श्री भैरव जी की आरती

श्री भैरव जी की आरती, Bhairava Ji Ki Aarti in Hindi, भैरव हिन्दुओं के एक देवता हैं जो शिव के एक रूप हैं। इनकी पूजा भारत और नेपाल में होती है। हिन्दू और जैन दोनों भैरव की पूजा करते हैं। ‘शिवपुराण’ के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह में भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी, अतः इस तिथि को काल-भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

Bhairava Ji Aarti Religious Aarti
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"आरती"

जय भैरव देवा, जय भैरव देवा,
जय काली और जय गौरा देवी करत हैं सेवा।
जय .........

तुम्हीं आप उद्धारक, दुख सिंधु तारक ,
भक्तों के सुख कारक, भीषण वपु धारक।
जय .........

वाहन श्वान विराजत, कर त्रिशूल धारी ,
महिमा अमित तुम्हारी, जय जय भयहारी।
जय ...........

तुम बिन देवा पूजन, सफल नहीं होवे ,
चतुर्वर्तिका दीपक, दर्शक दुख खोवे।
जय ..........

तुम चटिक दधि मिश्रित, भाषबली तेरी,
कृपा कीजिए भैरव, करिए नहीं देरी।
जय .......

पांव घूंघरू बाजत, डमरू ड़मकावत,
बटुकनाथ बन बालक, तन-मन हरषवात।
जय ........

बटुकनाथ की आरती, जो कोई जन गावे,
कहे धरणीधर, नर वांछित फल पावे।
जय .........

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