सावन में सोमवार का महत्व, Savan Me Somvar Ka Mahatva in Hindi, सावन में पहले, दूसरे, तीसरे तथा चोथे सोमवार का अपना अपना अलग महत्व है। सावन मास के प्रत्येक सोमवार को शिव जी के व्रत किए जाते हैं। श्रावण मास में शिव जी की पूजा का विशेष विधान हैं। कुछ भक्त जन तो पूरे मास ही भगवान शिव की पूजा-आराधना और व्रत करते हैं।
सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है। सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
अधिकांश व्यक्ति केवल श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार का ही व्रत करते हैं। श्रावण मास के सोमवारों में शिव जी के व्रतों, पूजा और शिव जी की आरती का विशेष महत्त्व है। शिव जी के ये व्रत शुभदायी और फलदायी होते हैं। इन व्रतों को करने वाले सभी भक्तों से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। सोमवार के दिन शिव भक्ति और अभिषेक से शक्ति प्राप्त होती है, जिससे जीवन सुखमय हो जाता है। श्रावण (सावन) में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। गौर हो कि सावन माह भगवान शिव का प्रिय महीना है। इसमें शिव की उपासना करने वाला भक्त भोलेनाथ को अति प्रिय होता है।
सावन का दूसरा सोमवार, सावन माह के हर सोमवार को शिवभक्तों को विशेष कृपा मिल रही है। सावन का पहला सोमवार जहां भक्तों की सारी समस्याओं और बधाओं से मुक्ति दिलाने वाला था, वहीं दूसरा सोमवार शिवभक्तों को बेहतर स्वास्थ्य और बल प्रदान करने वाला माना गया है। सोमवार दिन का प्रतिनिधि ग्रह चन्द्रमा है। चन्द्रमा मन का कारक है (चंद्रमा मनसो जात:)। मन के नियंत्रण और नियमण में उसका (चंद्रमा का) महत्त्वपूर्ण योगदान है। चन्द्रमा भगवान शिव जी के मस्तक पर विराजमान है। भगवान शिव स्वयं साधक व भक्त के चंद्रमा अर्थात मन को नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार भक्त के मन को वश में तथा एकाग्रचित कर अज्ञानता के भाव सागर से बाहर निकालते है।
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