Indian Govt Aadhar Bill Schemes In Hindi, प्रत्येक भारतीय को पहचान प्रदान करने एवं प्राथमिक तौर पर प्रभावशाली जनहित सेवाऐं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विशिष्ट पहचान परियोजना Aadhar Bill (आधार बिल) पर योजना आयोग द्वारा विचार किया गया था। यह सरकार के विभिन्न स्कीमों, कार्यक्रमों की प्रभावशाली रूप से काम करेगा।
विशिष्ट पहचान के विचार पर पहली बार 2006 में चर्चा कर तब कार्य प्रारंभ किया गया, जब सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा "गरीबी रेखा के नीचे बसे परिवारों के लिये विशिष्ट पहचान" परियोजना 3 मार्च, 2006 को प्रशासनिक अनुमोदन दिया गया। यह परियोजना राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) द्वारा 12 माह की अवधि में लागू किया जाना था ।
बाद में जुलाई, 2006 को गरीबी रेखा के नीचे बसे परिवारों के लिये विशिष्ट पहचान परियोजना के अंतर्गत मुख्य डाटाबेस के डाटा फील्ड्स में उन्हें अद्यतन, संशोधन, जोड़ने, हटाने आदि की प्रक्रिया पर सलाह देने हेतु प्रक्रिया समिति बनाई गई। यह डा. अरविन्द विरमानी, प्रमुख सलाहकार, योजना आयोग की अध्यक्षता में बनाई गयी।
यू.आई.डी.ए.आई. (UIDAI) परियोजना पर एक रणनीतिक दृष्टिकोण, मेसर्स विप्रो लिमिटेड द्वारा तैयार कर इस समिति को प्रस्तुत किया गया। यह परिकल्पना की गई है कि यू.आई.डी.ए.आई. (UIDAI) का चुनावी डाटाबेस के साथ निकट का संबंध होगा। समिति ने योजना आयोग के तत्वावधान में एक अंतर्विभागीय एवं तटस्थ पहचान सुनिश्चित करने के लिये एक कार्यकारी आदेश के द्वारा एक प्राधिकरण बनाये जाने की आवश्यकता की अनुशंसा की थी और इसी के साथ यह 11वीं योजना के लिये निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने पर भी ध्यान केन्द्रित करना चाहेगा।
30 अगस्त 2009 को आयोजित प्रक्रिया समिति की 7वीं बैठक में योजना आयोग को ''सिद्धांत रूप में'' संसाधन मॉडल पर आधारित एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है। इसी समय में, भारत के महापंजीयक, भारत के नागरिकों के लिये राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एवं बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान कार्ड बनाने में कार्यरत थे।
अतएव, प्रधानमंत्री के अनुमोदन के साथ यह निर्णय लिया गया कि अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) का गठन किया जाये जो दो योजनाओं- नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की विशिष्ट पहचान संख्या परियोजना की तुलना कर सके। परियोजना की कार्यप्रणाली, इसके शीघ्र और प्रभावी समापन हेतु विशेष मील-पत्थर (प्रगति चरणों) पर नजर रखने और इन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) को अधिकार दिए गए । मंत्रियों के समूह का गठन 4 दिसंबर 2006 को किया गया।
भारत के निवासियों को एक विशिष्ट पहचान उपलब्ध करना जिसे डिजिटल माध्यम से कहीं भी, कभी भी सत्यापित किया जा सके।
इन सभी बड़े फायदे को देखते हुए आधार कार्ड योजना को आधार बिल (Aadhar Bill) के अंतर्गत लाकर इसे कानूनी ताकत देने की योजना बनायीं गयी है, अगर आधार बिल (Aadhar Bill) लागू हो जाता है तो मोदी सरकार सरकारी खजाने से हर साल कम से कम 20 हजार करोड़ रुपये लुटने से बचा सकती है |
मोदी सरकार LPG गैस कनेक्शन को आधार कार्ड से जोड़ने के बाद सरकारी खजाने का हर साल करीब 15 हजार करोड़ रुपये लुटने से बचा रही है, आधार कार्ड को बैंक खाते से जोड़ने के बाद फर्जी LPG कनेक्शन अपने आप समाप्त हो गए और फर्जी सब्सिडी लेने वाले करीब पांच करोड़ लोग अपने आप छंट गए। मोदी सरकार के इस कदम से सरकारी सब्सिडी गलत हाथों में जाने से बच गयी और हर साल 15 हजार करोड़ रुपये लुटने से बचने लगा। पहले जिन घरों में 10-10 कनेक्शन थे और लोग सब्सिडी के रुपये लूटकर सिलेंडर भी ब्लैक कर देते थे, LPG कनेक्शन को आधार कार्ड और बैंक अकाउंट से जोड़ने के बाद ऐसे लोगों का खेल ख़त्म हो गया।
इतने बड़े फायदे को देखते हुए आधार कार्ड योजना को आधार बिल के अंतर्गत लाकर इसे कानूनी ताकत देने की योजना बनायीं गयी है, अगर आधार बिल लागू हो जाता है तो मोदी सरकार सरकारी खजाने से हर साल कम से कम 20 हजार करोड़ रुपये लुटने से बचा लेगी। यह बिल वास्तव में तो कांग्रेस ही सितम्बर 2010 में लेकर आई थी लेकिन सात साल से इस बिल पर केवल चर्चा चल रही है और संसद में यह बिल इधर से उधर घूम रहा है।
आधार बिल को कानूनी ताकत देने के बाद केंद्र सरकार गरीबों की सब्सिडी और वृद्धों को पेंशन उनके बैंक अकाउंट में ट्रान्सफर कर सकेगी और फर्जी सब्सिडी लेने वालों या फर्जी पेंशन लेने वालों पर भी लगाम लग सकेगी। इस बिल के पास होने के बाद कमीशनखोरों और ठेकेदारों द्वारा सरकारी खजाने की लूट पर भी लगाम सकेगी।
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