श्री सत्यनारायण जी की आरती (Satya Narayan Aarti in Hindi) सत्य को नारायण (विष्णु) के रूप में पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। सत्यनारायण भगवान की कथा बहुत प्रचलित है।
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा॥
रत्नजडित सिंहासन, अद्भुत छवि राजें।
नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....
प्रकट भयें कलिकारण, द्विज को दरस दियो।
बूढों ब्राम्हण बनके, कंचन महल कियों॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
दुर्बल भील कठार, जिन पर कृपा करी।
च्रंदचूड एक राजा तिनकी विपत्ति हरी॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
वैश्य मनोरथ पायों, श्रद्धा तज दिन्ही।
सो फल भोग्यों प्रभूजी, फेर स्तुति किन्ही॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
भाव भक्ति के कारन, छिन छिन रुप धरें।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनके काज सरें॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ग्वाल बाल संग राजा, वन में भक्ति करि।
मनवांचित फल दिन्हो, दीन दयालु हरि॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
चढत प्रसाद सवायों, दली फल मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे।
ऋद्धि सिद्धी सुख संपत्ति सहज रुप पावे॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा॥