सावन में महा शिवरात्रि का महत्व, Mahashivratri Ka Mahatv in Hindi, उतर प्रदेश में सावन की शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, हर वर्ष बड़े हर्षोउल्लास के साथ सावन के महीने की शुरुवात होती है और पूरे महीने बम बम भोले के जयकारों को गूज गूजती है।
सावन में हर सोमवार का विशेष महत्व होता है इस दिन मंदिरों में विशेष भीड़ होती है मंदिरों में शिवजी पर भक्त गण भांग, धतूरा, बेल, बेल के पत्ते, दूध, जल आदि चढ़ाकर भगवान को प्रसन्न करके अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। भगवान शिव के बारें में हमारे पूर्वजों ने कहा है की शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्तों के दुख दूर करते हैं।
सावन का महिना शुरू होते ही भोले बाबा के भक्त सक्रीय हो जाते है। वैसे तो सावन के हर सोमवार को शिवजी पर जल चढाया जाता है लेकिन सावन की शिवरात्रि का एक अलग ही महत्व है। महाशिवरात्रि के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। इस दिन शिव जी की उपासना और पूजा करने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं। शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव का रूद्र रूप प्रकट हुआ था।
शिवरात्रि के दिन मंदिरों में जहाँ भी भोले बाबा पर जल चढ़ाया जाता है उन मंदिरों में विशेष इंतजाम किये जाते है कि भक्तों को कोई परेशानी ना हो। पूरे महीने कावड़ का मेला चलता है भक्त हरिद्वार से जल लेकर पैदल अपने अपने आस्था के अनुसार जहाँ भोले बाबा पर जल चढ़ाना है वहां तक आते हैं।
ज्योतिष की दृष्टि से भी महाशिवरात्रि की रात्रि का बड़ा महत्व है। भगवान शिव के सिर पर चन्द्रमा विराजमान रहता है। चन्द्रमा को मन का कारक कहा गया है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात में चन्द्रमा की शक्ति लगभग पूरी तरह क्षीण हो जाती है। जिससे तामसिक शक्तियां व्यक्ति के मन पर अधिकार करने लगती हैं जिससे पाप प्रभाव बढ़ जाता है। भगवान शंकर की पूजा से मानसिक बल प्राप्त होता है जिससे आसुरी और तामसिक शक्तियों के प्रभाव से बचाव होता है।
हमारी सरकार की तरफ से भी पूरी छूट होती है सड़कों को परवर्तित कर दिया जाता है जिस रास्ते से कावड़ का मेला जाता है उन रास्तों को कावड़ के लिए खोल दिया जाता है।
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