikkim) के आज के दौर के जनसांख्यिकी परिदृश्य के हिसाब से यहां रहने वाले लोग कुल छह भाषाओं का इस्तेमाल संवाद के लिए करते हैं। नेपालियों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण नेपाली यहां की आम भाषा है। यह भाषा इंडो-आर्यन परिवार से संबंध रखती है। दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा भूटिया है, जिसका तिब्बती-बर्मा परिवार से मजबूत नाता है। इस परिवार की अन्य भाषाएं जो यहां के लोग काफी बोलते हैं उनमें लेपचा, शेरपा और लिम्बू हैं। यह सभी भाषाएं विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं और राज्य की आधिकारिक भाषा के रुप में घोषित हैं।
मैदानी इलाके और सुविधाओं की कमी की वजह से सिक्किम भारत के अन्य राज्यों से शिक्षा के मामले में पीछे है। यहां करीब 1150 स्कूल हैं जो बच्चों को प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मुहैया करा रहे हैं। इनमें से आधे से ज्यादा सरकार की मदद से और बाकी निजी संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं। कुछ स्कूल केंद्रीय बोर्ड से संबंद्ध हैं। राज्य में करीब 15 काॅलेज हैं जो इच्छुक उम्मीदवारों को उच्च शिक्षा देते हैं। सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय गंगटोक में स्थित है। कुछ अन्य निजी विश्वविद्यालय भी हैं, जैसे गंगटोक का सिक्किम मणिपाल तकनीकी विज्ञान विश्वविद्यालय जो मेडिसिन, इंजीनियरिंग और प्रबंधन में डिग्री देता है।
सिक्किम (Sikkim) भले ही छोटा राज्य है लेकिन सुंदर हरियाली, खूबसूरत पहाड़ और बायोडायवर्सिटी के कारण ये सैलानियों के लिए स्वर्ग समान है। प्रकृति की सारी सुंदरता जैसे इस राज्य में ही उड़ेल दी गई है। यहां के मंदिर और दूसरे धार्मिक स्थल, संग्रहालय, राष्ट्रीय पार्क भी दुनिया भर के सैलानियों के यहां आने का कारण है। हर तरफ से हिमालय से ढंके सिक्किम में टूरिस्ट कई जगह का दौरा करते हैं, जैसे कंचनजंगा का करीब से नज़ारा देखने के लिए लोग सिंगिक जाते हैं, रिवर राफ्टिंग करने और ऐतिहासिक महत्व के लिए चुंगथांग जाते हैं। ग्रामीण खूबसूरती को देखने लोग काबी लाचुंग और बर्फ से ढंकी घाटियां देखने राज्य के उत्तरी भाग युमथांग में लोग जाते हैं।
एक पहाड़ी इलाका होने के बावजूद सिक्किम पूरे देश से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बागडोगरा है जो कि राजधानी से कुछ घंटों की दूरी पर है। इस राज्य को कोलकाता, दिल्ली और गुवाहाटी से कई एयरलाईनें जैसे इंडियन एयरलाइन, डेक्कन एयर सर्विस, जेट एयरवेज़ और अन्य जोड़ती हैं। सिक्किम सैलानियों की पसंदीदा जगह होने के कारण सिक्किम पर्यटन विभाग बागडोगरा से गंगटोक तक पांच सीटों वाला हेलीकाॅप्टर भी चलाता है। दो रेलवे स्टेशन इस प्रांत को बाकी देश से जोड़ते हैं, एक सिलीगुड़ी और दूसरा न्यू जलपाईगुड़ी, जो राजधानी से क्रमशः 114 किमी. और 125 किमी. दूर हैं। गंगटोक तक सड़क के रास्ते भी पहुंचा जा सकता है।
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