सावन में सोमवार व्रत का फल, Savan Somvar Vrat Vidhi in Hindi, सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। सोमवार व्रत की विधि भी सभी व्रतों के समान होती है। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है। सावन सोमवार व्रत का फल अपरम्पार है क्योकि यह पूजा वस्तुतः देवो के देव महादेव शिव के लिए होती है और शिव वरदान एवं न्याय के लिए प्रसिद्ध है कहा जाता है की जो कोई भी शुद्ध मन से महादेव की आराधना करता है उसकी इच्छा की पूर्ति अवश्य होती इसमें कोई भी संदेह नहीं है।
यह व्रत करने से मानसिक, शांति तो मिलती ही है साथ ही साथ सभी प्रकार के मनोकामनाएं यथा आर्थिक लाभ, सामाजिक प्रतिष्ठा, पारिवारिक शांति, वैवाहिक सुख, संतान लाभ, स्वास्थ लाभ तथा उन्नति भी मिलती है। मान्यतानुसार सोमवारी व्रत करने से इच्छानुसार जीवनसाथी मिलता है।
श्रावण के प्रथम सोमवार, प्रात: और सायंकाल स्नान के बाद, शिव परिवार की पूजा करें। पूर्वामुखी या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ कर, एक ओर पंचामृत, अर्थात दूध, दही,घी, शक्कर, शहद व गंगा जल रख लें। शिव परिवार को पंचामृत से स्नान करवाएं। फिर चंदन, फूल, फल, सुगंध, रोली व वस्त्र आदि अर्पित करें। शिवलिंग पर सफेद पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद वस्त्र व सफेद मिष्ठान चढ़ाएं। गणेश जी को दूर्वा यानी हरी घास, लड्डू या मोदक व पीले वस्त्र अर्पित करें।
भगवान शिव की आरती या शिव चालीसा पढ़ें। गणेश जी की आरती भी धूप-दीप से करें। शिव परिवार से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। महादेव की स्तुति दिन में दो बार की जाती है। सूर्योदय पर, फिर सूर्यास्त के बाद। पूजा के दौरान 16 सोमवार की व्रत कथा और सावन व्रत कथा सुनाई जाती है। पूजा का समापन प्रसाद वितरण से किया जाता है।
एक कथा के अनुसार जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।
अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने सावन के महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया। यही कारण है कि सावन के महीने में सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी लड़कियों व्रत रखती हैं।
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