श्री गणपति जी की आरती, Ganpati Ji Ki Aarti in Hindi, गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते है।
गणपति की सेवा मंगल मेवा सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतीस देवता द्वार खड़े सब अरज करें।।
ऋषि सिद्ध दक्षिण वाम विराजें आनंद सौं चंवर दुरें।
धूप दीप और लिये आरती भक्त खड़े जयकार करें।।
गुड के मोदक भोग लगत है मूषक वाहन चढ़े सरें।
सौम्य सेवा गणपति की विध्न भाग जा दूर परें।।
भादों मास शुक्ल चतुर्थी दोपारा भरपूर परें।
लियों जन्म गणपति प्रभु ने दुर्गा मन आनंद भरें।।
श्री शंकर के आनंद उपज्यो नाम सुमरयां सब विध्न टरें।
आन विधाता बैठे आसन इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।।
देखि वेद ब्रह्मा जी जा को विध्न विनाशन रूप अनेप करें।
एक दन्त गजबदन विनायक त्रिनयन रूप अनूप धरें।।
पग खम्बा सा उदर पुष्ट है चन्द्रमा हास्य करें।
दे श्राप चन्द्रदेव को कलाहीन तत्काल करें।।
चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज करें।
उठ प्रभात जो आरती गावे ताके सिर यश छत्र फिरें।।
गणपति जी की पूजा पहले करनी काम सभी निविर्ध्न करें।
श्रीगणपति जी की हाथ जोड़ स्तुति सब जन करें।।
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